कहा जाता है कि भारत के लोग बहुत ज्यादा घुमक्कड़ी है, तो इसमें किसी प्रकार का कोई संदेह नहीं है। और भारत की खूबसूरती की बात की जाए तो ये भी किसी से छिपा नहीं है। लेकिन भारत के बहुत से सुंदर स्थान जो आज बहुतों के नजरों छिपा हुआ है, जहां पर बहुत कम लोग ही पहुंच पाते हैं। ऐसे में अगर सबसे कठिन जगहों की बात की जाए तो वो है पहाड़ों में घूमना और उनकी वादियों में खो जाना। जहां आपको सुख-सुविधाएं तो काफी कम मिलती है लेकिन सुकून बहुत।
रोमांच भरे रास्तों वाला हिमाचल प्रदेश वर्तमान समय में पर्यटकों की पहली पसंद बनता जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि यहां का पहाड़ियां और घाटियां। यहां के छोटे-छोटे गांव में घूमना और ठहरना ऐसा लगता है मानिए जन्नत की सैर कर रहे हो। लेकिन अभी भी यहां के वादियों में कुछ ऐसी जगहें है, जहां के बारे में सिर्फ यहां के लोकल लोग ही जानते हैं। ऐसी जगहों पर जाने का रिस्क तो हैं लेकिन इसके साथ ही रोमांच भी है, जिसे हर घुमक्कड़ी महसूस करना चाहता है। तो आइए आज हिमाचल की कुछ ऐसी अनछुई जगहों के बारे में आपको बतातें है, जिसे सिर्फ एक हिमाचली ही जानता है।
बरोत
बरोत घाटी अपनी उहल नदी के लिए जाना जाता है, जो लोगों के लिए जीवनदायिनी है। यहांं अक्सर लोग आपको मछलियां पकड़ते हुए दिख जाएंगे। उहल नदी के पार नारग वन्यजीव अभयारण्य है। जहांं कई प्रकार के तीतर और हिमालयी काले भालू भी देखे जाते हैं। यह स्थान आसपास के सदाबहार जंगल और देवदार के पेड़ों से भरा हुआ है। यहां पैदल घूमना भी ट्रेकिंग के समान है, जो एक अद्भुत अनुभव देता ह। यहां पर देव पाशाकोट का मंदिर भी है, जहां आप दर्शन भी कर सकते हैं। यह स्थान शिमला से 207 किमी. की दूरी पर स्थित है।
शोजा
हिमाचल में यूं तो कई ऐसी जगहें है, जहां पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है लेकिन हिमालय का शोजा उस पर्यटन से कोसों दूर है। शोजा, हिमालय की एक ऐसी घाटी है, जहां पर आराम करना मानिए प्रकृति के गोद में सोने जैसा है। यहां की ठंडी और ताजा हवाएं इतनी अच्छी फीलिंग देती है कि आपको ऐसा सुकून कहीं नहीं मिलेगी। ये घाटी अपनी सर्लोस्कर लेक के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां घूमने के लिए कोई खास जगह तो नहीं लेकिन प्रकृति के बीच पैदल चलने का आनंद इस स्थान पर बखूबी तरीके से लिया जा सकता है। यह स्थान शिमला से 154 किमी. की दूरी पर स्थित है।
गुशैनी
कुल्लू जिले के तीर्थन नदी के पास बसे गुशैनी की अपनी एक अलग पहचान है। इसे ट्राउट के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहां बहुत बड़ी मात्रा में ट्राउट मछली पकड़ने का काम होता है। ये स्थान खास उन लोगों के लिए है, जो नदी किनारे कैंप लगाकर रहना पसंद करते हैं और फिशिंग का लुत्फ उठाना चाहते हैं। यहां से मात्र 20 किमी. दूर 'द फैंटास्टिक हिमालयन नेशनल फॉरेस्ट' भी है, जहां लगभग 30 प्रकार के जीव और 300 किस्म के पक्षी देखे जा सकते हैं। यहां आपको देवदार के पेड़ दिखेंगे, जिनके बीच चलना एक बेहद शानदार अनुभव है। यह स्थान शिमला से 206 किमी. की दूरी पर स्थित है।
पब्बर वैली
पब्बर घाटी, प्रकृति के सुंदर और आकर्षक नजारों का एक जीता-जागता उदाहरण है, जो सभी को अपनी खूबसूरती से मंत्रमुग्ध कर देता है। यहां पर फलों का बाग देखने में बेहद मनमोहक लगता है। पब्बर वैली में ट्रेकिंग भी की जा सकती है, जिसके बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं। इन ट्रेक पर आपको हिमाचल के उन गांवों से होकर गुजरना पड़ेगा, जिसके बारे में आपने कभी सुना भी नहीं होगा। इस रास्ते में आपको देवदार और चीड़ के जंगल और बर्फ से ढंकी पहाड़ियां देखने को मिलेगी। यहां पर्यटक कैम्पिंग, ट्रेकिंग, फिशिंग, राफ्टिंग जैसी कई गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं। यह स्थान शिमला से 107 किमी. की दूरी पर स्थित है।
