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देवादिदेव महादेव का पहला ज्योतिर्लिंग है सोमनाथ, खुद चंद्रदेव ने की थी इसकी स्थापना

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण खुद चंद्रदेव ने किया था। यहां हर वक्त भक्तों की भारी भीड़ देखी जाती है। अब ऐसे में अगर आप भी सोमनाथ मंदिर जाने की प्लानिंग कर रहे हैं लेकिन सही जानकारी ना होने के कारण आप वहां नहीं जा पा रहे हैं। तो हम आपको इस मंदिर से जुड़े सारे तथ्यों को इस आर्टिकल माध्यम से बताने जा रहे हैं।

मंदिर को लेकर मान्यता

इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी। पुराणों की मानें तो प्राचीन में राजा दक्ष प्रजापति ने अपनी 27 कन्याओं का विवाह चंद्र देव के साथ किया था। चंद्र देव अपनी सभी पत्नियों में से सबसे अधिक प्रेम रोहिणी से करते थें, जिसके चलते उनकी बाकी पत्नियों को रोहिणी से जलन होने लगी। इस बात की जानकारी जब राजा दक्ष को हुई तो उन्होंने चंद्र देव को धीरे-धीरे खत्म होने का श्राप दे दिया। इस श्राप से मुक्ति के लिए ब्रह्मा जी ने चंद्रदेव को प्रभास क्षेत्र में शिव जी की तपस्या करने के लिए कहा, जिसके बाद उन्होंने एक शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा अर्चना की थी, वो यही सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है।

somnath temple

आज भी रहस्य बना हुआ है बाण स्तंभ

सोमनाथ मंदिर के दक्षिण में समुद्र के किनारे एक बाण स्तंभ है। इतिहास के पन्नों में इसका जिक्र लगभग छठी शताब्दी से बताया गया है। लेकिन आज तक कोई भी इसकी सटीक जानकारी नहीं दे पाया कि आखिर यह कब बना और किसने बनवाया और क्यों बनवाया? हालांकि, कई विद्वानों का मत है कि बाण स्तंभ एक दिशा दर्शक-सूचक स्तंभ है। इसके ऊपरी सिरे पर एक तीर बनाया गया है, जिसका मुख समुद्र की ओर है। इस तरह लिखा है कि 'आसमुद्रांत दक्षिण ध्रुव, पर्यंत अबाधित ज्योर्तिमार्ग'। इसका मतलब है कि इस बिंदु से लेकर अगर दक्षिण ध्रुव तक एक सीधी रेखा खींची जाए तो बीच में एक भी पहाड़ या भूखंड का टुकड़ा नहीं आता है।

somnath temple

सोमनाथ मंदिर का इतिहास

करीब 155 फीट ऊंचे इस मंदिर के इतिहास की बात की जाए तो इस पर करीब 17 बार आक्रमण हुआ है और हर बार इसका जीर्णोद्धार भी हुआ है लेकिन आज तक इस मंदिर पर किसी भी कालखंड का कोई प्रभाव देखने को नहीं मिला। मान्यता है कि चंद्रदेव ने श्राप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की आराधना की थी इसीलिए इस मंदिर का नाम सोमनाथ पड़ा। ऋग्वेद में भी इस मंदिर के बारे में बताया गया है।

कैसे पहुंचे सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

यहां हवाई मार्ग, रेल मार्ग व सड़क मार्ग तीनों से पहुंचा जा सकता है। सोमनाथ के सबसे निकटतम हवाई अड्डे की बात की जाए तो दीव एयरपोर्ट यहां सबसे नजदीक है जो लगभग 63 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वही सोमनाथ के सबसे समीरा वन वेरावल रेलवे स्टेशन है जो यहां से मात्र 7 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पहुंचने के लिए आप अहमदाबाद व गुजरात के अन्य प्रमुख रेलवे स्टेशनों का सहारा ले सकते हैं। इसके अलावा अगर सड़क मार्ग की बात की जाए वेरावल तक बस सेवा से पहुंचा जा सकता है जहां के लिए राज्य के किसी भी कोने से बस सुविधा उपलब्ध है।

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