भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी से कई सारी कहानियां जुड़ी हुई हैं। उत्तरप्रदेश राज्य में बसा प्रसिद्ध शहर हिन्दू धर्म का सबसे पवित्र और पूज्यनीय स्थल है, जिसे अविमुक्त क्षेत्र भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म के साथ-साथ यह बौद्ध और जैन धर्म का भी पवित्र स्थल है जिसकी खूबसूरती शाम होते ही गंगा घाट पर नज़र आती है। वाराणसी का नाम दो नदियों वरुणा और असी के संगम पर पड़ा है।
[भारत की धार्मिक राजधानी की पवित्र यात्रा!]
वाराणसी जिसे बनारस और काशी के नाम से भी जाना जाता है, की संस्कृति का गंगा नदी और इसके धार्मिक महत्व से एक अटूट और अहम रिश्ता है। वाराणसी से कई प्राचीन से प्राचीन कहानियां जुड़ी हुई हैं। प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन ने तो वाराणसी के लिए यह भी लिखा है कि, "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।"
[वाराणसी साहित्य,कला,मंदिर और संस्कृति का शहर!]
चलिए आज हम आपको वाराणसी से जुड़ी कुछ ऐसी दिलचस्प बातों से रूबरू कराते हैं, जिन्हें जान आपकी वाराणसी की यात्रा करने की इच्छा और बढ़ जाएगी।
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सबसे प्राचीन शहर
पवित्र नदी गंगा के तट पर बसा धार्मिक शहर वाराणसी, दुनिया का सबसे पुराना शहर माना जाता है। जिसके अनुसार यह भगवान शिव जी और देवी पार्वती का निवास स्थल हुआ करता था। ऐसा कहा जाता है कि जो भी सबसे आखिर तक यहाँ ज़िंदा रहेगा उसे ज़रूर ही मोक्ष की प्राप्ति होगी।
Image Courtesy:Nataraja~commonswiki
अनगिनत मंदिर
वाराणसी एक ऐसा शहर है जहाँ आपको असंख्य संख्याओं में मंदिर देखने को मिलेंगे जो शैव और वैष्णव धर्म को समर्पित हैं। ये दोनों ही धर्म हिन्दू धर्म के ही रूप हैं जो सद्भाव से यहाँ मौजूद हैं। यह जैन धर्म का भी एक प्रमुख केंद्र है क्यूंकि 23 वें तीर्थंकार पार्श्वनाथ का जन्म यहीं हुआ था।
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रौशनी की पहली किरण यहीं पड़ी
ऐसा माना जाता है कि जब पृथ्वी का निर्माण हुआ तब रौशनी की सबसे पहली किरण काशी में ही पड़ी। जैसा की कहा जाता है कि भगवान शिव जी काशी के परमात्मा हैं, इसलिए इस वजह से अन्य ग्रह भी अपनी मर्ज़ी से यहाँ पर कुछ नहीं कर सकते थे जब तक कि शिव जी का आदेश न हो।
ऐसा माना जाता है कि शनि देवता जब भगवान शिव जी की खोज में काशी आए तब वे उनके मंदिर में लगभग साढ़े सात सालों तक प्रवेश नहीं कर पाए। आप जब भी कभी काशी के विश्वनाथ मंदिर में जायेंगे, मंदिर के बाहर ही आपको शनि देव जी का मंदिर दिखेगा।
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शिक्षा का प्रमुख केंद्र
एक महत्वपूर्ण धार्मिक शहर होने के साथ-साथ, वाराणसी शिक्षा और संस्कृति का भी मुख्य केंद्र है। शहर का बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी(बी.एच.यू) एशिया का सबसे बड़ा यूनिवर्सिटी है।
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आध्यात्मिक केंद्र
सारी विविधताओं के साथ वाराणसी आयुर्वेद और योग के प्राचीन समग्र चिकित्सा विज्ञान से भी जुड़ा हुआ है। इन विज्ञान के संस्थापक, महर्षि पतंजलि का वाराणसी से गहरा सम्बन्ध है।
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व्यापार से सम्बन्ध
अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता से परे शहर को प्राचीन काल से ही वाणिज्य और व्यापार का प्रमुख केंद्र भी माना जाता है। यह मुख्यतः सोने और चाँदी के किये हुए काम और बनारसी सिल्क साड़ियों के लिए जाना जाता है।
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कई महान साहित्यिक प्रतिभाओं और कलाकारों का घर
हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत,बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं।
गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था।
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बॉलीवुड फ़िल्मों का पसंदीदा शूटिंग स्थल
कई बॉलीवुड फिल्म में इस शहर की खूबसूरती और संस्कृति को पूरी तरह से कैद किया गया है। आये दिन आप किसी भी टी.वी. सीरियल में इस शहर को देख सकते हैं। शहर का गंगा घाट शूटिंग के लिए सबसे मनपसंद जगह है। रांझणा, लागा चुनरी में दाग आदि जैसी कई बड़ी-बड़ी फ़िल्में यहाँ शूट की गई हैं।
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यहाँ का सबसे यूनिक रिवाज़
यह सुनने में भले ही अजीब है पर हर साल वाराणसी में इस रिवाज़ का पालन किया जाता है। यहाँ हर साल अश्वमेध घाट पर बारिश के मौसम में मेंढकों की शादी कराई जाती है। पंडित मेंढकों की शादी के सारे अनुष्ठानों को पूरा कर मेंढकों को नदी में छोड़ देते हैं।
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दूर बैठे बुक कर पोस्ट द्वारा प्रसाद प्राप्त करें
यहाँ के मंदिरों ने अपनी एक वेबसाइट चालू की है, जहाँ आप सारी जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं और इसकी मदद से अपने लिए बिना लाइन में खड़े हुए टोकन बुक कर सकते हैं। इन वेबसाइट में एक प्रावधान यह भी है कि आप अपने नाम की पूजा यहाँ पर अपने घर बैठे ही करा सकते हैं जिसका प्रसाद आपको घर बैठे हुए पोस्ट द्वारा प्राप्त हो जायेगा।
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