आजादी के 75 साल पूरे होने जा रहे हैं। इस आजादी के लिए न जाने कितने हिन्दुस्तानियों ने अपना खून बहाया है, तब जाकर ये आजादी हमें मिली है। न जाने कितने लोगों ने शहादत दी है, तब जाकर ये आजादी हमें मिली है। भारत में 'आजादी' शब्द को आज जिन सुनहरे अक्षरों में लिखा जाता है न, दरअसल उसे लिखने में न जाने कितने ने अपना खून पानी की तरह बहाया है। किसी ने अपनी कलाई पर राखी की जगह हथकड़ी लगाई तो किसी गले में वरमाला पहनने की जगह फांसी की फंदा पहना। सच कहते हैं 'यूं ही नहीं मिली आजादी'।
ऐसे वीर सिपाहियों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की शहादत का परिचय देने वाली भारत की इन जगहों पर आपको एक बार जरूर जाना चाहिए। देश इस अपना 75वां 'आजादी का महोत्सव' मना रहा है। ऐसे में आप इन डेस्टिनेशंस पर जाकर भारत के उन वीर सिपाहियों के शहादत को करीब से महसूस कर पाएंगे और आपको भी लगेगा कि आपको 'यूं ही नहीं मिली आजादी'।
आजादी को महसूस कराती ये खास जगहें...
जलियांवाला बाग, अमृतसर, पंजाब
जलियांवाला बाग का तो नाम आप सभी ने सुना होगा और अगर नहीं सुना है तो इसके बारे में हम बता दे रहे हैं। जलियांवाला बाग, अमृतसर में स्थित एक छोटा सा बगीचा है, जहां कई हिंदुस्तानियों को खड़ा कराकर गोलियों से भून दिया गया था। जी हां, 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन इस गार्डेन में ब्रिटिश सरकार द्वारा इस शर्मनाक घटना को अंजाम दिया गया था। गोलियों के निशान आपको गार्डेन के दीवारों पर साफ-साफ दिख जाएंगे, इस बगीचे में ही एक 'शहीदी कुआं' है, जिसमें कई हिंदुस्तानी जान बचाने के लिए कूद गए थे, लेकिन गोलियों की आवाज सुनकर जान बचाने के लिए सैकड़ों लोग इसमें कूदे और देखते ही देखते ये कुआं लाशों के ढेर से पट गया था। आजादी के पर्व पर आप इस स्थान पर जाकर आप देशभक्ति के एहसास को फिर से महसूस कर पाएंगे।
वाघा बॉर्डर, अमृतसर, पंजाब
स्वर्ण मंदिर से करीब 70 किमी. की दूरी पर स्थित यह 'वाघा बॉर्डर' भारत और पाकिस्तान की सीमा रेखा है। यहां हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को भारतीय सिपाहियों द्वारा खास कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिन्हें देखने के लिए देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं। ये कार्यक्रम किसी खास पर्व से कम नहीं होता, चारों ओर भारत माता की जय-जयकार होती है, इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगते हैं और हर भारतीय सिर्फ एक शब्द कहता है 'हिन्दुस्तान जिंदाबाद'। यकीन मानिए इस दिन ये अद्भुत नजारा देखकर आपको अपने भारतीय होने पर गर्व महसूस होगा।
जैसलमेर बॉर्डर, राजस्थान
राजस्थान के जैसलमेर में स्थित लोंगेवाला एक छोटा सा गांव है, जहां भारत और पाकिस्तान का बॉर्डर है। ये बॉर्डर करीब 471 किमी. लंबा है, भारत का सबसे लंबा बॉर्डर भी माना जाता है। ये वही जगह है, जहां 1971 में 4-5 दिसंबर को भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था। इस दौरान पाकिस्तान की ओर से भारत के करीब 11 स्टेशनों पर हवाई हमला कर भारतीय सेना के बेसमेंट पर कई बम गिराए गए, जिसके जवाब में भारतीय सेना ने जमकर मोर्चा संभाला और भारत को जीत दिलाई और एक नया देश बांग्लादेश का जन्म हुआ। इस लोंगेवाला पोस्ट को 'इंडो-पाक पिलर 638' के नाम से जाना जाता है। साल 1997 में आई शनी देओल स्टारर फिल्म 'बॉर्डर' की शूटिंग भी यहीं हुई थी। आजादी का महोत्सव मनाने के लिए यह एक अच्छा डेस्टिनेशन है, जहां आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ एक छोटा ट्रिप प्लान कर सकते हैं।
काला पानी जेल, अंडमान-निकोबार
