करपका विनायक मंदिर को पिल्लरेपट्टी पिलर मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। इस मंदिर में एक गुफा है जिसे एक ही पत्थर को काटकर बनाया गया है। इस मंदिर के साथ-साथ ये गुफा भी भगवान गणेश को समर्पित है। यह मंदिर तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में तिरुप्पथूर नामक जगह पर स्थित है।
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गुफा के मंदिर में कई पत्थरों को काटकर भगवान शिव की मूर्ति बनाई गई है साथ ही यहां कई अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं। मंदिर में पत्थरों पर पाए गए ग्रंथों के अनुसार इस मंदिर को 1091 से 1238 के बीच में निर्मित करवाया गया था।
क्यों अनूठा है ये तीर्थस्थान
यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसमें भगवान गणेश की 6 फुट लंबी चट्टान की मूर्ति है। यहां गणेश जी की सूंड दाईं ओर है जिसकी वजह से यहां उन्हें वैलपूरी पिल्लईर भी कहा जाता है। अन्य धार्मिक स्थलों में देवताओं की मूर्तियों का मुख पूर्व या पश्चिम की ओर होता है लेकिन यहां पर देवताओं की मूर्तियों का मुख उत्तरी दिशा की ओर है।
आमतौर पर गणेश जी के हर स्वरूप में उनके चार या अनके भुजाएं होती हैं किंतु इस मंदिर में स्थापित मूर्ति में गणेश जी की सिर्फ दो ही भुजाएं हैं। पांड्या राजाओं द्वारा पिल्लरेपट्टी पहाड़ी पर मंदिर का निर्माण किया गया था। विनायकार और शिव की मूर्तियां एक शिल्पकार एकट्टूर कून पेरुपरानन द्वारा तैयार की गईं हैं। इसी मूर्तिकार ने एक पत्थर के शिलालेख पर अपने हस्ताक्षर भी कर रखे हैं।
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माना जाता है कि गणेश भगवान की मूर्ति पर की गई नक्काशी चौथी शताब्दी के आसपास की गई थी। मंदिर का ध्यान चेट्टियार समुदाय द्वारा रखा जाता है और यह इस समुदाय के नौ सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है।
अन्य देवी देवताए और त्योहार
मंदिर में अन्य तीर्थस्थान भगवान शिव, देवी कात्यायनी, नागलिंगम और पसुपथिस्वरार को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि देवी कात्यायनी की प्रार्थना करने से कुंवारी लड़कियों का विवाह जल्दी हो जाता है। वहीं दूसरी ओर निसंतान दंपत्तियां नागलिंगम की पूजा करती हैं। मान्यता है कि नागलिंगम की पूजा करने से दंपत्ति को संतान की प्राप्ति होती है। धन प्राप्ति और सुख-समृद्धि के लिए पसुपथिस्वरार की पूजा की जाती है।
गणेश जी का उत्तर की ओर मुख करना और दाईं तरफ सूंड का होना काफी शुभ माना जाता है। यह समृद्धि, धन और ज्ञान का कारक है।