प्रारंभिक उच्च शिक्षा, मोक्ष व उन्नत बुद्धिजीवियों का केंद्र रहा बिहार, कभी भारत का सिरमौर हुआ करता था, जिसका प्राचीन नाम 'मगध' था। इतिहास के पन्नों को अगर खंगाला जाए तो पता चलेगा, कि इस ऐतिहासिक भूमि ने शिक्षा की अलख जगाने से लेकर रणभूमि में मर मिटने को तैयार कई वीर योद्धा तक दिए हैं।
यह भारत का वो उत्तरोत्तर भाग था जिसने धर्म, अध्यात्म, शिक्षा, सभ्यता-संस्कृति की अलौकिक किरणों से, पूरे संसार को आलोकित किया। आज हमारे साथ जानिए बिहार के उन ऐतिहासिक प्रतीकों के बारे में, जिनके मजबूत स्तंभों के बल पर भारत ने अपनी आधुनिक यात्रा शुरू की।
उच्च शिक्षा का केंद्र नालंदा
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प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा के लिए विश्व विख्यात रहा नालंदा, उस समय का सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा केंद्र था। यहां बौद्ध धर्म के अलाव कई अन्य धर्म के छात्र एकसाथ पढ़ते थे। विश्व धरोहर नालंदा का निर्माण गुप्त शासक कुमारगुप्त ने करवाया था। यह स्ठल बौद्ध अनुयायियों के लिए एक मठ के रूप में ही उभरा। नालंदा विश्वविद्यालय के वृहद आकार के बारे में इस तरह पता चलता है, कि यहां तकरीबन 10 हजार विद्यार्थियों के साथ 1000 शिक्षक मौजूद थे। इसे विश्व का पहला आवासीय विश्वविद्यालय कहा जाता है।
क्यों आएं नालंदा
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विश्वविद्यालय के पास ही यहां एक पुरातात्विक संग्रहालय भी मौजूद है, जहां खुदाई से प्राप्त उस समय के अवशेषों को संभाल कर रखा गया है। यहां बुद्ध की विभिन्न मूर्तियों को साथ पुराने सिक्के, अभिलेख, तांबे से बने प्लेट-बर्तनों को रखा गया है। यह भारत का पहला ऐसा शिक्षण संस्थान था जहां पाली साहित्य व बौद्ध धर्म की पढ़ाई के साथ, शोध को भी महत्व दिया गया। कहा जाता है यहां मौजूद पुस्तकालय में इतनी किताबें रखी गईं थी, कि जब खिलजी ने इसे जलाया तो इन किताबों की आग कई दिनों तक सुलगती रही।
खूबसूरत पर्यटन स्थल राजगीर
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बिहार प्रांत के नालंदा जिले में स्थित राजगीर एक बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थल है, जो अपनी धार्मिक छवि के लिए पूरे दुनिया भर में जाना जाता है। वसुमतिपुर, वृहद्रथपुर, कुशाग्रपुर, गिरिव्रज और राजगृह के नाम से प्रसिद्ध रहा राजगीर कभी मगध राज्य की राजधानी हुआ करता था। पटना शहर से लगभग 106 किमी की दूरी पर, पहाड़ियों से घिरा राजगीर एक धार्मिक स्थल के साथ-साथ एक खूबसूरत हेल्थ रिसॉर्ट भी है। आप यहां हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध-जैन धर्मों के जुड़े तीर्थ स्थलों को भी देख सकते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार राजगीर बह्मा की पवित्र यज्ञ भूमि का केंद्र था, जहां भगवान बुद्ध और महावीर ने लंबी साधना की।
क्यों आएं राजगीर
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राजगीर का पौराणिक व ऐतिहासिक महत्व इस बात से लगाया जा सकता है, कि इस शहर का जिक्र पुराणों में भी मिलता है। इस स्थल का बौद्ध धर्म और उनके अनुयायियों से गहरा संबंध रहा है। इसी पावन धरा पर भगवान बुद्ध कई वर्षों तक रहे, साथ ही कई महत्वपूर्ण जन उपदेश भी दिए। आज भी यहां बौद्ध धर्म से जुड़े लोगों को आना-जाना लगा रहता है। आप चाहें तो यहां स्थित कई अन्य ऐतिहासिक स्थलों के दर्शन कर सकते हैं, जिनमें विश्व शांति स्तूप, जरासंध का अखाड़ा, सोन भंडार , मणियार मठ, नौलखा मंदिर, तपोवन, जेठियन बुद्ध पथ, विम्विसार का बन्दीगृह, सप्तपर्णी गुफा आदि आपकी बिहार यात्रा का हिस्सा बन सकते हैं।
बुद्ध की तपोभूमि बोधगया
