आज के जमाने हर किसी के घूमने की एक अलग ही चॉइस होती है, कोई हरे भरे पहाड़ देखना पसंद करता है तो कोई बर्फ से घिरी वादियों को तो कोई नीले समुंद्र को। तो वहीं कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जिन्हें इतिहास में बेहद दिलचस्पी होती है और वह इतिहास को करीब से जानने के इच्छुक रहते हैं।
अगर भारत के इतिहास की बात की जाए तो यह काफी समृद्ध है, भारत में आज भी कई ऐसी ऐतिहासिक जगहें मौजूद है, जिनके बारे में पर्यटक अभी भी अनिभिज्ञ है। इन जगहों पर पहुंचना भले ही मुश्किल हो, लेकिन जब आप इन जगहों की खूबसूरती को निहारेंगे और सिर्फ देखने मात्र से ही खुद-ब-खुद वाह निकल जायगा और आप अपने और अपनी धरोहरों पर गर्व करेंगे।
कुम्भलगढ़ राजस्थान
कुम्भलगढ़ किला राजस्थान राज्य का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण किला है। इसका निर्माण पंद्रहवी सदी में राणा कुम्भा ने करवाया था। पर्यटक किले के ऊपर से आस पास के रमणीय दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। शत्रुओं से रक्षा के लिए इस किले के चारों ओर दीवार का निर्माण किया गया था। ऐसा कहा जाता है कि चीन की महान दीवार के बाद यह एक सबसे लम्बी दीवार है। इस दुर्ग के अंदर करीबन 360 हिन्दू मंदिर और 300 जैन मंदिर स्थापित है।PC: Kunal 3405
रबदेन्त्से ,सिक्किम
रबदेन्त्से सिक्किम की पुरानी राजधानी हुआ करती थी, बैकपैकिंग को पसंद करने वालों के लिए यह बहुत आम जगह है इस जगह का सबसे अच्छा हिस्सा पमायंगत्से मठ है। यह देश के सबसे पुराने मठों में से एक है। इसके अलावा, आप यहां कुछ लंबी पैदल यात्रा और प्राकृतिक दर्शनीय स्थलों की यात्रा के साथ साथ ऊँची ऊँची पर्वत श्रृंखलायों को देख सकते हैं। यहां कई बौद्ध संस्कृति के खंडहर भी है,जो इसे पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बनाते हैं। इसके अलावा आप सिक्किम के लजीज भोजन का स्वाद भी ले सकते हैं।PC:Amritendu Mallick
तुगलकबाद,नईदिल्ली
तुगलकाबाद किला दिल्ली में एक बर्बाद किले है। जिसे तुगलक वंश के संस्थापक ग्यास - उद - दीन तुगलक द्वारा 1321 में बनवाया गया था। यह किला पूरी दिल्ली में सबसे बड़ा किला है और इसकी वास्तुकला अपने आप में बेमिसाल है अगर आपको इसकी वास्तुकला का अवलोकन करना हो तो आप यहाँ बनी मस्जिदों, महलों, टावरों, इमारतों और टैंक में इस वास्तुकला को देख सकते है। इस किले के निर्माण का मुख्य उद्देश्य सम्राट तुगलक की रक्षा करना था। कहा जाता है की इस किले की दीवारें भारत में बने अन्य किलों से कहीं ज्यादा मोटी हैं। तुगलकाबाद, जो दिल्ली के तीसरे शहर के रूप में जाना जाता था आज एक खंडहर में तब्दील हो चुका है। इस शहर का लेआउट आज भी आप यहाँ की सड़कों और शहर की अन्य सड़कों से देख सकते हैं। ये किला वर्तमान में कुतुब परिसर के पास स्थित है।PC: Anupamg
मालुती मंदिर, झारखण्ड
मालुती मंदिर का समूह झारखण्ड के मालुती गाँव में स्थित है।ये मंदिर टेराकोटा से बने हुए हैं। ये मालुती टेराकोटा मंदिर आकार में भले ही छोटे हैं पर इनकी कलात्मकता देखते ही बनती है। हर मंदिर में हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं जैसे रामायण और महाभारत को खोद कर दर्शाया गया है। यहाँ की मुख्य देवी मौलाक्षी के मंदिर के अलावा, यहाँ अन्य मंदिर भी स्थापित हैं जो भगवान शिव जी, विष्णु जी, माँ दुर्गा, माँ काली और कई अन्य देवी देवताओं को समर्पित हैं।PC:Sapian
