आज जन्माष्टमी है, जन्माष्टमी के उपलक्ष में हमारी तरफ से आप सभी को मुबारकबाद। आज जन्माष्टमी के उपलक्ष में हम आपको अवगत कराने जा रहे हैं उस वृंदावन से जहां से प्रभु भगवान श्री कृष्ण ने अपनी रासलीला की शुरुआत की थी। एक महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थस्थल होने के नाते आज वृंदावन में करीब 5000 मंदिर हैं। इनमें से कुछ मंदिर तो काफी प्राचीन हैं, वहीं कुछ समय के साथ नष्ट हो गए। हालांकि कई प्राचीन मंदिर आज भी बचे हुए हैं, जिन्हें देखकर भगवान कृष्ण से जुड़ी कई बातें मालूम पड़ती हैं।
यहां के कुछ प्रमुख मंदिरों में बांके बिहारी मंदिर, रंगजी मंदिर, गोविंद देव मंदिर और मदन मोहन मंदिर शामिल है। यहां का इस्कान मंदिर ज्यादा पुराना नहीं है और इसमें ज्यादा संख्या में विदेशी पर्यटक शांति और ज्ञानप्रप्ति के लिए आते हैं। जहां वेदों और श्रीमद् भागवत गीता की शिक्षा अंग्रेजी में दी जाती है। यहां के कई मंदिर कृष्ण की संगिनी राधा को समर्पित है।
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इन्हीं में से एक है राधा गोकुलनंद मंदिर और श्री राधा रास बिहारी अष्ट सखी मंदिर। अष्ट सखी से अभिप्राय राधा की आठ सहेलियों से है, जिन्होंने राधा और कृष्ण के बीच प्रेम में अहम भूमिका निभाई थी। मंदिरों से इतर यहां का केसी घाट भी एक महत्वपूर्ण स्थल है। तो आइये आपको दिखाते हैं वृंदावन के प्रमुख मंदिरों की एक झलक।
रंगजी मंदिर, वृंदावन
रंगजी मंदिर वृंदावन के कुछ उन गिने चुने मंदिरों में से एक है जो श्रेष्ठ द्रविड वास्तुशिल्प शैली में बना है। इसे 1851 में बनवाया गया था और इसमें मुख्य देवता के रूप में श्री रंगनाथ या रंगजी विराजमान हैं। मंदिर की दीवारें काफी ऊंची है और इसमें 50 फीट का द्वाजस्तंभ है।
बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन
वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर एक हिंदू मंदिर है, जिसे प्रचीन गायक तानसेन के गुरू स्वमी हरिदास ने बनवाया था। भगवान कृष्ण को समर्पित इस मंदिर में राजस्थानी शैली की बेहतरीन नक्काशी की गई है।
इस्कान मंदिर, वृंदावन
1975 में बने इस्कान मंदिर को श्री कृष्ण बलराम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर ठीक उसी जगह पर बना है, जहां आज से 5000 साल पहले भगवान कृष्ण दूसरे बच्चों के साथ खेला करते थे।
राधा गोकुलनंद मंदिर, वृंदावन
राधा गोकुलनंद मंदिर केसी घाट और राधा रमन मंदिर के बीच स्थित है। यह एक प्रचीन पवित्र तीर्थस्थल है, जो कई देवियों को समर्पित है। मंदिर में राधा, विजया और गोविंदा के अलावा अन्य को प्रतिष्ठापित किया गया है। पुराने समय में यहां की देवियों की अलग-ललग पूजा की जाती थी।
शाहजी मंदिर, वृंदावन
वैसे तो अधिकांश मंदिर सिर्फ पूजा की जगह होती है, लेकिन वृंदावन का शाहजी मंदिर इसका अपवाद है। यह मंदिर अपनी खूबसूरती और विशिष्ट वास्तुशिल्प के लिए भी जाना जाता है। 19वीं शताब्दी में बने इस मंदिर की बनावट महल की तरह है और इसकी डिजाइन व नक्काशी बेजोड़ है।
केसी घाट, वृंदावन
ऐसा माना जाता है कि वृंदावन में ही भागवान कृष्ण ने बचपन का अधिकांश समय बिताया था। ऐसी मान्यता है कि केसी घाट पर ही भगवान कृष्ण दुष्ट राक्षस केशी से लड़े थे और अपने मित्रों व समुदाय को उनकी दुष्टता से बचाया था। आज भी केसी घाट इस घटना को अपने हृदय में समाए हुए विराजमान है।
मदन मोहन मंदिर, वृंदावन
मदन मोहन मंदिर वृंदावन में काली घाट के पास स्थित है। यह इस क्षेत्र के पुराने मंदिरों में से एक है। आज जिस जगह पर मंदिर बना है, वहां पुराने समय में सिर्फ विशाल जंगल हुआ करते थे। भगवान मदन गोपाल की मूल प्रतिमा आज इस मंदिर में नहीं है। मुगल शासन के दौरान इसे राजस्थान स्थानांतरित कर दिया गया था।
श्री राधा रास बिहारी अष्ट सखी मंदिर, वृंदावन
कृष्ण जन्मभूमि की जगह पर बना श्री राधा रास बिहारी अष्ट सखी मंदिर भारत का सबसे पुराना मंदिर है। यह मंदिर राधा-कृष्ण और राधा की आठ सखी को समर्पित है। राधा की ये आठ सखी राधा-कृष्ण के प्रेम में घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई थी। राधा और कृष्ण के बीच रासलीला भी यहीं हुई थी।
राधा रमन मंदिर, वृंदावन
वृंदावन स्थित राधा रमन मंदिर एक प्रसिद्ध प्रचीन हिंदू मंदिर है। इसका निर्माण 1542 में किया गया था और इसे वृंदावन का सबसे पूजनीय और पवित्र मंदिर माना जाता है। मंदिर में की गई खूबसूरत नक्काशी से आरंभिक भारतीय कला, संस्कृति और धर्म की झलक मिलती है। इसका निर्माण गोपाल भट्ट के निवेदन पर किया गया था और इसे बनाने में कई साल लग गए।
यमुना नदी, वृंदावन
यमुना भारत की पवित्र नदियों में से एक है। यह उत्तराखंड के हिमालय में 6387 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है। इसके बाद यह उत्तर की दिशा में बहती है और वृंदावन व मथुरा होते हुए दिल्ली पहुंचती है।
सेवा कुंज और निधुबन, वृंदावन
सेवा कुंज और निधुबन खूबसूरत फुलवारी हैं, जिसका अस्तित्व भगवान कृष्ण के समय से है। ऐसा माना जाता है कि यहीं पर भगवान कृष्ण ने राधा और अन्य गोपियों के साथ रासलीला किया था। फुलवारी में ही एक छोटा सा नक्काशीदार मंदिर है, जो भगवान कृष्ण और उनकी संगिनी राधा को समर्पित है।