आपने स्वर्ण मंदिर का नाम तो सुना होगा लेकिन क्या आपने अजमेर स्थित स्वर्ण नगरी के बारे में सुना है?नहीं सुना ना..चलिए कोई बात नहीं क्यों कि आज हम आपको अपने लेख से राजस्थान के अजमेर स्थित अयोध्या स्वर्ण नगरी से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं।
यह स्वर्ण नगरी करोली के लाल पत्थरों से बना यह ख़ूबसूरत दिगंबर मंदिर जैन तीर्थंकर में स्थित है। इस स्वर्ण नगरी में जैन धर्म से सम्बंधित पौराणिक दृश्य, अयोध्या नगरी, प्रयागराज के दृश्य अंकित हैं। यह स्वर्ण नगरी अपनी बारीक कारीगिरी और पिच्चीकारी के लिये प्रसिद्ध है।
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श्रद्धा के प्रतीक भगवान् ऋषभदेव मंदिर का निर्माण रायबहादुर सेठ मूलचन्द नेमीचन्द सोनी ने राजस्थान के हृदय अजमेर नगर में करवाया था। यह कार्य मूर्धन्य विद्वान् पं. सदासुखदासजी की देख रेख में सम्पन्न हुआ था। इस मंदिर का नाम श्री सिद्धकूट चैत्यालय है, करौली के लाल पत्थर से निर्मित होने के कारण इसे लाल मंदिर तथा निर्माताओं के नाम से सम्बन्धित होने से सेठ मूलचन्द सोनी की नसियाँ या सोनी मंदिर भी कहते हैं।
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इस मंदिर में अयोध्यानगरी, सुमेरु पर्वत आदि की जो रचना है, वह सोने से मढ़ी हुई है, भवन में अत्यन्त आकर्षक चित्रकारी है, जो लोक तथा संसार में जीव की अवस्था का दिग्दर्शन कराती है। इस ऐतिहासिक मंदिर में प्रवेश करते ही अत्यन्त कलात्मक 82 फुट ऊँचे मानस्तम्भ के दर्शन होते हैं। प्रतिमा स्थापन के 5 वर्ष बाद सेठ मूलचन्द सोनी की भावना हुई कि भगवान् ऋषभदेव के पाँच कल्याणकों का मूर्त रूप में दृश्यांकन किया जाये।
कब हुआ था निर्माण?
इस मंदिर का निर्माण कार्य 10 अक्टूबर 1864 ईस्वी में आरंभ किया गया और 26 मई 1865 को भगवान ऋषभदेव -भगवान आदिनाथ की प्रतिमा मंदिर के मध्य वेदी में स्थापित की गई।यह अपनी कलामकता के लिए विश्वविख्यात हैं। इसको देखने के लिए यहां रोजाना बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं।PC:Vaibhavsoni1
सिद्धकूट चैत्यालय
इस मंदिर का नाम श्री सिद्धकूट चैत्यालय है।लेकिन करौली के लाल पत्थर से निर्मित होने के कारण इसे लाल मंदिर भी कहा जाता हैं।PC:Vaibhavsoni1
सोनी परिवार ने कराया निर्माण
इसका निर्माण अजमेर के जाने माने सोनी परिवार ने कराया है।
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मंदिर का प्रवेश द्वार
मंदिर का प्रवेश द्वार उत्तर दिशा में है। किसी किले के तोरण द्वार जैसा विशाल ऊंचा कलात्मक यह द्वार करौली के लाल पत्थर से निर्मित है। मंदिर और इस द्वार के बीच में 84 फीट ऊंचा मान स्तंभ है। संगमरमर में निर्मित इसका निर्माण सेठ स्व. भागचन्द सोनी ने कराया।PC: Vaibhavsoni1
मंदिर में चार प्रतिमाएं
मंदिर की मूल वेदी में आदिनाथ भगवान की छोटी बडी चार प्रतिमाएं हैं।मान स्तंभ के ऊपर भगवान आदिनाथ, चन्द्रप्रभु, शांतिनाथ एवं महावीर स्वामी की प्रतिमाएं हैं।. नसियां में अयोध्या नगरी और भगवान ऋषभदेव के कल्याणक और कलात्मक अनुकृतियां हैं। जैनियों के अनुसार ऐसी अनूठी रचना भारत में अन्यत्र् नहीं है।PC:Vaibhavsoni1
लाल पत्थरों से निर्मित
करौली के लाल पत्थरों से निर्मित यह 89 फीट लम्बा और 64 फीट चौडा और 92 फीट ऊंचा दो मंजिला भवन है। इसके चारों और कलात्मक छतरियां, स्वर्ण कलश और भव्य गुम्बद हैं।
ऊपर वाली मंजिल में सुमेरू पर्वत
भवन के ऊपर वाली मंजिल में सुमेरू पर्वत, तेरह समुद्रों की रचना, अयोध्या नगरी व पंच कल्याणकों की अनुकृतियां हैं। छत से लटके हुए देवताओं के विमान ऐसे लगते है मानो वे आकाश मार्ग में विचरण कर रहे हैं। इसके चारों तरफ मंदिर दशार्ये गये हैं, समुद्र नीले रंग में दिखाये गये हैं। तीसरे द्वार से स्वर्णमय अयोध्या नगरी की रचना दिखाई देती है।PC: Vaibhavsoni1
भवन के नीचे वाली मंजिल
भवन के नीचे वाली मंजिल में शोभायात्रा की सवारियां रखी हुई हैं। दो 7वे 8वों का स्वर्णिम रथ, दो बैलों का रथ, गजरथ, ऐरावत हाथी व अन्य सपाटियों की रचनाएं जिस कक्ष में रखी हुई हैं उसके चारों तरफ दस गुणा छः फीट के कलइदार कांच के दरवाजे लगे हुए हैं।
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जयपुर में हुआ सुमेरू पर्वत का निर्माण
इस नगरी में सुमेरू पर्वत आदि की रचना का निर्माण कार्य जयपुर में हुआ। इसे बनाने में 25 साल लगे। समस्त रचना आचार्य जिनसेन द्वारा रचित आदि पुराण के आधार पर बनाई गई, सोने के वर्क से ढंकी हुई है। इस रचना को मंदिर के पीछे निर्मित विशाल भवन में 1895 में स्थापित किया गया। भवन के अंदर का भाग बहुत ही सुंदर रंगों, अनुपम चित्रकारी एवं कांच की कला से सज्जित है।PC: Vaibhavsoni1
कैसे पहुंचे अजमेर
अजमेर सड़क, रेल एवं वायुमार्ग से पहुंचा जा सकता है।
हवाईजहाज
वायुयान से यहां आने पर आपको जयपुर हवाई अड्डे पर उतरना होगा। वहां से टैक्सी या बस से आप अजमेर पहुंच सकते हैं।
ट्रेन द्वारा
अजमेर जंक्शन अजमेर का रेलवे स्टेशन है..यहां से देश के हर हिस्से की ट्रेन उपलब्ध है।PC:Vaibhavsoni1
सड़क मार्ग से
सड़क मार्ग से आसानी से अजमेर पहुंचा जा सकता है..
अजमेर की प्रमुख शहरों से दूरी..
जयपुर से 145 किमी
कोटा से 220 किमी
जोधपुर से 205 किमी
दिल्ली से 415 किमीPC: Vaibhavsoni1