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भगवान बुद्ध की तपोभूमि के नाम से विश्व विख्यात बोधगया, बिहार प्रांत में स्थित एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। जहां देश-विदेश के लोग मानसिक व आत्मिक शांति की कामना लिए खिंचे चले आते हैं। बौद्ध धर्म से जुड़े चार स्थल, बौद्ध गया, कुशीनगर, सारनाथ, लुम्बिनी में बौद्ध गया का सर्वोच्च स्थान है। यहां स्थित बोधि वृक्ष के तले बैठ गौतम बुद्ध ज्ञान की प्राप्ति हुई। इसलिए यह स्थान बौद्ध धर्म से जुड़े लोगों के लिए एक तीर्थस्थल है। आपको बोध गया में बुद्ध से जुड़ी सारी चीजें मिल जाएंगी। आप यहां भूटानी, जापानी, व चीनी, थाई मठों के दर्शन भी कर सकते हैं।
क्यों आएं बोध गया
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इसी पावन स्थल पर गौतम बुद्ध ने लंबा समय बिताकर ज्ञान की प्राप्ति की, और सारनाथ जाकर अपना पहला धार्मिक उपदेश दिया। सत्य की खोज में निकले कपिलवस्तु के राजकुमार गौतम ने पूरे बिहार को अपनी ज्योति से प्रकाशवान किया।
बता दें कि बोध गया के ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व को देखते हुए यूनेस्को ने 2002 में इस स्थल विश्व धरोहर घोषित किया। अगर आप बोधगया अच्छी तरह घूमना चाहते हैं, तो आप कम से कम दो दिन का वक्त जरूर निकालें। यहां भगावन बुद्ध से जुड़े कई साक्ष्य मौजूद हैं, जिनके दर्शन कर आप बिहार के गौरवाशाली अतीत को आसानी से समझ सकते हैं।
ऐतिहासिक शहर पटना
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आधुनिक पटना जिसे कभी इसके ऐतिहासिक नाम पाटलिपुत्र से बुलाया जाता था । वर्तमान में यह शहर बिहार राज्य की राजधानी है। इतिहासकारों की मानें तो इस शहर को बसाने का श्रेय राजा पत्रक को जाता है। उन्होंने इस का निर्माण अपनी रानी पाटलि के लिए करवाया था। इसलिए इस शहर का नाम रानी पाटलि के नाम पर ही पड़ा। इस शहर का इतिहास करीब 490 ईसा पूर्व का है, जब यहां के शासक अजातशत्रु ने अपनी राजधानी राजगीर से बदलकर यहां स्थापित की। जिसके पीछे रणनीतिक कारण था।
क्यों आएं पटना
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अगर आप बिहार के पौराणिक व ऐतिहासिक महत्व को समझना चाहते हैं, तो पटना जरूर आएं। पटना, बिहार का मुख्य केंद्र बिंदु है, जहां से आप अन्य पर्यटन स्थलों की सैर का आनंद ले सकते हैं। यहां आपको मौर्य-गुप्तकालीन, कई ऐतिहासिक स्थल मिल जाएंगे, जिन्हें आप अपनी यात्रा का मुख्य हिस्सा बना सकते हैं। आप यहां अगम कुआं (सम्राट अशोक के काल का एक कुआं), कुम्हरार को भी देख सकते हैं, जो बिहार के स्वर्णिम दिनों की याद दिलाता है। इसके अलावा आप मध्ययुगीन इमारतें जैसे बेगू हज्जाम की मस्जिद, शेरशाह की मस्जिद, क़िला हाउद व पादरी की हवेली को भी देख सकते हैं। साथ ही आप अंग्रेजकालीन भवनों की सैर का भी आनंद उठा सकते हैं।
ऐतिहासिक गांव वैशाली
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बिहार राज्य में स्थित वैशाली एक ऐतिहासिक गांव है, जो भगवान गौतम बुद्ध की कर्मभूमि के रूप में जाना जाता है। इस स्थल पर बुद्ध का तीन बार आगमन हुआ। कहा जाता है 16 महाजनपदों में वैशाली का स्थान मगध के जैसा ही था। यही वो स्थान था जहां भगवान महावीर का जन्म हुआ। इसलिए यह भूमि बौद्ध अनुयायियों के साथ-साथ जैन के मतावलम्बियों के लिए भी तीर्थस्थान मानी जाती है। अपने धार्मिक महत्व के चलते वैशाली एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल के रूप में उभरा है। महात्मा बुद्ध से जुड़े उपरोक्त स्थलों के बाद आप इस ऐतिहासिक गांव की सैर का भी आनंद ले सकते हैं।
क्यों आएं वैशाली
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गंगा के किनारे बसा यह स्थल अपने सांस्कृतिक व धार्मिक महत्व के लिए विख्यात है। आप यहां के संस्थागार को भी देख सकते हैं जहां कभी राजनीतिक विषयों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुआ करती थी। इसके साथ ही यहां अपराधियों को सजा देने की व्यवस्था भी की जाती थी। कहा जाता है, यह स्थान गौतम बुद्ध को बहुत प्रिय था। आप यहां के आसपास स्थित दर्शनीय स्थलों को भी देख सकते हैं, जिसमें सम्राट अशोक द्वारा निर्मित अशोक स्तंभ, बौद्ध स्तूप, विश्व शांति स्तूप, बावन पोखर मंदिर, राजा विशाल का गढ़ व कुण्डलपुर को अपनी बिहार यात्रा में शामिल कर सकते हैं।