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उत्तराखंड : यहां कार्तिक ने भगवान शिव को समर्पित की थी अपनी हड्डियां

रूद्रप्रयाग का कार्तिक स्वामी मंदिर, जहां कार्तिक ने अपनी हड्डियां अपने पिता भगवान शिव को समर्पित की थी।

देवभूमि उत्तराखंड धर्म-अध्यात्म के क्षेत्र में सबसे खास माना जाता है। विश्व भर के पर्यटकों का यहां आने का एक उद्देश्य आत्मिक व मानसिक शांति भी होता है। हरी-भरी वनस्पतियों से भरे पहाड़, घाटियां, हिमालय की बर्फीली चोटियां, नदी-झरने इस स्थल को एक अद्भुत रूप प्रदान करते हैं। उत्तराखंड असंख्य मंदिरों का घर है, जिनमें से कई भारतीय पौराणिक काल से संबंध रखते हैं। भारत के कई बड़े तीर्थ स्थल यहां की पहाड़ियों के मध्य बसे हैं, जिसमें केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, हेमकुंड आदि शामिल हैं। हर साल यहां के प्राचीन मंदिरों के दर्शन मात्र के लिए लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं का आगमन होता है। आज इस लेख में हम आपको राज्य के प्रसिद्ध मंदिरों से अलग एक ऐसे धार्मिक स्थल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका संबंध पौराणिक काल की बड़ी घटना से है, जानिए यह मंदिर आपकी धार्मिक यात्रा को किस प्रकार खास बना सकता है।

कार्तिक स्वामी मंदिर

कार्तिक स्वामी मंदिर

PC-Sumita Roy Dutta

उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर हिन्दुओं का एक पवित्र स्थल है, जो भगवान शिव के ज्येष्ट पुत्र कार्तिक को समर्पित है। यह मंदिर समुद्र तल से 3050 मीटर की ऊंचाई पर गढ़वाल हिमालय की बर्फीली चोटियों के मध्य स्थित है। माना जाता है कि यह एक प्राचीन मंदिर है जिसका इतिहास 200 साल पुराना है। गढ़वाल की सैर पर निकले ऑफ बीट ट्रैवलर यहां मत्था टेकने जरूर आते हैं। हाल के वर्षों में यह मंदिर स्थल दूर-दराज के ट्रेकर्स और रोमांच के शौकीनों के मध्य काफी ज्यादा लोकप्रिय हुआ है। चूंकि यह मंदिर पहाड़ी ऊंचाई पर स्थित है, इसलिए यहां के प्राकृतिक नजारे देखने लायक हैं। यहां भारी संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन होता है। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी और भी महत्वपूर्ण बातें।

80 सीढ़ियों का सफर

80 सीढ़ियों का सफर

PC-Sumita Roy Dutta

भगवान कार्तिक की पूजा उत्तर भारत के अलावा दक्षिण भारत में भी की जाती है, जहां उन्हें कार्तिक मुरुगन स्वामी के नाम से जाना जाता है। मंदिर की घंटियों की आवाज लगभग 800 मीटर तक सुनी जा सकती हैं। मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को मुख्य सड़क से लगभग 80 सीढ़ियों का सफर तय करना पड़ता है। यहां की शाम की आरती या संध्या आरती बेहद खास होती है, इस दौरान यहां भक्तों का भारी जमावड़ा लग जाता है। बीच-बीच में यहां महा भंडारा भी आयोजित किया जाता है, जो पर्यटकों और श्रद्दालुओं को काफी ज्यादा ध्यान आकर्षित करता है।

पौराणिक किवंदती

पौराणिक किवंदती

PC-Mahinthan So

इस मंदिर से एक महत्वपूर्ण पौराणिक घटना भी जुड़ी है, माना जाता है कि कार्तिक ने इस जगह अपनी हड्डियां भगवान शिव को समर्पित की थी। किवदंती के अनुसार एक दिन भगवान शिव ने अपने दो पुत्र गणेश और कार्तिक से कहा कि तुम में से जो ब्रम्हांड के सात चक्कर पहले लगाकर आएगा उसकी पूजा सभी देवी-देवताओं से पहले की जाएगी। कहे अनुसार कार्तिक ब्रम्हांड के साच चक्कर लगाने के लिए निकल गए, लेकिन दूसरी ओर गणेश ने भगवान शिव और माता पार्वती के चक्कर लगा लिए और कहा कि मेरे लिए तो आप दोनो ही संपूर्ण ब्रम्हांड हो। भगवान शिव बाल गणेश से काफी खुश हुए और उन्हे सौभाग्य प्रदान करा कि आज से तुम्हारी पूजा सबसे पहले की जाएगी। लेकिन जब कार्तिक ब्रम्हांड का चक्कर लगाकर आए और उन्हें जब सब बातों का पता चला तो उन्होंने अपना शहीर त्याग दिया और अपनी हड्डियां भगवान शिव को समर्पित कर दीं।

 क्यों आएं मंदिर ?

क्यों आएं मंदिर ?

PC- Sumita Roy Dutta

कार्तिक स्वामी मंदिर की यात्रा कई मायनों में आपके लिए खास हो सकती है। धार्मिक आस्था के अलावा यहां प्रकृति प्रेमी और रोमांच के शौकीन पर्यटक भी आ सकते हैं। चूंकि यह मंदिर ऊंचाई पर और पहाड़ियों से घिरा है, इसलिए यहां से कुदरती खूबसूरती का आनंद जी भरकर उठाया जा सकता है। अगर आप एडवेंचर का शौक रखते हैं, तो यहां ट्रेकिंग और हाइकिंग का आनंद भी ले सकते हैं। अगर आप फोटोग्राफी का शौक रखते हैं, तो यहां के अद्भुत नजारों को अपने कैमरे में कैद कर सकते हैं। एक शानदार यात्रा के लिए आप इस स्थल का चुनाव कर सकते हैं। आप मंदिर के दर्शन किसी भी समय कर सकते हैं, लेकिन मौसम से लिहाज से यहां आने का सही समय अक्टूबर से लेकर मार्च के मध्य का है, इस दौरान आप आसपास की प्राकृतिक खूबसूरती का आनंद जी भरकर उठा पाएंगे।

 कैसे करें प्रवेश

कैसे करें प्रवेश

PC- Sumita Roy Dutta

कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग में स्थित है, जहां आप परिवहन के तीनों साधनों की मदद से पहुंच सकते हैं, यहां का निकटवर्ती हवाईअड्डा देहरादून स्थित जॉली ग्रांट है। एयरपोर्ट से आप सीधे बस या टैक्सी से रूद्रप्रयाग और वहां से मंदिर आसानी से पहुंच सकते हैं। रेल सेवा के लिए आप ऋषिकेश रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं। अगर आप चाहें तो यहां सड़क मार्गों के जरिए भी आसानी से पहुंच सकते हैं, बेहतर सड़क मार्गों से रूद्रप्रयाग राज्य से बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

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