महाराष्ट्र में स्थित है भगवान का शिव का छठा ज्योतिर्लिंग..जानने के लिए पढ़े
केदारनाथ धाम आस्था का बहुत विशाल पवित्र स्थल है परन्तु इसकी आसपास की खूबसूरती भी पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करने से पीछे नहीं रहती।
देहरादून, गर्मियों की छुट्टियों में सैर करें ठंडी हसीन वादियों की
यहाँ का शांत वातावरण भगवान के प्रेम में डूबे श्रद्धालु और प्राकृतिक सौंदर्य किसी चमत्कार से कम नहीं लगता है। यहाँ आप मंदिर की खूबसूरत कलात्मक शैली, भक्तों कीआस्थाएं, पर्वतों पर बिखरी रूईनुमा बर्फ, हसीन वादियों में तेज़ हवाओं के झौंके, मंदाकिनी नदी का तेज़ बहाव, कल कल करता पानी का शोर आदि को यहाँ आकर भली भाँती देख सकते हैं।
कब शुरू हुई चार धाम यात्रा
हर साल लाखों की तादद में लोग चारधाम यात्रा के लिए पहुंचते हैं। लेकिन जेहन में सवाल उठता है कि आखिर यह चारधाम यात्रा पहली बार कब शुरू हुई। कहा जाता है कि 8वीं-9वीं सदी में आदिगुरु शंकराचार्य ने बद्रीनाथ की खोज की थी। उन्होंने ही धार्मिक महत्व के इस स्थान को दोबारा बनाया था। बताया जाता है कि भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति यहां तप्त कुंड के पास एक गुफा में थी और 16वीं सदी में गढ़वाल के एक राजा ने इसे मौजूदा मंदिर में रखा था। जबकि केदारनाथ भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। 1962 के चीन युद्ध के चलते क्षेत्र में परिवहन की व्यवस्था में सुधार हुआ तो चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ने लगी।
महाभारत में भी वर्णन
केदारनाथ का वर्णन महाभारत में भी है। महाभारत युद्ध के बाद पांडवों के यहां पूजा करने की बातें सामने आती हैं। माना जाता है कि 8वीं-9वीं सदी में आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा मौजूदा मंदिर को बनवाया था।
PC: Aurobindo Ogra
केदारनाथ मंदिर
केदारनाथ मंदिर हिमालय की खूबसूरत हसीन वादियों में बना विशालतम आस्थाओं से रचा मंदिर है जो कि एक चौड़े पत्थर पर विराजमान है। भक्तों की भक्ति और प्रकृति ने इसकी सुंदरता में चार चाँद लगाने में कोई कमी नहीं छोड़ी है।PC: Kmishra19
शंकराचार्य समाधि
कहा जाता है कि 32 वर्ष की उम्र में शंकराचार्य ने यहाँ समाधि ली थी। तक़रीबन 8 वीं शताब्दी में गुरु जी शंकराचार्य केदारनाथ मंदिर आये थे। इस मंदिर के दर्शन के बाद उन्होंने यहीं समाधि ली थी, शंकराचार्य समाधि दर्शनीय है।PC: Priyanath
ऊखी मठ
ऊखी मठ बेहद शांत वातावरण वाला रमणीक स्थल है। कहा जाता है कि जब केदारनाथ मंदिर बंद कर दिया जाता है तब इसकी मूर्ति को ऊखी मैथ की गद्दी पर रखा जाता है।PC:Varun Shiv Kapur
चौखाटी ताल
चौखाटी ताल को गांधी ताल भी कहते हैं। कहा जाता है कि यहाँ महात्मा गांधी की अस्थि यहीं प्रवाहित की गई थी। इस बर्फीले सरोवर में इस ताल के साथ साथ शंकराचार्य की समाधि भी देखने योग्य है।
PC: Sriramskumar
गौरी कुंड
गौरी कुण्ड अपने चमत्कारी प्रभाव के लिए पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है। यहाँ गर्म पानी का मुख्य आकर्षक है। यहीं माता पार्वती का एक मंदिर है जो कलात्मक शैली का है।PC: Ondřej Žváček
पंचकेदार
पंचकेदार केदारनाथ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। यहाँ का मनभावन सौंदर्य पर्यटकों को यहाँ आने को मजबूर कर देता है।
PC:Abhishek.ghosh1984
वासुकी ताल
वासुकी ताल केदारनाथ धाम से तक़रीबन 6 किलोमीटर की दूरी पर होगी। यह एक बेहद आकर्षक झील है। यह झील ऊंचाई पर बनी हुई है इसलिए इस तक पहुँचने के लिए काफी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है।
PC: DipankarSen68
देवरिया ताल
देवरिया ताल अपने सौंदर्य के लिए पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है। यहाँ बर्फ से ढकी चोटियां बेहद लुभावनी लगती हैं। यहाँ से गगनचुंबी पहाड़ियां बेहद आकर्षक लगती हैं। PC: MMohanty
त्रियुगीनारायण
त्रियुगीनारायण में शिव मंदिर दर्शनीय है जो कि केदारनाथ शैली में बना हुआ है। अगर आप केदारनाथ आना चाहते हैं तो यहाँ अवश्य आएं।
PC:Naresh Balakrishnan
गुप्तकाशी
गुप्तकाशी में प्राचीन शिव-पार्वती मंदिर स्थापित हैं जो की दर्शनीय हैं। यहाँ भगवान शिव और माता पार्वती को देखने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी भीड़ उमड़ी रहती है।PC:Vvnataraj
केदारनाथ कैसे जाएँ?
केदारनाथ धाम पहुँचने के लिए हरिद्वार से गौरी कुंड तक की लगभग 250 किलोमीटर की यात्रा बस द्वारा तय की जा सकती है। फिर गौरी कुंड से केदारनाथ तक की 14 किलोमीटर की यात्रा पैदल तय करनी पड़ती है।
PC:Asdelhi95
केदारनाथ में कहाँ ठहरें?
केदारनाथ में ठहरने के लिए होटल और धर्मशाला (आश्रम) दोनों की उचित व्यवस्था है जहाँ पर्यटक आसानी से ठहर सकते हैं। केदारनाथ के कुछ होटल- पर्यटक आवास गृह, लोक निर्माण विभाग गेस्ट हाउस आदि। धर्मशाला- काली कमली धर्मशाला, गुजरात भवन, बिड़ला भवन आदि।
PC:Ksvijayakrishna
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