खम्माम शहर दक्षिण भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश में स्थित है, और यह शहर खम्माम जिले के मुख्यालय के रूप में भी जाना जाता है। हाल ही में इस क्षेत्र में जोड़े गए आसपास के 14 गावों के बाद, यह शहर एक नगर निगम बन गया है। यह शहर राजधानी हैदराबाद की पूर्वी दिशा में 273 किलोमीटर दूर स्थित है और आंध्र प्रदेश आने वाले यात्रियों का एक पसंदीदा स्थान है। एक स्थानीय किंवदंती के अनुसार, इस स्थान को अपना नाम सिंहाचलम मंदिर से मिला है जो पहले स्तंभ शिखरी और बाद में स्तंभाद्री के नाम से जाना जाने लगा।
यह मंदिर भगवान नृसिंह स्वामी को समर्पित है जिन्हें भगवान विष्णु का एक अवतार रुप माना जाता है। अब यदि बात खम्माम और उसके आसपास के पर्यटक स्थलों की हो तो आपको बता दें कि खम्माम एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है जो भारत भर से लाखों यात्रियों को आकर्षित करता है।
खम्माम और उसके आसपास कई ऐसे स्थान हैं जिनका आप आनंद ले सकते हैं। इनमें से, सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में खम्माम किला, जमालपुरम मंदिर और खम्माम लक्ष्मी नृसिंह मंदिर शामिल हैं। क्षेत्र के प्रमुख भ्रमण स्थलों में पालार झील, पापी कौंडलु की पहाड़ियां और वायार झील शामिल हैं। तो अब देर किस बात की आइये इस लेख के जरिये जाना जाए कि खम्माम में ऐसा क्या है जो एक टूरिस्ट और ट्रैवलर को अवश्य देखना चाहिए। होटल और फ्लाइट बुकिंग पर पाएं 50% की छूट - जल्दी करें
खम्माम किला
खम्माम किले का निर्माण 950 ईस्वी में हुआ था, जब यह क्षेत्र काकतीय राजाओं के नियंत्रण में था। हालांकि, यह किला उनके काल में पूरा ना हो सका और फिर मुसुनूरी नायक और विलामा राजाओं ने इस किले के निर्माण को पूरा करने का बीड़ा उठाया। 1531 में, कुतुब शाही के शासन काल दौरान इस किले को और विकसित किया गया तथा इस किले में नए भवन एवं कमरे जोड़े गए। यह किला दोनों हिंदू और मुस्लिम वास्तुकलाओं का एक अच्छा उदाहरण है और यह दोनों शैलियों को प्रभावित करता है क्योंकि इस किले के निर्माण कार्य में दोनों धर्मों के शासक शामिल थे। आज, यह किला अपने अस्तित्व के 1000 से भी अधिक वर्ष पूरे होने के बाद बड़े गर्व से खड़ा है। यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और खम्माम एवं आंध्र प्रदेश के इतिहास में एक गौरव का स्थान रखता है। राज्य सरकार ने पर्यटन की दृष्टि से इस किले को विकसित करने के लिए कई प्रयास तथा धन खर्च किया है।
Photo Courtesy: Pavithrans
जमालपुरम मंदिर
जमालपुरम मंदिर, खम्माम शहर से 124 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर प्रसिद्ध रूप से खम्माम चिन्ना तिरुपति मंदिर के रूप में जाना जाता है। सदियों पहले बने इस मंदिर के निर्माण का श्रेय विजयनगर साम्राज्य के सम्राट श्री कृष्ण देवराय को जाता है। इस मंदिर का इष्टदेव भगवान वेंकटेश्वर हैं। यह मंदिर हिंदुओं के लिए एक धार्मिक महत्व का स्थान है क्योंकि इस मंदिर को कम से कम 1000 साल पुराना माना जाता है। मंदिर के दर्शन करने भगवान के कई भक्त आते हैं। शनिवार के दिन मंदिर के पुजारियों द्वारा की जाने वाली विशेष पूजा या प्रार्थना के कारण इस मंदिर में विशेष रुप से हलचल रहती है। कई लोग मानते हैं कि इस मंदिर में प्रार्थना करने से आपकी सारी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। मंदिर के निकट एक सूची गुड्ड़ा नामक पहाड़ी स्थित है, जो जबलि महर्षि के साथ संबंधित है। यह धारणा है कि यहां महर्षि ने घोर तपस्या की थी और उनकी तपस्या से प्रभावित होकर भगवान वेंकटेश्वर ने उन्हें दर्शन दिए तथा उन्हें आशीर्वाद भी दिया।
