भारत का इतिहास कई हजार साल पुराना माना जाता है। जिसका प्रमाण उन पौराणिक नगरों में मिलता है, जो अब आधुनिक रूप में हमारे सामने हैं। इन ऐतिहासिक शहरों में भारत का पौराणिक इतिहास संचित है। आज 'नेटिव प्लानेट' आपको भारत के उन शहरों की सैर कराने जा रहा है, जो महाभारत काल के दौरान अस्तित्व में आए।
इन शहरों को अब आधुनिक नामों से संबोधित किया जाता है। भारत के ये शहर आपको बाकी आधुनिक शहरों से बिलकुल अलग नजर आएंगे। आइए जानते हैं, इन पौराणिक शहरों के बारे में।
हस्तिनापुर
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भारतीय शहर हस्तिनापुर का जिक्र महाभारत में ज्यादा किया गया है। कौरवों-पांडवों के आपसी युद्ध की पूरी कहानी इसी शहर के इर्द-गिर्द घूमती है। वर्तमान में यह शहर उत्तर प्रदेश के मेरठ के पास है। हस्तिनापुर कभी कुरू वंश की राजधानी हुआ करती थी। कौरवों व पांडवों ने इसी वंश में जन्म लिया था । महाभारत का पूरा युद्ध कुरू वंश के मध्य लड़ा गया था।
इसके आगे के इतिहास की बात करें, तो हस्तिनापुर शहर पर मुगल शासक बाबर ने भी हमला किया था। बाबर ने यहां स्थित मंदिरों को अपना निशाना बनाया था । जिससे कई ऐतिहासिक हिंदू मंदिर खंडहर में तब्दील हो गए। मुगल काल के दौरान ही इस शहर पर गुर्जर राजा नैन सिंह ने भी राज किया। जिन्होंने अपने शासनकाल के दौरान कई मंदिरों का निर्माण करवाया ।
उज्जानिक
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महाभारत काल के दौरान जो शहर अस्तित्व में आएं, उनमें उज्जानिक भी शामिल है। इस स्थान का जिक्र महाभारत के उस खंड में मिलता है, जहां द्रोणाचार्य द्वारा पांडवों व कौरवों को दी गई शिक्षा का वर्णन है। वर्तमान में यह शहर उत्तराखंड स्थित काशीपुर है। यहां आज भी वो झील मौजद है, जिसका निर्माण पांडव नरेशों ने करवाया था। इस झील का नाम द्रोणसागर है, जो गुरु दक्षिणा के रूप में पांडवों द्वारा गुरु द्रोणाचार्य को भेंट की गई थी ।
वर्तमान काशीपुर की बात करें तो यह उत्तराखंड के उद्यम सिंह नगर जनपद में स्थित है। जानकारी के अनुसार इस शहर का वर्तमान नाम काशीपुर, चंद राजा देवी के एक अधिकारी काशीनाथ के नाम पर पड़ा। जिन्होंने इस शहर की आधुनिक आधारशिला रखी। यहां कई वर्षों तक चंद राजाओं का शासनकाल था।
पांचाल
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महाभारत काल से जुड़ा एक और शहर पांचाल, जिसका जिक्र महाभारत में कई बार किया गया है। यह ऐतिहासिक शहर भारत के 16 महाजनपदों में से एक था । जो हिमालय और चंबा नदी के मध्य के क्षेत्रों में बसा हुआ था । पांचाल पर राजा द्रुपद का राज था, जो पांडवों के ससुर व द्रौपदी के पिता थे। लेकिन द्रोणाचार्य के साथ युद्ध में हार के बाद पांचाल का विभाजन हो गया। पांचाल का उत्तरी भाग द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा के पास चला गया, लेकिन इसका दक्षिण भाग राजा द्रुपद के पास ही रहा। वर्तमान में पांचाल प्रदेश हिमालय की तराई वाले इलाके को कहा जाता है।
कुरुक्षेत्र
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महाभारत का सबसे अहम भाग कुरूक्षेत्र, जिसके बिना महाभारत की पूरी कहानी अधूरी है। यह वो ऐतिहासिक क्षेत्र था जहां कौरवों - पांडवों के मध्य महा युद्ध लड़ा गया था । पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी जगह ब्रह्माजी ने यज्ञ का आयोजन करवाया था । यहां आज भी ब्रह्मा से जुड़ा एक सरोवर मौजूद है, जिसे ब्रह्मकुंड के नाम से जाना जाता है। महाभारत के युद्ध से पहले श्रीकृष्ण ने यदुवंश के सदस्यों के साथ इसी कुंड में स्नान किया था ।
वर्तमान में यह क्षेत्र हरियाणा का एक प्रमुख जिला है, जो राज्य के उत्तर में स्थित है। महाभारत के युद्ध के कारण इसे 'धर्मक्षेत्र' भी कहा जाता है। युद्ध से पहले श्रीकृष्ण ने यहीं अर्जुन को धर्म उपदेश दिया था, जिसे गीता उपदेश कहा जाता है। कहा जाता है यहां स्थित विशाल तालाब का निर्माण राजा कुरू ने करवाया था ।
मथुरा
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महाभारत काल के दौरान 'मथुरा' का भी जिक्र आता है। यह नगर श्रीकृष्ण की जन्म भूमि है। आज भी इस पौराणिक नगर का नाम बदला नहीं है। वर्तमान में मथुरा उत्तर प्रदेश का एक बड़ा जिला है। जो अपने धार्मिक महत्व के लिए विश्व भर में जाना जाता है। कला, साहित्य, धर्म व दर्शन के क्षेत्र में इस स्थान का प्रमुख योगदान रहा है।
यह नगर कभी शूरसेन देश की राजधानी हुआ करता था। पौराणिक साहित्य में मथुरा के कई अगल-अलग नामों का वर्णन मिलता है, जैसे शूरसेन नगरी, मधुपुरी, मधुरा व मधुनगरी आदि। यहां की चारों दिशाओं में चार शिव मंदिर बने हुए हैं, जिस कारण महादेव को मथुरा का कोतवाल भी कहते हैं। यहां प्रत्येक एकादशी और अक्षय नवमी में मथुरा की परिक्रमा की जाती है।
गोकुल
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गोकुल, मथुरा से करीब 15 किमी की दूरी पर स्थित है। इसी स्थान पर कृष्ण ने अपना बचपन बिताया। इसलिए हिंदू धर्म ने इस स्थल का बहुत महत्व है। यहीं कृष्ण गोपियों संग रासलीला किया करते थे। जिस वक्त कृष्ण के मामा कंस को पता चला, कि कृष्ण के हाथों ही उसका सर्वनाश होना है, तो वो कृष्ण को मारने की हर संभव कोशिश करने लगा।
इस दौरान पिता वसुदेव ने यहीं गोकुल में अपने मित्र के घर कृष्ण को छोड़ दिया था। गोकुल को ब्रज का महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है। यहीं बलराम का जन्म हुआ था। यह स्थान अब प्रमुख दर्शनीय स्थान बन गया है। यहां श्रीठाकुरानीघाट व गोविंद घाट प्रमुख हैं।