विक्रमशिला विश्वविद्यालय
देश के नालंदा और अन्य विश्वविद्यालयों की तरह, यह एक प्राचीन शैक्षणिक केंद्र है। यह विश्वविद्यालय पूर्व दिशा में भागलपुर से 50 किमी दूर स्थित है। यह बौद्ध धर्म के सबसे बड़े शिक्षा केन्द्रों में से एक है। यह विश्वविद्यालय सैकड़ों एकड़ भूमि में फैला हुआ है, जिसमे करीबन 52 कमरे हैं,एक बड़ा गलियारा, स्तूप और एक बड़ा पुस्तकालय है।PC:Prataparya
बासगो, लेह
इंदु नदी के किनारे स्थित बासगो का किला आज जीर्णोधर स्थित में है। लाद्द्ख का बासगो शहर एक बेहद ही महत्वपूर्ण सांस्कृतिक शहर है। इस किले के अंदर तीन मंदिर भी है, इस किले से पूरे बासगो को अच्छे से निहारा जा सकता है। अगर फोटोग्राफी का शौक है, तो इसे यहां जरुर पूरा करें।PC: Elroy Serrao
जोगेश्वर
उत्तराखंड स्थित जोगेश्वर अल्मोड़ा से कुछ दूरी पर स्थित है।इस जगह को मंदिरो का शहर भी कहा जात है क्योंकि यहाँ छोटे व बड़े मंदिर मिलाकर कुल 124 मदिर है जो हिंदू भगवान शिव को समर्पित मंदिर हैं। इन मंदिरों का इतिहास 9 से 13 वीं सदी तक की अवधि से है।PC:RFIndia
स्वतंत्रता सेल्युलर जेल, अंडमान
आजादी की लड़ाई के दौरान यह जेल अंग्रेजों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कैद रखने के लिए बनाई गई थी, , जो कि मुख्य भारत भूमि से हजारों किलोमीटर दूर स्थित थी, व सागर से भी हजार किलोमीटर दुर्गम मार्ग पड़ता था। यह काला पानी के नाम से कुख्यात थी।
हालांकि अब इस जेल में लाइट एंड साउंड शो के जरिये सेलुलर जेल के इतिहास को बताया जाता है, यह सूचना और मनोरंजन दोनों का ही मिश्रण है। यह शो हिन्दी और इंगलिश दोनों में ही दिखाया जाता है। जिन लोगों को इतिहास में रूची है यह शो उनके लिए बहुत ही लाभदायक है।
PC: Jomesh
अरावेलम गुफा,गोवा
गोवा में 31 अलग-अलग समुद्र तट हैं और यही कारण है जिसके चलते पर्यटक अन्य पर्यटक स्थलों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते। गोवा में कई ऐतिहासिक स्थल है, जिनमे से एक हैं अरावेलम की गुफाएं जोकि उत्तरी गोवा में प्राचीन गुफाओं, बिचोलिम में है। इन गुफाओं को पांडव गुफा के रूप भी कहा जाता है। महाभारत की महाकाव्य कहानी के अनुसार,पंचों पांडव इन गुफायों में अपनी पत्नी द्रौपदी के साथ रहते थे । दूसरी तरफ, यह एक और इतिहास है कि यह गुफा बौद्ध धर्म की उत्पत्ति के साथ जुड़ा हुआ है। गुफा के पास एक खूबसूरत झरना भी देखा जा सकता है, यह झरना बेहद दिलचस्प पर्यटन स्थल है। यदि आप गोवा में कुछ इंट्रेस्टिंग घूमने की चाह रखते हैं, तो यह जगह आपके लिए बेस्ट है।PC:Hemant192
रोजरी चर्च, कर्नाटक
इस चर्च को शायद ही कभी पर्यटकों ने देखा या सुना होगा।यह 200 वर्षीय गॉथिक बर्बाद हसन में स्थित है। इस खंडहर चर्च के पास हेमवती नदी बहती है..मानसून के दौरान यह नदी पूरे उफान पर रहती है, अपने उफांस इ नदी इस चर्च को छुपा लेती है। गर्मियों के दौरान जब पानी बह जाता है, तो इस चर्च को बखूबी देखा जा सकता है। यह फ्रेंच मिशनरियों द्वारा 17 वीं सदी के अंत में बनाया गया था।PC:Bikashrd
रानी की वाव, गुजरात
