Search
  • Follow NativePlanet
Share
» »पत्नी सावित्री के श्राप के कारण पूजा को तरसते हैं सृष्टि रचयिता ब्रह्मा

पत्नी सावित्री के श्राप के कारण पूजा को तरसते हैं सृष्टि रचयिता ब्रह्मा

यूं तो भारत में ब्रह्मा के कई मंदिर है, लेकिन अत्यधिक मान्यता पुष्कर में स्थित ब्रह्मा मंदिर की है। माना जाता है कि, ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री ने उन्हें श्राप दिया था। यही कारण है कि ब्रह्मा जी का

By Goldi

स्रष्टि के रचियता भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और महेश को हिन्दू धर्म की त्रिमूर्ति माना जाता हैं, जो सबसे सर्वश्रेठ हैं। भगवान ब्रह्मा प्राचीन ग्रंथों में अत्यधिक श्रद्धेय है, लेकिन फिर भी प्राथमिक देवता के रूप में भारत में विष्णु , महादेव की पूजा की जाती है और ब्रह्मा की पूजा नहीं होती है। यूं तो भारत में ब्रह्मा के कई मंदिर है, लेकिन अत्यधिक मान्यता पुष्कर में स्थित ब्रह्मा मंदिर की है। माना जाता है कि, ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री ने उन्हें श्राप दिया था। यही कारण है कि ब्रह्मा जी का देश में एक ही मंदिर है जो कि राजस्थान के प्रसिद्ध तीर्थ पुष्कर में स्थित है।

देवी सावित्री ने ब्रह्मा जी को आखिर क्यों दिया श्राप?
हिंदु लोक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रहमा ने पुष्‍कर में यजन्‍या ( आग की पूजा ) की पूजा करने कर प्रतिज्ञा की थी। यज्ञ को पूर्ण करने के लिए उनके साथ उनकी पत्नी का होना जरूरी था, लेकिन सावित्री जी के नहीं पहुंचने की वजह से ब्रह्मा जी ने गुर्जर समुदाय की एक कन्या 'गायत्री' से विवाह कर इस यज्ञ को शुरू किया। उसी दौरान देवी सावित्री वहां पहुंची और ब्रह्मा के बगल में दूसरी कन्या को बैठा देख क्रोधित हो गईं। उन्‍होने ब्रहमा जी को शाप दे दिया कि अब उनकी पूजा पुष्‍कर के अलावा कहीं और नहीं की जा सकेगी। यह मंदिर मूल रूप से 14 वीं सदी में बनाया गया था। मंदिर में राजसी छवि वाले कमल पर विराजमान, ब्रहमा जी की चार मुख वाली मूर्ति स्‍थापित है जिसके बाएं तरफ उनकी युवा पत्‍नी गायत्री और दाएं तरफ सावित्री बैठी हैं।

आइये इसी क्रम में जानते हैं, पुष्कर स्थित ब्रह्मा मंदिर के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य

ब्रह्मा मंदिर

ब्रह्मा मंदिर

अन्य देवी देवतायों के मुकाबले भारत में भगवान ब्रह्मा को समर्पित मंदिर बेहद कम है। मौजूदा ब्रह्मा मन्दिरों मे से पुष्कर स्थित ब्रह्मा मंदिर की अत्यधिक मान्यता है। पुष्कर झील के किनारे स्थित यह मंदिर, हर साल पर्यटकों और श्रधालुयों को अपनी ओर आकर्षित करता है।Pc:Vberger

ब्रह्मा जी ने खुद चुना था स्थान

ब्रह्मा जी ने खुद चुना था स्थान

पौराणिक कथायों के मुताबिक़, ऋषि विश्वामित्र द्वारा निर्मित इस मंदिर के स्थान का चुनाव खुद स्रष्टि रचियता ने किया था।Pc:V.Vasant

पहला ब्रह्मा मंदिर

पहला ब्रह्मा मंदिर

प्राचीन ग्रंथों के मुताबिक, पुष्कर दुनिया की इकलौती जगह है, जहां ब्रह्मा का मंदिर स्थापित है, और इस जगह को हिंदुओं के पवित्र स्थानों का राजा" के रूप में वर्णित किया गया है।

संगमरमर से है निर्मित

संगमरमर से है निर्मित

माना जाता है कि, इस मंदिर का निर्माण करीबन 2000 वर्ष पूर्व सम्पन्न हुआ था । लेकिन मंदिर की मौजूदा वास्तुकला के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में हुआ माना जाता है।

मन्दिरों की नगरी-पुष्कर

मन्दिरों की नगरी-पुष्कर

पुष्कर को मंदिर की नगरी कहा जाता है, लेकिन औरंगजेब के शासन के दौरान यहां अमूमन हिन्दू मन्दिरों को नष्ट कर दिया गया, लेकिन आज भी पुष्कर झील के किनारे ब्रह्मा मंदिर और अन्य मन्दिरों को ज्यों का त्यों देखा जा सकता है ।Pc:wikimedia.org

पवित्र पुष्कर सरोवर

पवित्र पुष्कर सरोवर

इस मंदिर का पवित्र पुष्कर सरोवर अलंकारिक संबंध है। ऐसा माना जाता है कि पुष्कर झील एक पत्ती से बनी है, जो भगवान ब्रह्मा के कमल से गिर गई थी।Pc:Peretz Partensky

पवित्र झील

पवित्र झील

प्राचीन हिंदू शास्त्रों में पुष्कर झील को तीर्थ राज वर्णित किया गया है। पुष्कर में ब्रह्मा भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने आने वाले भक्त पहले 52 घाटों से परिपूर्ण पुष्कर झील में डुबकी लगाते हैं, फिर भगवान के दर्शन करते हैं।Pc:Ling Wang Marina

ब्रह्मा मंदिर

ब्रह्मा मंदिर

भारत के कम मंदिरों में से एक ब्रह्मा मंदिर में भगवान ब्रह्मा की प्रतिमा के पास देवी गायत्री की भी प्रतिमा ब्रह्मा की पत्नी के रूप में स्थापित है, लेकिन देवी सरस्वती की मूर्ति यहां स्थापित नहीं है।
Pc:Pablo Nicolás Taibi Cicaré

कार्तिक पूर्णिमा पर लगता है मेला

कार्तिक पूर्णिमा पर लगता है मेला

भगवान ब्रह्मा ने पुष्कर में कार्तिक पूर्णिमा के दिन यज्ञ किया था। यही कारण है कि हर साल अक्टूबर-नवंबर के बीच पड़ने वाली कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर पुष्कर मेला लगता है। मेले के दौरान ब्रह्मा जी के मंदिर में हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं। इन दिनों में भगवान ब्रह्मा की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।

राजस्थान की यात्रा इन लजीज व्यंजनों के बिना है अधूरीराजस्थान की यात्रा इन लजीज व्यंजनों के बिना है अधूरी

तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X