इस बात में कोई शक नहीं है कि छोटे पैकेट में ही बड़ा धमाका आता है। इसी तरह लोगों को छोटे ट्रिप पर ज्यादा मज़ा आता है। काफी हद तक ये बात सफर में आपके साथियों पर भी निर्भर करती है।सिलिकॉन सिटी बैंगलोर से 2 घंटे की दूरी पर नंदी पर्वत के पास स्थित अवलाबेट्टा पर्वत की खूबसूरती के बीच आप अपने वीकएंड को शानदार बना सकते हैं।
कैसे पहुंचे अवलाबेट्टा
ट्रैफिक से बचने के लिए वियजनगर और हेब्बल रोड़ से जाने की बजाया येलाहंका से देवानहल्ली की ओर जाएं। बेहतर होगा कि आप सुबह जल्दी निकलें और एनएच 7 से होते हुए चिक्काबल्लापुर पहुंचे।
बैंगलोर से मसिनगुड़ी : एडवेंचरस रोड ट्रिप
बैंगलोर से 120 किमी दूर स्थित अवलाबेट्टा एक छोटा सा हिल स्टेशन है। चिक्काबल्लापुर से रेड्डीगोल्लावराहल्ली से पेरेसंद्रा में बाएं मुड़ें। बैंगलोर से अवलाबेट्टा पहुंचने का ये सबसे आसान रूट है। चिक्काबल्लापुर से होते हुए पेरेसंद्रा से सफर 16 किमी रह जाता है। अवलाबेट्टा तक का ये सफर हरियाली से भरा हुआ है।
अवलाबेट्टा की ये तस्वीर देखकर आप इस जगह के प्राकृतिक सौंदर्य का अंदाज़ा लगा सकते हैं।
बादलों का सफर
शायद ही ऐसा कोई इंसान होगा जिसे मॉनसून ना पसंद हो। खाली हाईवे पर बादलों के बीच येलाहांका से देवानहल्ली तक एचएच 7 का सफर बेहद खूबसूरत है।
पर्वतों का नज़ारा
बेंगलुरू से अवलाबेट्टा तक पर्वतों का सुंदरमय नज़ारा आपको मंत्रमुग्ध कर देगा। इस रूट में नंदी हिल्स भी पड़ेगा।
पेड़ों की बहार
पेरेसंद्रा से मुड़ने के बाद आप चिक्काबल्लापुर में एंट्री करेंगें। झोपडियों, खेतों और अंगूर के बागानों और बड़े-बड़े पेडों के बीच से सफर करना बेहद रोमांचित कर देगा।
रास्ते में साइनबोर्ड
पेरेसंद्रा तक अवलाबेट्टा का कोई साइन बोर्ड दिखाई नहीं देगा। पेरेसंद्रा से बाएं मुड़ने के बाद और ग्रामीण क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद आपको अवलाबेट्टा के साइन बोर्ड नज़र आएंगे। जीपीएस की मदद से आप आसानी से अवलाबेट्टा तक पहुंच सकते हैं।
5 मिनट में घाट का क्षेत्र
घाट सेक्शन से होकर हम पर्वत की चोटी तक पहुंच सकते हैं।
पर्वत में एंट्री
अवलाबेट्टा को धेनुगिरी के नाम से भी जाना जाता है और यह एक धार्मिक स्थल भी है।
चढ़ाई की शुरुआत
ट्रैक में ज्यादा कुछ नहीं है। सीढियों के सहारे आप पर्वत की चोटि तक पहुंच सकते हैं। नरसिम्हा स्वामी मंदिर के बाद पथरीले रास्ते की शुरुआत होती है।
बंदरों का डेरा
इस जगह पर बंदरों का डेरा भी रहता है इसलिए अपने हाथ में पहाड़ी की चढ़ाई करते समय खाने कोई भी सामान ना रखे।
मंदिर से पहले आप खीरा और चुरमुरी खा सकते हैं। वेंडर्स के पास ही खड़े होकर खाएं वरना बंदर आपसे छीनाझपटी कर सकते हैं। आप चाहें तो बंदरों को भी खीरे खिला सकते हैं लेकिन ज़रा सावधानी से।
लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर
किवदंती है कि इस स्थान पर भगवान नरसिम्हा स्वामी ने चुंचलक्ष्मी से विवाह किया था। एक बार देवी चुंचलक्ष्मी भगवान नरसिम्हा से बहुत क्रोधित हो उठीं और इस पर्वत की चोटि पर आकर बैठ गईं। तभी से पर्वत पर नरसिम्हा स्वामी मंदिर के ऊपर लक्ष्मी मंदिर स्थापित है।
धेनुगिरी
अवलाबेट्टा को धेनुगिरी के नाम से भी जाना जाता है। किवदंती है कि धेनु और कामधेनु नामक दो पवित्र गाय अवलाबेट्टा में प्रकट हुईं थीं। तेलुगु भाषा में अवालु का मतलब चरवाह होता है।
खूबसूरत तालाब
मंदिर के बाद सीढियां चढ़ने पर सबसे पहले तालाब नज़र आता है। अवलाबेट्टा में मुख्य आकर्षण तालाब ही हैं। इस रास्ते में सबसे पहले आपको यही तालाब दिखाई देगा।
अद्भुत नज़ारा
अवलाबेट्टा पर्वत की चोटि से आसपास के पर्वतों और गांवो का अद्भुत नज़ारा देखने को मिलता है।
मुख्य आकर्षण
अवलाबेट्टा का मुख्य आकर्षण है एक विशाल तालाब और उभड़ने वाला पत्थर। इस पत्थर पर बैठकर तस्वीरें खिंचवाना किसी रोमांच से कम नहीं है लेकिन हां से खतरनाक भी हो सकता है। इस जगह पर तस्वीरें खिंचवाने के लिए लोगों की लाइन लगी रहती है इसलिए आपको थोड़ा इंतज़ार करना पड़ सकता है।
बर्फीली हवाएं
पर्वत की चोटी पर बर्फीली हवाओं के लिए तैयार रहें। तेज हवाओं के बीच यहां पत्थरों के ऊपर संतुलना बनाए रखना काफी मुश्किल है।
बस द्वारा कैसे पहुंचे
निजी वाहन से जाना ज्यादा बेहतर होगा। इसके अलावा आप बैंगलोर से चिक्काबल्लापुर और फिर वहां से मंडीकल के लिए बस ले सकते हैं। मंडीकल से अवलाबेट्टा 11 किमी दूर रह जाता है। अवलाबेट्टा पर्वत पर जाने के लिए आपको लोकल ट्रांस्पोर्ट से कुछ ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाएगी।
सुविधाएं
रेड्डीगोल्लावरहल्ली पहुंचने के बाद आपको कोई होटल नहीं मिलेगा। इसलिए बेहतर होगा कि आप हाईवे पर ही कामत और नंदिनी होटल में कुछ खा लें। अवलाबेट्टा में आपको चुरमुरी और खीरे ही मिलेंगें। वहीं पहाड़ी पर बंदरों की वजह से कुछ खाना मुश्किल है।