पालार झील
आंध्र प्रदेश के खम्माम जिले में स्थित पालार झील, भारत की सुंदर झीलों में से एक है। यह झील पालार गांव का एक हिस्सा है जो खम्माम जिले के कुसुमंची मंड़ल में निहित है। यह झील शहर से लगभग 30 किमी दूर स्थित है और यहां तक सड़क मार्ग द्वारा बड़ी आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह मानव निर्मित झील वास्तव में लाल बहादुर नहर नामक बाईं नहर के लिए एक संतुलन जलाशय है, यह नागार्जुन सागर परियोजना के तहत बनाई गई थी। यह झील 1748 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में बनाई गई है और इस में 2.5 टीएमसी पानी को संग्रह करने की क्षमता है। झील के पानी को, सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाता है और यह स्थान मत्स्य-पालन केन्द्र का एक प्रसिद्ध स्थान है। आपको बताते चलें कि पालार झील, खम्माम का एक बहुत प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण है क्योंकि यह कई जल क्रीड़ाएं एवं साहसिक क्रियाकलापों को प्रदान करता है।
पापी कौंड़लु
पापी कौंड़लु, खम्माम का एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण तथा आंध्र प्रदेश में एक पर्वत श्रृंखला है। कई लोगों का मानना है कि इस दक्षिणी घाटी की प्राकृतिक सुंदरता कश्मीर की प्राकृतिक सुंदरता जितनी खूबसूरत है। पापी कौंड़लु की पर्वत श्रृंखला खम्माम शहर से 124 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और साथ ही यह मेड़क, पूर्वी गोदावरी और पश्चिमी गोदावरी जिलों का एक हिस्सा भी है। यह पर्वत श्रृंखला पहले, पापीड़ी कौंड़लु के रूप में जानी जाती थी, जो विभाजन के लिए उपयोग किया जाने वाला एक तेलुगू शब्द है। इस पर्वत श्रृंखला से गोदावरी नदी मे हुए विभाजन से इस पर्वतमाला को इस प्रकार नामित किया गया। कुछ लोगों का मानना है कि इस पर्वतमाला का हवाई दृश्य एक महिला के बालों में बने विभाजन की तरह दिखाई देता है जो इस पर्वतमाला के नाम का कारण बनता है।
कैसे जाएं खम्माम
फ्लाइट द्वारा : खम्माम में कोई हवाई अड्ड़ा नहीं है। गन्नवरम हवाई अड्ड़ा खम्माम का निकटतम हवाई अड्ड़ा है, यह एक घरेलू हवाई अड्ड़ा है। हैदराबाद का राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्ड़ा खम्माम का निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्ड़ा है और यह खम्माम शहर से लगभग 298 किमी दूर है। खम्माम में हवाई अड्ड़ा बनाने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। उड़ान द्वारा हैदराबाद आने वाले सैलानी टैक्सी या बस द्वारा खम्माम पहुंच सकते हैं।
रेल द्वारा : दक्षिणी रेलवे के माध्यम से खम्माम शहर भारत के अन्य शहरों और कस्बों के साथ अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यह शहर हैदराबाद-विजयवाड़ा रेलवे लाइन पर स्थित है। इस लाइन के माध्यम से यह शहर वारंगल, विशाखापट्टनम, विजयवाड़ा, चेन्नई, नई दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे अन्य शहरों से जुड़ा है। कई सुपर फास्ट, यात्री और एक्सप्रेस रेल गाड़ियां भी खम्माम में रुकती हैं।
सड़क मार्ग द्वारा : सड़क मार्ग द्वारा खम्माम शहर तक बड़ी आसानी से पहुंचा जा सकता है। खम्माम से या खम्माम शहर के लिए आंध्र प्रदेश राज्य परिवहन निगम तथा कई निजी बसों की सेवाएं नियमित रुप से उपलब्ध हैं। कई डीलक्स एवं वोल्वो बसें भी हैदराबाद, विजयवाड़ा और विशाखापत्तनम जैसे शहरों से खम्माम के लिए चलती हैं। एनएच 5 और एनएच 7 खम्माम शहर के मध्य से गुजरते दो राष्ट्रीय राजमार्ग हैं।