केदारधाम एक मंदिर नहीं बल्कि लाखों-करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है। यह उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक हिंदू मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। हिमालय की गोद में विराजित यह तीर्थस्थल 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां बाबा भोलेनाथ का स्वयंभू शिवलिंग अतिप्राचीन है। ऐसी मान्यता है कि कत्यूरी शैली पर आधारित इस मंदिर का निर्माण पाण्डवों के पौत्र महाराजा जन्मेजय ने कराया था। इसके बाद आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।
काफी चमत्कारी और रहस्यमई है बाबा केदारनाथ
इस चमत्कारी मंदिर की महिमा और ऊर्जा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 2013 में आई बाढ़ ने आसपास के इलाकों को पूरी तरीके से तबाह कर दिया था लेकिन मंदिर के किसी भी हिस्से को एक खरोंच तक नहीं आई थी। इतना ही नहीं, उस समय जितने भी लोग मंदिर के अंदर थे, सभी बाद में सुरक्षित पाए गए थे लेकिन आसपास का सारा इलाका श्मशान बन चुका था। बताया जाता है कि ये मंदिर करीब 400 सालों तक बर्फ में ढका था।
क्यूं कहा जाता है पंच केदार
माना जाता है कि जब भगवान शिव बैल के रूप में अंतर्ध्यान हुए तो उनके धड़ से ऊपर का भाग काठमांडू में प्रकट हुआ, जो पशुपतिनाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। वहीं, शिव की भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, नाभि मध्यमहेश्वर में और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुईं। इसलिए इन चार स्थानों को और केदारनाथ धाम मिलाकर इन्हें पंच केदार कहा जाता है।
केदारनाथ मंदिर की वास्तुकला
चार धामों में से एक केदारधाम की वास्तुकला बेहद सुंदर है। यह कत्यूरी शैली पर आधारित है। इसे बनाने में भूरे रंग के पत्थरों का प्रयोग किया गया है और मंदिर की छत लकड़ी की बनाई गई है। यह मंदिर 6 फुट ऊंचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है, जिसके चारों ओर विशालकाय चार स्तंभ विद्यमान है, जिनको चारों वेदों का घोतक माना जाता है। इसी पर विशालकाय कमलनुमा मंदिर की छत टिकी हुई है। गर्भ गृह की दीवारों पर सुंदर व आकर्षक फूलों और कलाकृतियों को दर्शाया गया है। केदारनाथ मंदिर के तीर्थ पुरोहित इस क्षेत्र के प्राचीन ब्राह्मण हैं, उनके पूर्वज ऋषि-मुनि और भगवान नर-नारायण के समय से इस स्वयंभू ज्योतिर्लिंग की पूजा करते आ रहे हैं। उन्हें इस मंदिर में पूजा करने का अधिकार राजा जनमेजय ने दिया था।
कब पहुंचें केदारनाथ धाम
केदारनाथ धाम में दर्शन करने का सही समय मई महीने से लेकर नवंबर तक का माना जाता है। बाकी नवंबर से लेकर मार्च व अप्रैल तक मंदिर चारों ओर बर्फ से घिरा रहता है, जिससे श्रद्धालु बाबा के धाम में नहीं पहुंच पाते।
कैसे पहुंचें केदारनाथ धाम
केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको हरिद्वार या ऋषिकेश आना पड़ेगा, क्योंकि ये धाम का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है, यहां से आपको आसानी बस या टैक्सी मिल जाएगी। अगर आप फ्लाइट से आने की सोच रहे तो यहां का नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून में स्थित है, जहां से भी आपको बस या टैक्सी मिल जाएगी।