फेसबुक को बचाने के लिए इस भारतीय मंदिर में दौड़े चले आये थे जकरबर्ग
भारत में कई ऐसे भव्य मंदिर भी मौजूद है, जिनका निर्माण भारत के महान वीरों द्वारा हुआ है, इन मन्दिरों की वास्तुकला सर्फ देशी ही नहीं बल्कि विदेशियों को भी हैरत में डाल देती है। आज हम आपको अपने आर्टिकल के जरिये भारत के कुछ ऐसे मन्दिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका निर्माण सिर्फ एक रात में ही सम्पन्न हुआ है। इन मंदिरों को देखने के बाद इस बात पर विश्वास कर पाना बड़ा मुश्किल होता है क्योंकि ये मंदिर इतने विशाल हैं कि इस तरह के मंदिर बनवाने शुरू करें तो वर्षों लग जाएंगे।
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इन मन्दिरों को लेकर प्रचलित कथायों में बताया जाता है कि, यह मंदिर रातभर में बनकर तैयार हो गए। आइये स्लाइड्स में जानते हैं, कि कैसे एक ही रात में बनकर तैयार हुए ये भव्य मंदिर
गोविंद देवजी मंदिर, वृंदावन
वृंदावन की पवित्र भूमि जिसे भगवान श्री कृष्ण की लीलास्थली के रुप में जाना जाता है। इस भूमि में एक प्राचीन मंदिर है जिसका नाम गोविद देव जी मंदिर है। इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण भूतों ने करवाया है। इस मंदिर को करीब से देखने पर अधूरा सा लगता है। कहते हैं कि भूतों ने या दिव्य शक्तियों ने पूरी रात में इस मंदिर को तैयार किया है। सुबह होने से पहले ही किसी ने चक्की चलानी शुरु कर दी जिसकी आवाज से मंदिर का निर्माण करने वाले काम पूरा किए बिना चले गए। कहते हैं कि मुगलों के समय में इस मंदिर की रोशनी आगरा तक दिखती थी।PC: Vrindavan
देवघर मंदिर, झारखंड
झारखंड राज्य के देवघर में स्थित ये मंदिर अदभुत है। कहा जाता है कि इस मंदिर को भी एक ही रात में बनाया गया है और इसका निर्माण देव शिल्पी विश्वकर्मा ने किया है। मंदिर प्रांगण में देवी पार्वती का मंदिर बाबा बैजनाथ और विष्णु मंदिर से छोटा है। इसके बारे में भी यही कथा है कि सुबह होते होते ये मंदिर पूरा नहीं बन गया इसलिए ये इतना ही बन पाया। देवघर के मंदिर में प्रवेश करने का एक ही द्वार है।PC: Unknown
एक हथिया देवाल, उत्तराखंड
उत्तराखंड स्थित हथिया देवाल एक रात में बना है, यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि एक हाथ वाले शिल्पकार ने एक रात में ही इस मंदिर का निर्माण कर दिया था। रात्रि में शीघ्रता से बनाये जाने के कारण शिवलिंग का अरघा विपरीत दिशा में बना दिया गया था। बस इसी के चलते रातो रात स्थापित हुये इस मंदिर में विराजमान शिवलिंग की पूजा नहीं की जाती।
ककनमठ, मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश के मुरैना जिला से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर एक प्राचीन शिव मंदिर है ककनमठ। कच्छवाहा वंश के राजा कीर्ति सिंह के शासन काल में बने इस मंदिर को लेकर एक किंवदंती है कि यह मंदिर एक रात में बना है जिसका निर्माण भोलेनाथ के गण यानी भूतों ने किया है। इस मंदिर में एक कमाल की बात यह भी है कि,मंदिर में गारे या चूने का कहीं प्रयोग नहीं हुआ। केवल पत्थरों पर टिका है ये मंदिर लेकिन इतना संतुलित है कि आंधी तूफान में भी इस पर कोई असर नहीं होता।
PC:Email4anchal
भोजेश्वर मंदिर,मध्यप्रदेश
ये मंदिर रायसेन जिले में है जिससे उत्तर भारत का सोमनाथ मंदिर भी कहा जाता है। पहाड़ी पर बने इस मंदिर को महाभारत काल का माना जाता है। कहानी है कि पांडवों ने माता कुंती के लिए ये मंदिर रात भर
में बना दिया था। इस मंदिर कि विशेषता इसका विशाल शिवलिंग हैं जो कि विशव का एक ही पत्थर से निर्मित सबसे बड़ा शिवलिंग हैं। सम्पूर्ण शिवलिंग कि लम्बाई 5.5 मीटर (18 फीट ), व्यास 2.3 मीटर (7.5 फीट ), तथा केवल लिंग कि लम्बाई 3.85 मीटर (12 फीट ) है।PC:Yann (talk)
नवलखा मंदिर
बताया जाता है कि, ढाई सौ साल से भी ज्यादा पुराने इस मंदिर का निर्माण बाबरा नाम के एक भूत ने किया था, वो भी सिर्फ एक रात में। नवलखा मन्दिर सोमनाथ के ज्योतिलिंग के समान ही बहुत ऊंचा है। इस मंदिर को देखकर लगता है कि इसका जीर्णोद्धार भी किया गया था। प्रतीत होता है कि इस मंदिर को मुस्लिमों ने ध्वंस कर दिया था और बाद में काठी जाति के क्षत्रियों ने इसका पुनरोद्धार करवाया। मंदिर के स्थापत्य में भरपूर विविधता दिखाई देती है। धूमली में जेठवा साम्राज्य की 10वीं से 12वीं, 13वीं शताब्दियों के बीच की समृद्धि को मंदिर की शिल्पकारी के द्वारा समझा जा सकता है।PC:Sukanya Anand