ठाणे स्थित नालासोपारा महाराष्ट्र का एक ऐताहासिक स्थल है, जिसका इतिहास 1000 साल से भी अधिक वर्षों का बताया जाता है। इसे आम तौर पर सोपारा के नाम से संबोधित किया जाता है। यह नगर मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इतिहास से जुड़े साक्ष्य बताते हैं कि यह नगर शुर्पारक से संबंध रखता है, शुर्पारक महाराष्ट्र एक साम्राज्य था जो भार्गव रामा(जिन्हें परशुराम के नाम से भी जाना जाता है) द्वारा खड़ा किया गया था। जिसका उल्लेख महाभारत में भी मिलता है।
अतीत से संबंधित कई रोचक तथ्य इस नगर से जुड़े हैं। इस लेख के माध्यम से हमारे साथ जानिए इस नगर से जुड़े कई दिलचस्प तथ्यों के बारे में।
कैसे पड़ा नाम ?
नालसोपारा उल्लेखनीय रूप से इतिहास के स्वर्णिम युग में अपना स्थान ग्रहण करता है। इस शहर के नाम के पीछे भी एक दिलचस्प तथ्य जुड़ा है, माना जाता है कि नालासोपारा की जड़े शुर्पारक से जुड़ी है, शूर का अर्थ बहादूर और पराका का मतलब शहर। जो बाद में सोपारा के नाम से जाना गया।
रखता है प्राचीन महत्व
नालासोपारा एक प्राचीन शहर है, जो 8 वीं और 9वीं शताब्दी ईस्वी के दौरान विकसित हुआ था। यह समय बौध युग का माना जाता है। क्षेत्र सर्वेक्षण के दौरान मिले शिलालेखों से कई बातों का खुलासा हुआ है। ये शिलालेख अशोक के काल के माने जाते हैं, जिन्होंने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म का काफी प्रचार प्रसार किया था।
एक प्रमुख बंदरगाह
स्थल अध्ययन से और भी कई दिलचस्प तथ्यों के बारे में पता चला है, माना जाता है कि नालासोपारा प्राचीन समय में पश्चिमी घाट का एक बड़ा शहर और विदेशी व्यापार के लिए प्रमुख बंदरगाहों में से एक था । इस बंदरगाह के द्वारा भारत अरब, अफ्रीका, मिस्र और रोम के साथ व्यापार किया करता था।
बौद्ध धर्म से जुड़े तथ्य
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शोध के द्वारा पता चला कि यह शहर बौद्ध धर्म से भी संबंध रखता है। पुरातात्विक खुदाई के दौरान यहां से एक बड़ा बौद्ध स्तूप प्राप्त किया गया है। स्तूप के अंदर एक पत्थर का संदूक भी पाया पाया गया था। जिसमें भगवान बुद्ध की 8 वीं से 9वीं शताब्दी ईस्वी के दौरान की पुरानी आठ कांस्य छवियां मिली थीं।
रणनीतिक तौर पर इस्तेमाल
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ऐसा माना जाता है कि प्राचीन समय में इस नगर का इस्तेमाल अशोक द्वारा रणनीतिक रूप भी किया जाता था। साक्ष्य बताते हैं कि इस स्थल से अशोक बौद्ध धर्म का संदेश पूरी दुनिया में फैलाते थे। चुंकि यह एक बंदरगाह नगर था इसलिए यहां विदेशियों व्यापारियों का आना जाना लगा रहता था।
एक व्यस्त रेलवे स्टेशन
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प्राचीन महत्व के अलावा अगर नालासोपारा के वर्तमान पर बात की जाए तो पता चलेगा यह तेजी से विकसित होता महाराष्ट्र का नगर है, जो अपने व्यस्त रेलवे स्टेश के लिए भी जाना जाता है। नालासोपारा को अपना रेलवे स्टेशन 1920 में मिला। नालासोपारा मुंबई से चार सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों में गिना जाता है।
धार्मिक रूप से प्रसिद्ध
इन सब के अलावा नालासोपारा अपने धार्मिक महत्व के लिए भी जाना जाता है, यहां स्थित चक्रेश्वर महादेव मंदिर भारत के प्रसिद्ध शिव मंदिरों में गिना जाता है, जहा श्रद्धालुओं के साथ साथ पर्यटकों का आगमन होता है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर भले ही आकरा में छोटा हो मगर लोगों की आस्था इससे गहराई से जुड़ी है।
यह वो स्थान भी है जहां स्वामी समर्थ ने राम मंदिर के लिए ध्यान किया था। यह मंदिर पश्चिम नालसोपारा में चकेश्वर झील के एक कोने में स्थित है। खास मौकों पर यहां विशेष धार्मिक आयोजन भी किए जाते हैं।