दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर, जिसे स्वामी नारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, दिल्ली के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। यह भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता व वास्तुकला को बखूबी दर्शाता है। यह मंदिर एक अनोखा सांस्कृतिक तीर्थ है, जिसे ज्योतिर्धर भगवान स्वामिनारायण की याद में बनवाया गया। अक्षरधाम मंदिर बाकी इमारतों की तरह प्राचीन नहीं है, लेकिन जिस अंदाज़ में इसकी लोकप्रियता फैली है, उसने इसे दिल्ली के अहम दर्शनीय स्थलों में शुमार करा दिया है।
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भारत के सबसे ज़रूरी पर्यटक स्थलों में से एक, इस मंदिर की कुछ ज़रूरी व दिलचस्प बातें हैं, जो शायद ही आपको पता हो। चलिए आज हम आपको अक्षरधाम से जुड़ी उन्हीं दिलचस बातों से अवगत कराते हैं, जिनकी वजह से यह विश्व भर में लोकप्रिय है।
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इसके 10 प्रवेशद्वार
अक्षरधाम मंदिर में 10 प्रवेशद्वार हैं, जो वैदिक साहित्य के अनुसार 10 दिशाओं में स्थित हैं। मंदिर के ये प्रवेश द्वार चिन्हित करते हैं कि, सारी अच्छी चीजें हर दिशाओं से इसके अंदर प्रवेश करती हैं।
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वर्ल्ड रिकार्ड्स के गिनीज़ बुक में दर्ज
यह राजसी मंदिर, दुनिया का सबसे बड़ा व्यपक हिन्दू मंदिर होने की वजह से गिनीज़ बुक के वर्ल्ड रिकार्ड्स में शुमार है।
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कारीगरों की संख्या
इस मंदिर की सबसे मज़ेदार बात यह है कि, इतने बड़े व्यपक व विशाल मंदिर को बनाने में सिर्फ 5 साल का समय लगा। लगभग 11000 निपुण कारीगरों व असंख्य सहायकों की मदद से इस मंदिर का निर्माण कार्य 5 सालों में ही पूरा हो, नवम्बर 2005 में इसका उद्घाटन हुआ।
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मंदिर के आकर्षण
यह मंदिर भारतीय वास्तुकला, आध्यात्मिकता व परंपरा को दर्शाता है, जो इसे भारत के प्रमुख आकर्षणों में से एक बनाते हैं।
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मंदिर के आसपास का सरोवर
अक्षरधाम मंदिर नारायण सरोवर से घिरा हुआ है, जिसमें भारत के लगभग 151 सरोवरों का पानी समाहित है। सरोवर के साथ 108 गौमुख स्थापित हैं जो 108 हिन्दू देवताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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मंदिर में परिक्रमा
मंदिर के चारों ओर दो मंज़िलों को मिलाकर, फुटपाथ इस तरह बनाये गए हैं, जिससे वे पुरे एक परिक्रमा का निर्माण करते हैं। 3000 फ़ीट लंबे ये फुटपाथ, 1200 खम्भों व 155 शिखरों से सजे हुए हैं।
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कमल बाग़
मंदिर में एक कमल बाग़ है जिसका नाम उसके आकार पर पड़ा है। बाग़ में बड़े बड़े पत्थर स्थापित हैं, जिनमें शेक्सपियर, मार्टिन लूथर किंग, आदि जैसे अन्य प्रख्यात हस्तियों के विचार उत्कीर्ण हैं।
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भारत का बाग़
अक्षरधाम मंदिर में एक अन्य बाग़ भी है, जिसे "भारत उपवन" कहते हैं। बाग़ का यह बड़ा लॉन भारतीय राष्ट्रीय स्वंत्रता सैनानियों, योद्धाओं, राष्ट्रीय हस्तियों व भारत के अन्य प्रसिद्द हस्तियों के तांबे से बनी प्रतिमाओं से सजा हुआ है।
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म्यूज़िकल फाउंटेन शो
मंदिर के परिसर में पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र है, यहाँ शाम के समय प्रस्तुत किया जाने वाला म्यूज़िकल फाउंटेन शो। हर शाम 15 मिनट के इस शो में पुरे जीवन चक्र को दर्शाया जाता है। जीवन चक्र के इस शो को, जन्म से मृत्यु तक के चक्र को, बहुत ही ख़ूबसूरत रंग बिरंगे प्रकाश से सुसज्जित फाउंटेन के साथ प्रदर्शित किया जाता है।
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यग्नपुरुष कुंड
अक्षरधाम मंदिर में एक यग्नपुरुष कुंड है , जो दुनिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा कुंड है। कमल फूल के आकार के इस कुंड में 108 छोटे मंदिर व 2870 सीढ़ियां हैं। कुंड का आकार एक परफेक्ट ज्यामितीय रूप में बना हुआ है, और यह इस तरह गठित हो भारत के प्राचीन गणितीय कौशल विद्वानों के ज्ञान को आभार व्यक्त करता है।
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मंदिर के परिसर में कुछ भी ले जाने की अनुमति नहीं
अक्षरधाम के मंदिर में सुरक्षा की व्यवस्था इतनी कड़क है कि, परिसर के अंदर प्रवेश करने से पहले आपको सुरक्षा के सारे मापदंडों से गुज़रना होगा और आप अपने साथ कुछ भी नहीं ले जा सकते, न फ़ोन, न कैमरा कुछ भी नहीं। इसलिए आप अगर यहाँ पर जाएँ तो, अपने कीमती सामान लेकर न जाएँ। मंदिर परिसर में तस्वीर लेने की अनुमति भी नहीं है।
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अजंता एल्लोरा गुफाओं के रूप में भोजनालय
परिसर के अंदर एक भोजनालय है, जिसका नाम प्रेमवती आहारगृह है और इसे महाराष्ट्र के अजंता और एल्लोरा की गुफाओं के रूप में बनाया गया है।
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