करने का अपना एक अलग ही मजा है...बचपन में हम सभी ने ट्रेन में सफर किया है,लेकिन क्या कभी आपने टॉय ट्रेन में सफर किया है। खूबसूरत वादियों में कभी घने जंगल, तो कभी टनल और चाय के बगानों " loading="lazy" width="100" height="56" />ट्रेन में सफर करने का अपना एक अलग ही मजा है...बचपन में हम सभी ने ट्रेन में सफर किया है,लेकिन क्या कभी आपने टॉय ट्रेन में सफर किया है। खूबसूरत वादियों में कभी घने जंगल, तो कभी टनल और चाय के बगानों
रेलगाड़ी की यात्रा कर पहुँच जाइए 'खुशहाली जंक्शन' में, रेलवे स्टेशन के नए अनुभव लेने।
खासकर की बच्चो को टॉय ट्रेन की सवारी करने में बेहद मजा आता है, अगर आप वाले वक्त में कहीं छुट्टियां मनाने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो अपनी छुट्टियों की लिस्ट में कुछ ऐसी जगहों को शामिल करें, जहां आप टॉय ट्रेन का मजा ले सके। आप सोच रहे होंगे कि अब ये कौन सी जगह है, तो जनाब आप टॉय ट्रेन का मजा शिमला, ऊटी, माथेरन, दार्जिलिंग में आसानी से ले सकते हैं।
नीलगिरि माउंटेन रेलवे
दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे की तरह नीलगिरि माउंटेन रेल भी एक वल्र्ड हेरिटेज साइट है। इसी टॉय ट्रेन पर मशूहर फिल्म ‘दिल से' के ‘ चल छइयां-छइयां' गाने की शूटिंग हुई थी। आपको जानकर थोड़ी हैरानी भी हो सकती है कि मेट्टुपालियम-ऊटी नीलगिरि पैसेंजर ट्रेन भारत में चलने वाली सबसे धीमी ट्रेन है। यह लगभग 16 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है। कहीं-कहीं पर तो इसकी रफ्तार 10 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो जाती है।आप चाहें, तो आराम से नीचे उतर कर कुछ देर इधर-उधर टहलकर, वापस इसमें आकर बैठ सकते हैं।मेट्टुपालियम से ऊटी के बीच नीलगिरि माउंटेन ट्रेन की यात्रा का रोमांच ही कुछ और है. इस बीच में करीब 10 रेलवे स्टेशन आते हैं।
मेट्टुपालियम के बाद टॉय ट्रेन के सफर का अंतिम पड़ाव उदगमंदलम है।यह टॉय ट्रेन हिचकोले खाते हरे-भरे जंगलों के बीच से जब ऊटी पहुंचती है, तब आप 2200 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर पहुंच चुके होते हैं।PC:David Brossard
दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे
न्यू जलापाईगुड़ी से दार्जिलिंग के बीच चलने वाली ट्रेन दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (टॉय ट्रेन) को यूनेस्को ने दिसंबर 1999 में वल्र्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया था। इसके बीच की दूरी करीब 78 किलोमीटर है. इन दोनों स्टेशनों के बीच करीब 13 स्टेशन हैं।यह पूरा सफर करीब आठ घंटे का है, लेकिन इस आठ घंटे के रोमांचक सफर को आप ताउम्र नहीं भूल पाएंगे।ट्रेन से दिखने वाले नजारे बेहद लाजवाब होते हैं। वैसे, जब तक आपने इस ट्रेन की सवारी नहीं की, आपकी दार्जिलिंग की यात्रा अधूरी ही मानी जाएगी। पहाड़ों की रानी के रूप में मशहूर दार्जिलिंग में पर्यटकों के लिए काफी कुछ है। आप दार्जिलिंग और आसपास हैप्पी वैली टी एस्टेट, बॉटनिकल गार्डन, बतासिया लूप, वॉर मेमोरियल, केबल कार, गोंपा, हिमालियन माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट म्यूजियम आदि देख सकते हैं।PC:AHEMSLTD
कालका-शिमला टॉय ट्रेन
उत्तर भारत में स्थित हिमाचल प्रदेश हमेशा से ही पर्यटकों की पसंदीदा जगह रहा है। खासकर कि, यहां की कालका-शिमला टॉय ट्रेन की बात ही कुछ और हैकालका-शिमला टॉय ट्रेन की बात ही कुछ और है। वर्ष 2008 में यूनेस्को ने वल्र्ड हेरिटेज साइट में शामिल हो चुकी कालका-शिमला टॉय ट्रेन का सफर 9 नवंबर, 1903 को शुरू हुआ था। यह ट्रेन दो फीट छह इंच की नैरो गेज लेन पर चलते हुए शिवालिक की पहाड़ियों के घुमावदार रास्तों से होते हुए करीब 2076 मीटर की ऊंचाई पर स्थित खूबसूरत हिल स्टेशन शिमला पहुंचती है। इस दौरान आप शिमला की उंचे उंचे बर्फ से ढके पहाड़ो को अच्छे से निहार सकते हैं।
नरेल-माथेरान टॉय ट्रेन
महाराष्ट्र में स्थित माथेरान छोटा, लेकिन अद्भुत हिल स्टेशन है। यह करीब 2650 फीट की ऊंचाई पर है। नरेल से माथेरान के बीच टॉय ट्रेन के जरिए हिल टॉप की जर्नी काफी रोमांचक होती है। इस रेल मार्ग पर करीब 121 छोटे-छोटे पुल और करीब 221 मोड़ आते हैं।इस मार्ग पर चलने वाली ट्रेनों की स्पीड 20 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा नहीं होती है। माथेरान करीब 803 मीटर की ऊंचाई पर इस मार्ग का सबसे ऊंचा रेलवे स्टेशन है।