21वीं सदी में चीजों के बारे में जानना बेहद आसान हो गया है, जैसे बारिश कब होगी, तूफान कब आयेगा आदि। लेकिन अगर प्राचीन समय की बात की जाये तो मौसम की जानकारी जुटाना यकीनन काफी मुश्किल होता होगा।
कहा जाता है कि, पुराने समय में लोग एक पत्थर से बारिश के मौसम और मानसून की जानकारी पा लेते थे। यकीनन सुनने में यह काफी अटपटा है, लेकिन ये भी सच है कि, इस पत्थर से मानसून से ठीक 15 दिन पहले पानी टपकना शुरू हो जाता है, जिसके बाद पता लगा जाता है कि, आखिर मानसून की दस्तक कब होगी? आइये जानते हैं इस खास जगह के बारे में
कहां है मंदिर?
ये जगह उत्तर प्रदेश के औद्योगिक शहर कानपुर से करीबन 50 किमी की दूरी पर स्थित बेहटा गांव है। कहा जाता है कि, यहां मौजूद भगवान जग्गनाथ का मंदिर किसानों को मानसून के आने की सटीक सूचना प्रदान करता है।
आप सोच रहे होंगे कैसे?
कहा जाता है कि,5000 साल पुराने इस मंदिर में मानसून के आने से ठीक 15 पहले ही मंदिर की छत से पानी टपकना प्रारंभ हो जाता है। जिस तरह से पानी टपकता उसकी गति से पता चलता है कि, गांव में इस बार कैसा मानसून रहेगा।
बताया जाता है कि, इस मंदिर में पानी की बूंद तब तक टपकती रहती है जब तक गांव में मानसून की बारिश ना हो जाये। इतना ही नहीं कहा जाता है कि, जितनी तीर्व गति से पत्थर से पानी टपकता है, बारिश भी हमेशा उतनी ही तेज होती है। मानसून के आते ही छत से पानी टपकना बंद हो जाता है। अगर बूंद छोटी हो तो सूखे की आशंका माना जाता है।
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दधिची ने बनवाया था मंदिर
पौराणिक कहानी में बताया जाता है कि, इस मंदिर का निर्माण भगवान राम के पूर्वज राजा शिबी दधीची ने कराया था, और राम ने लंका विजय से लौटते समय इसी मंदिर के पास बने सरोवर में राजा दशरथ का पिंड दान किया था तब से वह सरोवर राम कुंड कहलाने लगा।
गोल गुम्बद सी है मंदिर की वास्तुकला
मंदिर के दूर दूर तक नहीं पानी फिर भी टपकती है बूंदे
इस मंदिर में पत्थर से टपकने वाली बूंद से अच्छे और बुरे मानसून की भविष्यवाणी को लाखों लोग मानते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी, कि मंदिर के आसपास पानी का कोई स्त्रोत मौजूद नहीं है फिर कडकती धूप में इस मंदिर के पत्थर से पानी टपकना अद्भुत है, कोई नहीं जानता कि पानी की यह बूंदे कैसे और कहां से आती है? अब पत्थर से होने वाली मानसून की सच्चाई को वैज्ञानिक मानेंगे या नहीं, लेकिन इस पत्थर से टपकने वाली बूंदे किसानों को जरुर राहत पहुंचाती हैं।
इसी भविष्यवाणी पर आस-पास के 100 गांवों के किसान खेतों की बुआई की तैयारी शुरू करते हैं। फिलहाल, अब यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन यहां भव्य विशाल शोभा यात्रा निकाली जाती है।
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