Search
  • Follow NativePlanet
Share
» »होली स्पेशल - इस होली मथुरा आइये...और खुद को रंग डालिए कृष्ण भक्ति में

होली स्पेशल - इस होली मथुरा आइये...और खुद को रंग डालिए कृष्ण भक्ति में

अगर होली के असली रंगो को देखना है तो जनाब उत्तर प्रदेश के मथुरा पहुंच जाइये।

By Goldi

किसी ने सही कहा है कि, अगर होली के असली रंगो को देखना है तो जनाब उत्तर प्रदेश के मथुरा पहुंच जाइये। मथुरा जिसे कृष्ण की जन्मभूमि के नाम से भी लोग जानते हैं। यहां की होली इतनी प्रसिद्ध है कि लोग दूर विदेशों से भी खींचे चले आते हैं।

होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है।
पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते है। दूसरे दिन, जिसे धुरड्डी, धुलेंडी, धुरखेल या धूलिवंदन कहा जाता है, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं, और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े
पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयाँ खिलाते हैं। राग-रंग का यह लोकप्रिय पर्व वसंत का संदेशवाहक भी है।

आखिर मथुरा की होली इतनी लोकप्रिय क्यों है?

कहा जाता है कि, श्री कृष्ण सांवले थे और वह राधा के गोर रूप को लेकर उनसे चिढ़ते थे...इसलिए सब अक्सर राधा के ऊपर रंग फेंका करते थे भगवान श्री कृष्ण राधा को अपने दोस्तों के साथ बरसाने उन्होंने सिर्फ रंग लगाने जाते थे,
जिसके बाद गुस्से में राधा और उनकी सखियाँ सभी लड़को की डंडे से पिटाई करती थी..जिसके बाद इस होली को लट्ठ मार होली का नाम दे दिया गया। भले ही होली पूरे भारत में होली के दिन ही रंग से खेला जाये लेकिन मथुरा में होली
एक हफ्ते पहले ही शुरू हो जाती है।

बरसाना की लठ मार होली

बरसाना की लठ मार होली

ब्रज के बरसाना गाँव में होली एक अलग तरह से खेली जाती है जिसे लठमार होली कहते हैं। ब्रज में वैसे भी होली ख़ास मस्ती भरी होती है क्योंकि इसे कृष्ण और राधा के प्रेम से जोड़ कर देखा जाता है।
PC: wikimedia.org

नन्दगाँव कि होली

नन्दगाँव कि होली

यहाँ की होली में मुख्यतः नंदगाँव के पुरूष और बरसाने की महिलाएं भाग लेती हैं, क्योंकि कृष्ण नंदगाँव के थे और राधा बरसाने की थीं। नंदगाँव की टोलियाँ जब पिचकारियाँ लिए बरसाना पहुँचती हैं तो उनपर बरसाने की महिलाएँ खूब लाठियाँ बरसाती हैं। पुरुषों को इन लाठियों से बचना होता है और साथ ही महिलाओं को रंगों से भिगोना होता है।

मथुरा

मथुरा

भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ और उनका लालन पालन वृन्दाबन में हुआ था। यहां होली के चालीस दिन पहले से ही होली की शुरुआत कर दी जाती है।

वृन्दावन

वृन्दावन

वृन्दावन के श्री कृष्ण जन्मस्थान और बांके बिहारी मंदिर में होली का भव्य आयोजन होता है जिसे देखने पूरी दुनिया से पर्यटक आते हैं।

विधवाओं की होली

विधवाओं की होली

मथुरा में होली के रंग में रंगी उन बंगाली विधवाएं की जिन्होंने समाज को ये बताया कि औरों की तरह इन्हें भी खुशियां मनाने और अपनी भावनाओं को प्रकट करने का अधिकार है। हर साल विधवाएं पागल बाब मंदिर में होली के रंगो में सराबोर हो जाती है..

कैसे पहुंचे मथुरा

कैसे पहुंचे मथुरा

मथुरा दिल्ली जयपुर आगरा और लखनऊ से आसानी से पहुंचा जा सकता हैं। आइये जानते है मथुरा की मुख्य शहरों से दूरी

दिल्ली-मथुरा=183 कि.मी
जयपुर-मथुरा=225कि.मी
लखनऊ-मथुरा=403कि.मी
आगरा-मथुरा=57कि.मी
कानपुर-मथुरा=
356कि.मी
नॉएडा-मथुरा=140कि.मी

मथुरा का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट दिल्ली है जोकि मथुरा से करीबन 183 किमी की दूरी पर स्थित है। मथुरा का नजदीकी रेलवे स्टेशन मथुरा जंक्सन है..जहां से दिल्ली, मुंबई, आगरा ,लखनऊ के लिए आसानी से ट्रेने उपलब्ध हो जाती है।

कब जायें

कब जायें

उत्तर भारत के अन्य जगहों की तरह मथुरा जाने का सबसे उचित समय नवम्बर से मार्च के बीच होता है जब यहाँ मौसम काफी सुहावना रहता है। होली भी मार्च में ही होती है जनाब।

तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X