अंडमान-निकोबार एक द्वीप समूह है, जो प्राकृतिक रूप से बेहद शानदार और खूबसूरत है। यहां के हर हिस्से में आप देशभक्ति के जज्बे को महसूस कर सकते हैं। यहां राष्ट्रीय पर्व- 15 अगस्त और 26 जनवरी पर कई खास कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यहीं पर 'काला-पानी का जेल' भी मौजूद है, जहां- वीर सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेनानी को बंद किया गया था। हालांकि, आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद इसे एक म्यूजियम और स्मारक के रूप में तब्दील कर दिया गया है, जहां आप जाकर देश के लिए शहीद हुए उन वीर सिपाहियों के दर्द को करीब से महसूस कर पाएंगे कि किस हाल में उन्हें यहां रखा जाता था।
दांडी, गुजरात
गुजरात के नवसारी जिले में स्थित दांडी का भी आजादी से गहरा नाता रहा है। ये वही स्थान है, जहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ नमक कानून को तोड़ा था। यहां आस-पास में महात्मा गांधी से जुड़े कई स्मारक बनाए गए हैं, जो उस पुराने समय का एहसास दिलाते रहते हैं। इस राष्ट्रीय पर्व पर अगर आप भी किसी खास डेस्टिनेशन पर जाने की सोच रहे हैं तो आप दांडी जा सकते हैं और यहां पर आपको कई ऐतिहासिक इमारत और सत्याग्रह आंदोलन से जुडी चीजें देखने को मिल जाएंगी।
साबरमती आश्रम, अहमदाबाद, गुजरात
साबरमती आश्रम को तो आप सभी जानते होंगे, यह गुजरात के अहमदाबाद जिले में साबरमती नदी के किनारे पर स्थित है। अहमदाबाद के कोचरब नामक स्थान में महात्मा गांधी द्वारा साल 1915 में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की गई। फिर साल 1917 में यह आश्रम साबरमती नदी के किनारे स्थांतरित हुआ और तब से इसका नाम साबरमती आश्रम पड़ गया। आश्रम की एक ओर सेंट्रल जेल और दूसरी ओर दुधेश्वर श्मशान है। इस आश्रम में महात्मा गांधी कई सालों तक रहे। देशभक्ति का एहसास करने के लिए यह एक खास स्थान है, जहां जाकर महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलनों को आप और करीब से जान पाएंगे।
लाल किला, दिल्ली
लाल बलुआ पत्थर से बना यह किला अपने लाल रंग होने के कारण लाल किला कहलाता है। लाल किला के सौंदर्य, भव्यता और आर्कषण को देखने के लिए दुनिया के कोने-कोने से हजारों- लाखों लोग आते हैं और इसकी शाही बनावट व अनूठी वास्तुकला की प्रशंसा करते हैं। यह वही स्थान है, जहां हर साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री झंडा फहराकर देश को संबोधित करते हैं। यहां स्वतंत्रता दिवस के कुछ दिन पहले से ही यहां तैयारियां शुरू हो जाती हैं, जहां जाकर आप देशभक्ति को महसूस कर सकते हैं और देश के इस खास पर्व में शामिल भी हो सकते हैं। इस किले को साल 2007 में यूनेस्को की विश्व धरोहर लिस्ट में भी शामिल किया जा चुका है।
इंडिया गेट, नई दिल्ली
देश की राजधानी नई दिल्ली के राजपथ मार्ग पर स्थित इंडिया गेट ऐसी ही जगहों में से एक है, जहां जाने पर अपने आप ही मन में देशभक्ति की भावना मन में जागृत हो जाती है। इस स्मारक पर वैसे तो हर रोज कई लोग पहुंचते हैं लेकिन 15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन यहां का नजारा ही कुछ और होता है, जिसे देखकर आप भी कहेंगे 'भारत माता की जय'। यहां आने पर आपको गर्व की अनुभूति होगी, जो आपने शायद ही कभी महसूस किया होगा।
कारगिल वॉर मेमोरियल, लद्दाख
3 मई 1999 में शुरू हुए भारत और पाकिस्तान के विश्व युद्ध में भारतीय सेना ने 26 जुलाई 1999 को कारगिल पर जीत हासिल की थी। इसमें शहीद हुए भारतीय वीर सपूतों को श्रद्धांजलि देने और पाक सेना पर दर्ज की गई जीत को याद रखने के लिए लद्दाख के कारगिल जिले के द्रास सेक्टर में कारगिल वार मेमोरियल बनाया गया है। जहां पहुंचते ही आपका दिल बोलेगा 'वंदे मातरम'। आजादी के इस 75वें साल पर आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ यहां घूमने जा सकते हैं।