पार्वती घाटी में कसोल एक प्रमुख बिंदु है ,पार्वती नदी के किनारे बसा हुआ गांव कसोल कुल्लू से महज 40 किलो-मीटर की दूरी पर स्थित है। कसोल गांव एडवेंचर प्रेमियों के लिए बेहद खास है, क्योंकि वे यहां आराम से प्रकृति की गोद मे तारो की छांव का आनन्द ले सकते हैं।
बीते कुछ सालों में कसोल पर्यटकों के बीच ख़ासा प्रसिद्ध हो गया है, जिसके चलते अब यह एक व्यस्तम हिलस्टेशन शामिल हो चुका है। इन सबके अलावा कसोल इज़राइली पर्यटकों की भरमार के लिए भी जाना जाता है। इज़राइली पर्यटकों की भीड़ के चलते यहां कई इज़राइली रेस्तरां आदि देखे जा सकते है। लेकिन कसोल के आसपास कई खूबसूरत गांव बसे हुए, जहां प्रकृति की गोद में छुपकर अपनी छुट्टियों को शांति से बिता सकते हैं।
इसी क्रम में आज हम आपको रूबरू कराने जा रहें हैं, पार्वती घाटी के कुछ बेहद ही खूबसूरत गांवों से जो शहर के कोलाहल से बहुत ही दूर है, और वहां की असीम शांति मन को बेहद शांति पहुंचाती है।
तोश
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हिमाचल प्रदेश में तोश के लोग ज्यादातर किसानों और पशुपालन चिकित्सक हैं। गांव में सेब और गांजे की खेती की जाती है। तोश एक बेहद ही शांत प्रीत हिलस्टेशन हैं, जो आपकी छुट्टियों को बेहद खूबसूरत बनाती है।
कैसे पहुंचे तोश?
तोश पहुँचने के लिए पहले पर्यटकों को कसोल पहुंचना होगा, उसके बाद वहां कसोल से तोश तक रास्ता बरशैनी के माध्यम से जाता है, इसमें एक ट्रेकिंग ट्रेल भी शामिल है जिसे स्थानीय टैक्सी के साथ भी पूरा किया जा सकता है।
कहां रुके
पर्यटकों के रुकने के लिए गांव के मुख्य द्वार पर ही एक गेस्ट हाउस बना हुआ है। इसका एक कारण यह है कि पर्यटन तोश में एक नया कारक है। यहां पर सभी आवास बजट अनुकूल हैं, इसलिए आपके बजट में कोई कमी नहीं आएगी।
चलाल
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कसोल से 20 मिनट की ट्रेकिंग कर आसानी से चलाल पहुंचा जा सकता है। यहां आने के बाद आप खुद को प्रकृति के करीब पायेंगे। इस गांव में ना कोई शोर शराबा, ना पार्टी की धुनें, अगर हैं तो सिर्फ पक्षियों की चहचाहट, जो आपको डिस्टर्ब नहीं बल्कि आनंदित करती है। अगर आप चलाल की खूबसूरती को अपनी यादों और कैमरे में सजों कर रखना चाहते हैं, तो यहां के सनराइज और सनसेट को देखना कतई ना भूलें, साथ ही गांव को घूमते हुए इस जगह की खूबसूरती को निहारे और पार्वती नदी की बहते पानी में अपिर भिगोते हुए डूबते हुए सूरज को जरुर देखें।
चलाल के लगभग सभी घर पुराने, पारंपरिक लकड़ी से बने हुए हैं जो गंभीर सर्दियों और भारी मानसून को ध्यान में रखते हुए बनाए जाते हैं। पिछले कुछ सालों में, चलाल ट्रान्स और साइकेडेलिक पार्टियों के लिए केंद्र बन गया है, जहां बीच घने जंगलों में पार्टी की जाती है। इस खूबसूरत घाटी के बीच कभी खत्म ना होने वाले पार्टीज में विश्व स्तरीय डीजे अपनी परफॉरमेंस देने के लिए पहुंचते हैं, जो आसपास के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
रसोल
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हिमालय की तलहटी में छुपा हुआ बेहद खूबसूरत सा गांव रसोल अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए जाना जाता है। इस खूबसूरत गांव में आप ट्रेकिंग के सहारे आसानी से पहुंच सकते हैं। पर्यटक इस गांव तक पहुँचने के लिए कसोल या चलाल को अपना बेस कैम्प बना सकते हैं,आमतौर पर उन खड़ी चढ़ाई को कवर करने में 3-4 घंटे लगते हैं।
