भारत के महाराष्ट्र राज्य में स्थित देवगिरी एक प्राचीन शहर है, जो औरंगबाद से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित है। अपने ऐतिहासिक महत्व के कारण यह शहर पर्यटकों के मध्य काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। देश-विदेश से सैलानी यहां के अद्भुत स्थलों को देखने के लिए आते हैं। इस स्थान पर कई राजवंशों ने राज किया है, जिसका छाप आज भी यहां की प्राचीन संरचनाओं में दिखाई पड़ती है।
चौदहवीं शताब्दी ईसवी के दौरान मुहम्मद बिन तुगलक ने इस शहर के नवीनीकरण का काम किया। वर्तमान में देवगिरी भारत के चुनिंदा ऐतिहासिक स्थलों में शामिल है। पर्यटकों के देखने के लिए यहां बहुत कुछ है। इस लेख के माध्यम से जानिए पर्यटन के लिहाज से यह प्राचीन स्थल आपको लिए कितना खास है।
दौलताबाद का किला
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देवगिरी के ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण की शुरूआत आप यहां के प्राचीन दौलताबाद के किले से कर सकते हैं। यह एक मजबूत संरनचा है, जो अपनी अद्भुत वास्तुकला से पर्यटकों को काफी हद तक प्रभावित करती है। दौलताबाद भारत के उन किलो में शामिल है जिन्हें जिता नहीं गया। 20मीटर की ऊंची पहाड़ी पर स्थित इस किले को यादव राजवंश ने बनवाया था।
इस पहाड़ी को बड़ा हिस्सा काटा गया था, ताकि ऊपर तक पहुंचा जा सके। यहां पहुंचने के लिए काफी जटील रास्ते बनाए गए थे, जिसके की आक्रमणकारी भ्रमित हो जाएं। अगर आप देवागिरी आएं तो इस किले की सैर जरूर करें।
अंजता की गुफाएं
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देवागिरी के आसपास आप और भी कई प्राचीन अद्बभुत स्थलों की सैर सकते हैं। आप यहां की विश्व प्रसिद्ध अंजता की गुफाएं देख सकते हैं। दौलताबाद से ये गुफा स्थल कुछ ही दूरी पर स्थित है। अंजता की गुफाएं 30 मानव निर्मित बौद्ध गुफाएं हैं, जो दूसरी शताब्दी के दौरान सातवाहन राजाओं ने बनवाई थीं।
यह भारत के सबसे पुरातात्विक स्थलों में गिनी जाती हैं। इन गुफाओं के माध्यम से आप शानदार बौध वास्तुकला को भी देख सकते हैं। गुफाओं की दीवारों पर की गई नक्काशी देखने लायक है। अगर आप इतिहास में दिलचस्पी रखते हैं तो यहां का भ्रमण जरूर करें।
एलोरा की गुफाएं
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अंजता की तरह एलोरा की गुफाएं भी भारत के सबसे बड़े पुरातात्विक स्थलों में गिनी जाती है। ये गुफाएं अजंता से थोड़ी अलग हैं, जो जैन केव कहलाती है। इन गुफाओं का निर्माण सातवाहन राजवंश के शासनकाल के बाद किया गया था। ये गुफाएं जैन धर्म के साथ-साथ हिन्दू धर्म और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी महत्व रखती हैं। यहां आपको हिन्दू और बौद्ध धर्म से जुड़ी गुफाएं और मंदिर भी देखने को मिलेंगे।
7वी शताब्दी से जुड़ी इन गुफाओं का निर्माण राष्ट्रकुट साम्राज्य ने किया था। यहां 17 हिन्दू गुफाएं, 12 बौद्ध गुफाएं और 5 प्राचीन जैन गुफाएं मौजूद हैं। एलोरा गुफाएं इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों के लिए एक खास गंतव्य है।
चीनी महल
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प्राचीन गुफाओं के अलावा आप यहां के अन्य आकर्षण चीनी महल की सैर का आनंद ले सकते हैं। यह एक पुराना महल है जो किेले के अंदर स्थित है। इस किले का नाम चीनी इसलिए रखा गया है क्योंकि इन महल को बनाने के लिए चीनी मिट्टी की टाइल्स का इस्तेमाल किया गया है। यह एक अद्भुत किला है जो अपनी शानदारा वास्तुकला के लिए जाना जाता है।
अतीत के पन्ने बताते हैं कि इस महल का निर्माण शाही कारागृह के रूप में किया जाता था। यहां आप मुगल और पर्शियन शैली का अद्भुत मेल देख सकते हैं। माना जाता है कि यहां कुतुबशाही साम्राज्य(गोलकुंडा) के अंतिम बादशाह अब्दुल हसन तना शाह को औरंगजेब ने यहीं रखा था।
चांद मीनार
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उपरोक्त स्थलों के अलावा आप यहां कि प्रसिद्ध चांद मीनार को देख सकते हैं। 64मीटर लंबा और 21 मीटर चौड़ा यह स्तंभ दौलताबाद किले के अंदर स्थित है। माना जाता है कि इस मीनार का निर्माण अला-उद-दीन बहमनी ने दौलताबाद किले पर कब्जा करने की खुशी में 1445 में करवाया था।
देवगिरी इतिहास के खजानों से भरा पड़ा है, यहां की एक यात्रा आपको भारतीय इतिहास के बारे में बहुत कुछ बता सकती है। अगर आप ऐसी शानदार स्थलों के भ्रमण का शौक रखते हैं तो यहां जरूर आएं।