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दशहरा उत्सव: दिल्ली के छत्तरपुर मंदिर से जुड़ी 9 दिलचस्प बातें!

दशहरा का पवन त्यौहार शुरू हो चुका है। दिल्ली के मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है। दूर-दूर से भक्तों का सैलाब माँ दुर्गा के दर्शन करने दिल्ली के छत्तरपुर मंदिर की और प्रस्थान करने लगा है। और अगर आप भी इस वक़्त दिल्ली की यात्रा पर हैं तो, देवी माँ के इस भव्य मंदिर के दर्शन करना मत भूलियेगा, जहाँ की चहल-पहल, लोगों के मन में माँ के प्रति भक्ति भावना, मंदिर की सजावट आदि देखते ही बनती है।

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अन्‍य मंदिरों के विपरीत इस मंदिर में हर जाति और हर धर्म के श्रद्धालुओं को दर्शन करने की अनुमति है। दक्षिण पश्चिम दिल्ली के सरहद पर स्थित यह मंदिर क़ुतुब मीनार से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नवरात्री यानि कि दशहरे के मौके पर इस मंदिर की छटा देखने लायक होती है। यह मंदिर गुंड़गांव-महरौली मार्ग के निकट छतरपुर में स्थित है। अगर आपने अब तक माँ के स्वादिष्ट भंडारे का स्वाद नहीं चखा है तो इससे अच्छा अवसर आपके लिए और कोई नहीं होगा।

तो चलिए इसी भव्य मंदिर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों को जान इस मंदिर की भव्यता के दर्शन करते हैं।

मंदिर का मूल नाम

मंदिर का मूल नाम

छत्तरपुर का वास्तविक नाम श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मन्दिर है, जिस नाम से पता चलता है कि यह मंदिर देवी कात्यायनी को समर्पित है।

Image Courtesy:Sujit kumar

मंदिर की स्थापना

मंदिर की स्थापना

मंदिर की स्थापना सन् 1974 में बाबा संत नागपाल जी द्वारा की गई थी, जिनकी सन् 1998 में मृत्यु हो गई।

Image Courtesy:Alicia Nijdam

सबसे विशाल मंदिर

सबसे विशाल मंदिर

छत्तरपुर का यह मंदिर 2005 तक जब तक दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर नहीं बना था, तब तक देश का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर हुआ करता था, पर अक्षरधाम मंदिर के बनने के बाद यह देश का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर कहलाने लगा।

Image Courtesy:Akshatha Inamdar

मंदिर में समाधी

मंदिर में समाधी

मंदिर के जनक बाबा संत नागपाल जी की मृत्यु के बाद उनकी समाधी मंदिर के ही परिसर में स्थित शिव गौरी नागेश्वर मंदिर के अंदर ही एक कमरे में बनाई गई।

Image Courtesy:Alicia Nijdam

मंदिर का निर्माण

मंदिर का निर्माण

यह पूरा मंदिर संगमरमर के पत्थर से बनवाया गया है जिसके हर फलक पर जालीदार काम किया गया है, जिसे वास्तुकला का वेसारा शैली भी कहा जाता है।मंदिर के प्रवेश द्वारा पर घुसते ही बाईं ओर एक पुराना पेड़ है, जिसमें भक्तगण पवित्र धागा बांध अपने सुखमय जीवन की मनोकामना करते हैं।

Image Courtesy:Akshatha Inamdar

मंदिर परिसर की भव्यता

मंदिर परिसर की भव्यता

यह पूरा मंदिर परिसर लगभग 60 एकड़ की ज़मीन पर स्थापित है। जिसके तीन अलग-अलग मंदिर परिसरों में 20 छोटे-बड़े मंदिर स्थापित हैं। इन मंदिरों में देवी माँ के मंदिरों के अलावा देवता राम, गणेश जी, कृष्णा जी और शिव जी के भी मंदिर सम्मिलित हैं।

Image Courtesy:Manjeet Bawa

मंदिर की मुख्य देवी

मंदिर की मुख्य देवी

मंदिर की मुख्य देवी माँ शक्ति या दुर्गा का नवां रूप माँ कात्यायनी है, जिनके नाम पर मंदिर का वास्तविक नाम पड़ा है। मंदिर परिसर के अंदर स्थित माँ कात्यायनी का प्रमुख वास स्थल सिर्फ नवरात्री के शुभ अवसर पर खुलता है, जब भक्तों की भारी भीड़ माँ के दर्शन करने को उमड़ती है। मंदिर का द्वार एक बड़े से प्रार्थना घर की ओर खुलता है, जहाँ लोग बैठ कर भजन कीर्तन करते व उनके मज़े लेते हैं।

Image Courtesy:Akshatha Inamdar

मंदिर के परिसर में स्थित कक्ष

मंदिर के परिसर में स्थित कक्ष

माँ कात्यायनी के वास स्थल के किनारे साथ ही में एक बैठक कक्ष भी बना हुआ है जिसमें चाँदी के कुर्सी व मेज़ रखे हुए हैं और इसके साथ ही एक शयन कक्ष भी स्थापित है ,जिसमें पलंग, ड्रेसिंग टेबल और बाकि सारे साज सज्जा के चाँदी के सामान रखे हुए हैं।

Image Courtesy:Akshatha Inamdar

मंदिर परिसर का भंडारघर

मंदिर परिसर का भंडारघर

मंदिर परिसर के अंडरग्राउंड में एक भंडारघर भी स्थित है जहाँ नवरात्रे के शुभ अवसर पर भक्तों को माँ का भंडारा बांटा जाता है। यहाँ एक बार में लगभग 1000 भक्तगण एक साथ बैठ कर माँ का प्रसाद ग्रहण करते हैं।

Image Courtesy:Manjeet Bawa

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