भारत में मंदिरों की कोई कमी नहीं है और इन मंदिरों की प्रभुता भी किसी से कम नहीं है। ये सभी मंदिर अपनी-अपनी खासियत के लिए जाने जाते हैं। झारखंड के रांची में एक ऐसा मंदिर है, जिसका नाम आजादी से जुड़ा हुआ है। रांची शहर से करीब 5 किमी. दूर एक पहाड़ी पर स्थित महादेव का एक मंदिर है। पहाड़ में बसे होने के कारण इस शिव मंदिर को पहाड़ी मंदिर भी कहा जाता है।
श्रावण के महीने में इस मंदिर में देश के हर ओर से शिव भक्त जल चढ़ाने आते हैं। पहाड़ी बाबा के नाम से मशहूर इस मंदिर में फरवरी से लेकर अक्टूबर तक भक्तों की काफी भीड़ देखी जाती है। महाशिवरात्रि, नागपंचमी और पूरे श्रावण भर भक्तों की लंबी कतारें यहां देखने को मिल जाती है। इस मंदिर से पूरे रांची शहर का खूबसूरत नजारा भी दिखता है। इस पहाड़ी से सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा देखने में काफी विहंगम लगता है।
तलहटी में स्थित खूबसूरत रांची झील
इस पहाड़ी मंदिर की तलहटी में एक खूबसूरत रांची झील है, जिसकी साल 1842 में एक अंग्रेज कर्नल ओनस्ली द्वारा खुदाई करवाई गई थी। जो यहां के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। यह झील दो मंदिरों और एक स्तंभित स्नान घाट से घिरी हुई है, जहां पहाड़ी मंदिर में दर्शन करने वाले दर्शनार्थी सीढ़ियां चढ़ने से पहले डुबकी लगाते हैं। मानसून के सीजन में इस पहाड़ी की खूबसूरती देखने लायक बनती है।
इतिहास से जुड़ा है ये मंदिर
यहां के लोकल लोगों का कहना है कि आजादी की लड़ाई के दौरान यहां कई स्वतंत्रता सेनानियों का फांसी पर चढ़ाया गया था। जब देश को आजादी मिली थी, तब रांची के लोगों ने उन शहीदों को सम्मान देने के लिए यहां तिरंगा फहराया था। तभी से यहां ये परम्परा जारी है और हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को यहां तिरंगा फहराया जाता है, जो देश के किसी और मंदिर में देखने को नहीं मिलता।
कैसे पहुंचें पहाड़ी मंदिर
भगवान शंकर को समर्पित इस पहाड़ी मंदिर के शिखर तक पहुंचने के लिए 468 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर परिसर का नजदीकी रेलवे स्टेशन रांची स्टेशन है, जो मंदिर परिसर से करीब 8 किमी. की दूरी पर स्थित है। वहीं, मंदिर तक पहुंचने के लिए नजदीकी हवाई अड्डा रांची एयरपोर्ट है, जो 12 किमी. की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा इस शहर का मार्ग देश के विभिन्न राजमार्गों से जुड़ा है।