यह एक विश्व विरासत स्थल है जिसे एक विधवा रानी ने अपने पति की स्मृति में बनवाया था। बावली को उल्टे मंदिर की तरह बनाया गया है, जिसमें सात स्तरों में सीढ़ियां निचले स्तर तक बनी हुई हैं। बावली के हर स्तर में खूबसूरत नक्काशियां की गई हैं और कई पौराणिक और धार्मिक चित्रों को उकेरा गया है।यह वाव 64 मीटर लंबा, 20 मीटर चौड़ा तथा 27 मीटर गहरा है। वाव की खूबसूरत शैलियाँ सोलंकी वंश की कला में समृद्धि को बखूबी दर्शाती है। हर स्मारक का एक रहस्य होता है, उसी तरह रानी की वाव का भी है। बावली के सबसे निचले चरण की सबसे अंतिम सीढ़ी के नीचे एक गेट है जो 30 मीटर लंबे सुरंग की ओर ले जाती है और यह सुरंग सिद्धपुर गांव में जाकर खुलता है, जो पाटण के नज़दीक ही स्थित है।PC:Bernard Gagnon
चंपानेर पवागढ़ पार्क, गुजरात
चंपानेर-पावागढ़ पुरातत्व पार्क में अनेकों स्मारक स्थित है जिनमे से 38 स्मारकों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के दायरे में लिया गया हैं। सर्वेक्षण में धरोहर का संरक्षण तथा पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयत्न किये जा रहे हैं साथ ही साथ पर्यावरण के संरक्षण का कार्य भी किया जा रहा है।
PC: Tanumoy Kumar Ghosh
लोणार क्रेटर झील, महाराष्ट्र
यह एक छोटा उल्का झील है जो कई प्राचीन मंदिरों और स्मारकों से घिरा है।लोनार के इस गड्ढ़े का निर्माण प्लेइस्तोसने युग के दौरान पृथ्वी की सतह पर उल्का गिरने के कारण हुआ था।यह लगभग 52,000 साल पहले की बात है। कई सदियां और साल गुजरने के बाद यह गड्ढ़ा एक झील में बदल गया जिसे आज हम लोनार झील के नाम से जानते है। यह झील औरंगाबाद से 140 किमी दूर स्थित है।PC:Vivek Ganesan
नार्तिंगा दुर्गा मंदिर, मेघालय
यह मंदिर 500 वर्ष से अधिक पुराना है और लगभग पूर्ण आकार में है। यह प्राचीन भारत की अद्वितीय स्थापत्य शैली का उत्तम उदाहरण है। मंदिर अभी भी प्राचीन परंपराओं और अनुष्ठान करता है यह दर्शनीय स्थलों की यात्रा और अन्वेषण के लिए खंडहरों और मोनोलिथ स्मारकों से घिरा हुआ है।
तुलताल घर, असम
यह 17 वीं शताब्दी का एक सरल स्मारक है जो अब खण्डहर में तब्दील हो चुका है। यह दुनिया की एकमात्र इमारत है जिसे ताई अहोम वास्तुकला में बनाया गया है। यह एक अच्छा स्मारक है जिसमें कुछ सभ्य अन्वेषण आदि रखे हुए हैं।PC:Duttaroyal
अमरकंटक, मध्य प्रदेश
यह मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में स्थित है। यह हिंदुओं का पवित्र स्थल है। मैकाल की पहाडि़यों में स्थित अमरकंटक मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले का लोकप्रिय हिन्दू तीर्थस्थल है। यहां 11वीं शताब्दी के अनोखे मंदिर है जिसमें भौमितीय वास्तुकला का प्रदर्शन किया गया है। इस मंदिर में अनोखी प्राचीन नक्काशी और मंदिर के आस-पास घने जंगल हैं, जो इस जगह को अनोखा बनाता है।PC:R Singh
एरान स्मारक, मध्य प्रदेश
यह स्मारक एरन गांव में स्थित है जो सभ्यता का एक प्राचीन स्थल है। राज्य में अन्य प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के चलते यह जगह लोगो की नजरो से दूर हो गयी है। यह प्राचीन लोगों का सांस्कृतिक केंद्र है और आप यहाँ कई मूर्तियां देख सकते हैं।PC:Adarshkothia
उंडावल्ली गुफ़ा, आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में बसा उंडावल्ली गुफा, एक ही चट्टान को बनाया गया विशालकाय गुफ़ा है। यह गुफाएं जैन, बौद्धिक और हिन्दू संस्कृतिओ को दर्शाता है। यह 4 स्तरीय गुफा दूर से ,एक किले के रूप में दिखाई देती है।PC:Sindhukandru