चढ़ाई करते वक्त, आप रास्ते में कई मनोहर नजारों को देख सकते हैं, जो गांव का रास्ता भी दिखाते हैं। इस गांव में लोग गांजे की खेती करते हैं, और ऊन कताई करते हैं। यह जगह बैगपैकर के लिए बेहद खास है, क्यों कि इस जगह को घूमते हुए काफी कुछ देखा जा सकता है।
खीरगंगा
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पार्वती घाटी में स्थित खीरगंगा पर्यटकों के बीच खासा प्रसिद्ध है, जो बेहद ही खूबसूरत नजारे प्रस्तुत करती है। यह खूबसूरत जगहें अपने गर्म पानी के कुंड के लिए जानी जाती है। जहां सर्दियों के दौरान यहां आप बर्फ से ढके पहाड़ देख सकते हैं, तो गर्मियों में आप यहां उत्तर भारत की गर्मी से राहत पा सकते हैं। यह जगह रोमांचक भी है, आप यहां बर्फ की पहाड़ियों के बीच गर्म पानी के कुंड में डुबकी लगाते हुए आसपास के मनमोहक नजारों और बर्फ से ढके पहाड़ों को देख सकते हैं।
गर्मियों की छुट्टियों में फुल ऑन एडवेंचर का मजा देता है खीरगंगा
मलाना
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चंद्रखानी और देव तिब्बा के रहस्यमय चोटियों से घिरा हुआ मलाना पार्वती घाटी में स्थित है। इस गांव को सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक माना जाता है और आज तक, यह दुनिया के बाकी हिस्सों से थोड़ा अलग है। यह जगह प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। पर्यटक मलाना कसोल और रसोल के रास्ते आसानी से पहुंच सकते हैं। कहा जाता है कि हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के मलाणा में विश्व की सबसे पुरानी लोकतांत्रिक व्यवस्था अभी भी पल रही है। भारत का अंग होते हुए भी मलाणा की अपनी एक अलग न्याय और कार्यपालिका है। भारत सरकार के कानून यहां नहीं चलते।
मलाना गांव की दुकानों में बाहरी पर्यटक आसानी से सामान खरीद सकते हैं, पर बाहरी लोग दुकान में न जा सकते हैं न दुकान छू सकते हैं। बाहरी ग्राहकों के दुकान के बाहर से ही खड़े होकर सामान मांगना पड़ता है। दुकानदार पहले सामान की कीमत बताते हैं। रुपए दुकान के बाहर रखवाने के बाद सामन भी बाहर रख देते हैं।
इस गांव में कुछ भी छुआ तो देना पड़ता है जुर्माना
पुल्गा
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पुल्गा पार्वती घाटी में बसा हुआ छोटा सा गांव है, जो आज भी पर्यटकों की नजरो से बहुत दूर है। ना तो यहां सैलानियों की ज्यादा भीड़ भाड़ है, ना ही कोई शोर शराबा। पार्वती घाटी में स्थित पुल्गा पहुंचना थोड़ा सा मुश्किल है। दरअसल, इस गांव तक कोई बस या जीप नहीं जाती है, इसके लिए आपको करीबन 3 किमी की चढ़ाई करनी होगी। इस चड़ाई के दौरान आप खूबसूरत खीरगंगा को भी निहार सकते हैं। अगर आप चढ़ाई नहीं करना चाहते हैं, इस गांव तक पहुँचने के दो पैदल चलने वाले पुल भी है। जिसके बगल से दो झरने भी बहते हैं, आप चाहें तो आप उसी पुल पर बैठकर मदमस्त कर देने वाली हवा के संग झरनों को भी निहार सकते हैं।
ग्रहण
पार्वती घाटी अपने दामन में कई खूबसूरत और प्रकृति से भरे गांवो को समेटे हुए हैं। ग्रहण भी पार्वती घाटी का एक ऐसा ही खूबसूरत गांव है, जहां आपको असीम शांति का एहसास होगा, लेकिन मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलेगा। खास बात इस गांव शराब और अन्य चीजो का सेवन पूरी तरह वर्जित है, जिसके कारण आप यहां आज भी दूर दूर सिर्फ हरियाली की देख सकते हैं।
टिप्स- पार्वती घाटी के इन गांवों की सैर करते हुए, इन साफ़ सुथरे गाँवों को कृप्या करके गन्दा ना करें।
हिमाचल प्रदेश के अंजान, प्रकृति की गोद में बसे गाँव!