हमने अक्सर जेलों को फिल्मों में ही देखा है, और असल जिन्दगी में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो जेल जाना पसंद करेगा। क्योंकि हमारे भारत देश में जेल जाने वाला व्यक्ति लोगों की नजरों में अपनी इज्जत खो देता है।
लेना है ट्रेकिंग का फुल ऑन मजा...तो चले आयें चन्द्रशिला ट्रेक
लेकिन इन दिनों भारत में जेल भारत में धीरे जेल टूरिज्म अपने पैर पसार रहा है..अंडमान जाने वाले पर्यटक सेलुलर जेल जाना नहीं भूलते।सेलूलर जेल जहां हमारे देश के क्रांतिकारियों को काले पानी की सजा सुनाई गयी थी। अब इस तरह का टूरिज्म तेलांगना में शुरू हो चुका है। जहां आप 500 रूपये देकर 24 घंटे कैदियों जैसा जीवन व्यतीत कर सकते हैं। ह्म्म्म ये सुनने में थोड़ा सा अटपटा जरुर हैं लेकिन सच।
महज 22000 में घूमें पूरा दक्षिण भारत
अब इसी की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी जेल टूरिज्म के बारे में सोच विचार किया जा रहा है। डिपार्टमेंट से जुड़े अधिकारी 'जेल टूरिज्म पॉलिसी' पर काम कर रहे हैं, जिसके तहत कुछ जेलों को आम लोगों के लिए खोलने की योजना बनाई जा रही है।
एक सैर प्रकृति की गोद चैल में....
दरअसल अभी तक ज्यादातर लोगों ने जेल को केवल फिल्मों में ही देखा है।ऐसे में उन्हें जेल टूरिज्म के तहत सलाखों के पीछे की जिंदगी को जानने और समझने का मौका मिलेगा।
जेल टूरिज्म
जो लोग जेल में रहकर कैदियों की दिनचर्या को समझना या जानना चाहते हैं तो, इसके लिए इच्छुक व्यक्ति को जेल में कुछ घंटे बिताने के लिए आपको 500 रुपये चार्ज देना होगा।
जेल टूरिज्म
साथ ही जेल के सारे नियम-कायदे एक कैदी की तरह फॉलो करने होंगे। जेल में बिताए जाने वाले वक्त के दौरान मेहमान कैदी को जेल के नियम फॉलो करने होंगे।उन्हें बैरक में रखा जाएगा। एल्यूमिनियम के बर्तन में खाना दिया जाएगा।
जेल टूरिज्म
इतना ही नहीं इस चौबीस घंटे के दौरान आपको साथ ही कैदी जो काम करते हैं, वह भी करने होंगे. जैसे, चटाई बनाना, लिफाफे बनाना आदि।
जेल टूरिज्म
बता दें,हैदराबाद से तकरीबन 70 किलोमीटर दूर तेलंगाना की सांगारेड्डी जेल में यह आइडिया काफी समय पहले अपनाया गया था। यह जेल 1796 में निजाम ने बनवाई थी।
जेल टूरिज्म
इस जेल में आने वाले दो मेहमान कैदियों को गार्ड सुबह 5 बजे जगा देते थे।फिर उन्हें 6:30 बजे चाय और 7:30 बजे नाश्ता दिया जाता था।इसी तरह लंच 11 से 11:30 के बीच और शाम 5 बजे डिनर दिया जाता था। वे यहाँ पूरे दिन वह कैदियों की तरह रहते और शाम 6 बजे उन्हें बैरक में बंद कर दिया जाता था।
जेल टूरिज्म
इस जेल में आने वाले दो मेहमान कैदियों को गार्ड सुबह 5 बजे जगा देते थे।फिर उन्हें 6:30 बजे चाय और 7:30 बजे नाश्ता दिया जाता था।इसी तरह लंच 11 से 11:30 के बीच और शाम 5 बजे डिनर दिया जाता था। वे यहाँ पूरे दिन वह कैदियों की तरह रहते और शाम 6 बजे उन्हें बैरक में बंद कर दिया जाता था।
जेल टूरिज्म
जानकारी के मुताबिक, महारष्ट्र में शुरूआत में मेहमान कैदियों को जेल में केवल कुछ घंटे रुकने की ही सुविधा दी जाएगी, क्योंकि जेलों में ज्यादा स्पेस नहीं है। जैसे जैसे जेलों में जगह की सुविधा होगी तो इस टाइम पीरियड को बढ़ाया भी जा सकता है।
जेल टूरिज्म
दरअसल,महाराष्ट्र में कई ऐसी जेल है.. जिनका कुछ दिलच्सप इतिहास है, केवल उन्हीं जेलों को इस योजना के अंतर्गत खोला जाएगा।
जेल टूरिज्म
जैसा कि, इन जेलों में कुछ सीरियल किलर्स, आतंकवादी और सेलिब्रिटीज भी कैद हैं। इसलिए यहां सैलानियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजामात किये जायेंगे।
जेल टूरिज्म
बताते चलें कि महाराष्ट्र में कुछ जेल ऐसी हैं जिनका एतिहासिक महत्व भी है।जैसे यरवदा जेल में गांधी, नेहरू, बाल गंगाधर तिलक, वीर सावरकर ने आजादी की लड़ाई के दौरान जेल काटी थी।हाल ही में यहां संजय दत्त भी कैद रहे थे।
जेल टूरिज्म
जैसे लोग विलेज टूरिजम, स्पॉर्ट्स टूरिज्म या किसी और तरह के टूर का आनंद लेते हैं उसी प्रकार लोग जेल टूरिजम को भी इंजॉय कर सकेंगे।
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