रेणुकाजी
रेणुकाजी, हिमाचल के सबसे खास और सीक्रेट जगहों में से एक है। यहां पर वास्तुकला का खास नमूना देखा जा सकता है, जो पर्यटक को इसकी खींच लाती है। ये वास्तुकलाएं कलाकारों की नाज़ुक नक्काशी को दर्शाती है। यहां पर एक रेणुका झील भी स्थित है, जिसके बारे में कहा जाता है कि ये झील एक प्रकार का आईना है जो इसकी सुंदरता में भगवान की छवि को दर्शाता है। यह हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी झील है, जो समुद्र तल से 672 मीटर ऊंचाई पर है। यह स्थान शिमला से 161 किमी. की दूरी पर स्थित है।
थानेदार
थानेदार, अपने सुंदर सेब और चेरी के बागों के लिए जाना जाता है। यहां आप देश के सबसे मीठे और रसीले सेबों का स्वाद चख सकते हैं। इस जगह की खासियत है कि यहां आपको सेब खरीदने नहीं पड़ते। बल्कि यहां के लोग आपको मेहमान समझते हैं और खुद ही आपको सेब खिलाते हैं। इस खास पहाड़ी क्षेत्र में ठहरने के लिए यहां कई होटल और रिसॉर्ट्स हैं। यहां नाग देवता मंदिर, तानी-जुब्बर लेक और सेंट मैरी चर्च है। ये चर्च भारत के सबसे पुराने चर्चों में से एक है। यहांं से हाथु पीक की बर्फ से ढंकी हुई चोटी का भी नजारा लिया जा सकता है। यह शिमला से 395 किमी. की दूरी पर स्थित है।
जालोरी जोत
ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए हिमाचल का जालोरी जोत बेहद खास जगहों में से एक है। यहां आप प्रकृति के शानदार नजारों को काफी करीब से देख सकते हैं। यहां आने के लिए रास्ते में आपको शोजा पड़ेगा, जहां आप रूककर आराम भी कर सकते हैं और फिर जालोरी के लिए सफर तय कर सकते हैं। यहां एक मंदिर है, जिसका नाम है जालोरी जोत मंदिर। इसके बगल में ही एक बहुत ही फेमस सरयोल झील भी है, जहां भी जाया जा सकता है। इसके अलावा यहां पर एक प्राचीन किला भी स्थित है। इन दोनों जगहों के ट्रेक के लिए आपके पास अच्छी पकड़ वाले जूते होने चाहिए। ताकि आपको ऊंचाई पर चढ़ने में दिक्क्त का सामना ना करना पड़े। यह स्थान शिमला से 149 किमी. की दूरी पर स्थित है।
जंजैहली वैली
जंजैहली घाटी, प्रकृति की सुंदरता से भरपूर है, जोो अपने चारों ओर हरियाली और बर्फीले कोहरे की चादर को समेटे हुई है। इसका नजारा इतना मनोरम लगता है कि बार-बार यहां आने को जी चाहता है। यहां पर कैम्पिंग भी की जाती है। ये घाटी हिमाचल प्रदेश के सबसे अच्छे अनछुए जगहों में से एक है। यह स्थान शिमला से 137 किमी. की दूरी पर स्थित है।
प्रिनी
प्रिनी, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की मनाली तहसील में स्थित है, जो एक छोटा सा गांव है। इस गांव के मनाली-जगत्सुख मार्ग में एक शानदार झरना है, जिसकी खूबसूरती के लोग दीवाने हैं। इस गांव में धान की खेती की जाती है। असल मायने में पहाड़ों की जिंदगी कैसी होती है, उसे इस गांव में महसूस किया जा सकता है। यह स्थान शिमला से 250 किमी. की दूरी पर स्थित है।
चुराह वैली
चुराह घाटी, हिमाचल प्रदेश के एक विचित्र कोने में बसी हुई है, जो अपने दूसरे छोर से जम्मू और कश्मीर को जोड़ती है। बाइक ट्रिप पर निकले लोगों के लिए इस घाटी में पहुंचना बहुत मुश्किल होता है। इस घाटी में पहुंचना लोगों के लिए जितना मुश्किल होता है, उतनी ही ये घाटी खूबसूरत भी है। ये घाटी ग्लेशियरों, झीलों और नदियों का समायोजन हैं। चुराह घाटी के उबड़-खाबड़ रास्तों पर चलना किसी रोमांच से कम नहीं है। यह स्थान शिमला से 425 किमी. की दूरी पर स्थित है।