तीस्ता नदी के किनारे स्थित जलपाईगुड़ी पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा छठा शहर है। यह शहर कोलकाता उच्च न्यायालय के सर्किट खंडपीठ का घर है, दूसरी सीट अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पोर्ट ब्लेयर में है। एक प्रमुख वाणिज्यिक, पर्यटन, परिवहन और शैक्षणिक केंद्र होने के अलावा, यह शहर पश्चिम बंगाल का एक महत्वपूर्ण व्यापार केंद्र के रूप में भी जाना जाता है।
जलपाईगुड़ी की अंतरराष्ट्रीय सीमा उत्तर में भूटान और पूर्व में बांग्लादेश से लगती है। दाजर्लिंग हिल्स यहां से करीब में ही है और एक दिन के लिए यहां जाया जा सकता है। इसके अलावा सिलीगुड़ी और पश्चिम बंगाल के उत्तरी शहरों में आने वाले पर्यटक जलपाईगुड़ी भी आते हैं। अगर आप इन छुट्टियों जलपाईगुड़ी के आसपास घूमने की योजना बना रहे हैं, तो ये लेख आप ही के लिए है, आज हम आपको अपने लेख से बताने जा रहे हैं, कि वीकेंड के दौरान शहर से कोलाहल से दूर कहां सुकून की छुट्टियां बिताई जा सकती है।
लेपचाघाट
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पेलिंग
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है। पेलिंग में पर्यटक घूमते हुए यहाँ आकर यहाँ की सभ्यता में रंग सकते हैं। साथ ही यहाँ के आकर्षणों का जी भर के लुफ्त उठा सकते हैं। यहां घूमते हुए कंचनजंघा का बेहद मनोरम नजारों को देखा जा सकता है। प्रारंभ में पेलिंग जंगलों से भरी हुई भूमि थी जो अनेक वन्य प्राणियों का घर थी। इस हिल स्टेशन को घूमते हुए बर्फ से ढकी चोटियों को ही नहीं बल्कि बौद्ध संस्कृति को बौद्ध मठ" loading="lazy" width="100" height="56" />खूबसूरत हिलस्टेशन है। पेलिंग में पर्यटक घूमते हुए यहाँ आकर यहाँ की सभ्यता में रंग सकते हैं। साथ ही यहाँ के आकर्षणों का जी भर के लुफ्त उठा सकते हैं। यहां घूमते हुए कंचनजंघा का बेहद मनोरम नजारों को देखा जा सकता है। प्रारंभ में पेलिंग जंगलों से भरी हुई भूमि थी जो अनेक वन्य प्राणियों का घर थी। इस हिल स्टेशन को घूमते हुए बर्फ से ढकी चोटियों को ही नहीं बल्कि बौद्ध संस्कृति को बौद्ध मठ
दार्जलिंग
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दार्जिलिंग में आप कई औपनिवेशिक निर्माण देख सकते हैं। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान यह शहर काफी व्यवस्थित हुआ करता था। शहर को घूमते हुए आपको औपनिवेशिक काल की बनी कई इमारतें दिख जाएंगी। ये इमारतें आज भी काफी आकर्षक प्रतीत होती है। इन इमारतों में लगी पुरानी खिड़कियां तथा धुएं निकालने के लिए बनी चिमनी पुराने समय की याद दिलाती हैं। पर्यटक यहां टाइगर हिल, घूम रॉक, संदकफू, लेबांग रेसकोर्स, बतासिया लूप, विक्टोरियम जलप्रपात, रॉक गार्डन, सेंथल झील, सिंगला, तादाख, मजितार, घूम मठ, जापानी मंदिर आदि देख सकते हैं।
मिरिक
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जलपाईगुड़ी से करीबन 96 किमी की दूरी पर स्थित मिरिक की अनछुई अंजान खूबसूरती अपने पर्यटकों में जादू सा कर जाती है। मिरिक का नाम लेपचा शब्द, मिर-योक से बना है, जिसका मतलब है 'आग से जली जगह'। पर आप इसके नाम के अर्थ पर बिल्कुल भी मत जायेगा, क्यूंकि यह अपने नाम के बिल्कुल ही परे प्रकृति की अद्भुत खूबसूरती से धनी है। पर्यटक मिरिक से कंचनजंगा की चोटी के खूबसूरत नजारों को देख सकते है। इसके अलावा आप यहां के बौद्ध मठों के भी दर्शन कर सकते हैं। इसके अलावा मिरिक कई सारे चाय के बागानों से घिरा हुआ है, जहाँ से लोकप्रिय दार्जीलिंग चाय का उत्पादन होता है। पर्यटक मिरिक में सुमेंदु झील ,मिरिक झील, बोकर मठ चीड़ के जंगल आदि देख सकते हैं।
डूअर्स
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