भारत को धर्मों और मंदिरों का देश कहा जाता है। यहां आपको हर राज्य, हर शहर यहां तक की हर गली में मंदिर देखने को मिल जाएंगे। यहां पर कई ऐसे मंदिर है, जिनकी महिमा का गुणगान देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में है। इनमें से ही एक है पुरी का जगन्नाथ धाम, जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रहते हैं। इस मंदिर को श्रद्धालु पुरी धाम के नाम से भी जानते हैं।
इस मंदिर को लेकर कई ऐसी कथाएं है, कई ऐसी बातें है, जो भक्तों को बाबा के धाम में खींच ही लाती है। लेकिन कहा जाता है न कि जब तक प्रभु न चाहें, उनके दरबार में कोई नहीं जा सकता। उनमें से ही एक अभागा मैं भी हूं। मैं दो बार पुरी गया, लेकिन मंदिर में जाकर मत्था नहीं टेक पाया, जिसका दुख मुझे आज भी है। लेकिन बाहर से जो मैंने मंदिर को लेकर मैंने महसूस किया और जो बातें जानने की कोशिश की, उनमें से कुछ को आज आप सभी के साथ शेयर कर रहा हूं।
पुरी धाम से संबंधित रोचक तथ्य
- पुरी धाम में प्रभु जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियां किसी पत्थर से नहीं बल्कि चंदन की लकड़ियों से बनाई गई है। यह मूर्ति हर 12 साल में एक बार बदली जाती है।
- मंदिर में स्थापित भगवान की मूर्तियां आधी बनी हुई है। यानी कि मूर्तियों के हाथ-पैर नहीं है। यानी मूर्ति आधी-अधूरी अवस्था में है और हर साल आधी बनी हुई मूर्तियां ही बनाई जाती है।
- कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ के मूर्ति में उनका वास्तविक ह्रदय आज भी है, जो हमेशा धड़कता रहता है। जब 12 साल में मूर्ति परिवर्तित होती है तो पुराने मूर्ति में से ह्रदय निकालकर नए मूर्ति में डाला जाता है।
- जब एक मूर्ति से दूसरे मूर्ति में ह्रदय की अदला-बदली की जाती है तो उस समय जो पुजारी ऐसा करता है, उसके आंखों पर पट्टी बंधी होती है। ताकि प्रभु के ह्रदय को कोई देख ना पाए।
- मंदिर के ऊपर लगा ध्वज हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है, जो हर रोज बदला जाता है। ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन भी मंदिर का ध्वज नहीं बदला गया तो मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा।
- यह मंदिर पुरी में समुद्र के किनारे पर स्थित है। मंदिर में प्रवेश करने पर आपको समुद्र के लहरों की आवाज सुनाई नहीं देगी और जैसे ही आप मंदिर के बाहर आएंगे आपको लहरों की आवाज सुनाई देगी।
- मंदिर के शिखर पर आपको एक चक्र दिखाई देगा, आप इसे जिस भी तरफ से देखेंगे यह आपको सीधा ही दिखाई देगा।
- यह मंदिर प्रभु के चार धामों में से एक है। यहां भक्तों के लिए कभी भी प्रसाद कम नहीं पड़ता।
- मंदिर में जो प्रसाद बनाने के लिए सात बर्तनों का प्रयोग किया जाता है, जो एक के ऊपर एक रखे होते है। कहा जाता है कि जो बर्तन सबसे ऊपर रखा रहता है, उसका भोजन पहले पकता है।
- मंदिर से जुड़ा एक अद्भुत रहस्य यह भी है कि इसके मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय जमीन पर नहीं पड़ती।