भगवान और भक्त का रिश्ता बड़ा गहरा होता है। कहते हैं अगर भगवान खुद व्यक्ति के साथ है तो फिर उसे चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है,कोई भी उसका बाल बांका नहीं कर सकता। कोई भी उसे कष्ट नहीं पहुंचा सकता। अब जब बात खुद भगवान पर आ जाये तो बात कुछ और होगी और परिणाम खुद दूसरे होंगे। हमारी इस महाशिवरात्रि स्पेशल सीरीज में आज हम आपको अवगत कराने जा रहे हैं भगवान शिव के एक ऐसे मंदिर से जिसे एक नहीं दो नहीं पूरे सत्रह बार लूटा गया है।
जी हां आपने बिल्कुल सही समझा हम बात कर रहे हैं गुजरात के सोमनाथ महादेव मंदिर की।सोमनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है जिसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंगके रूप में होती है। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था । इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है । इसे अब तक 17 बार नष्ट किया गया है और हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया। पढ़ें : केदारनाथ, जहां अपने पापों से मुक्त हुए थे पांडव
सोमनाथ का बारह ज्योतिर्लिगों में सबसे प्रमुख स्थान है। सोमनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटन स्थल है। मंदिर प्रांगण में रात साढे सात से साढे आठ बजे तक एक घंटे का साउंड एंड लाइट शो चलता है, जिसमें सोमनाथ मंदिर के इतिहास का बडा ही सुंदर सचित्र वर्णन किया जाता है। लोककथाओं के अनुसार यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था।
सोमनाथ मंदिर
सोमनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है जिसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंगके रूप में होती है।
सोमनाथ मंदिर
गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था।
सोमनाथ मंदिर
इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। इसे अब तक 17 बार नष्ट किया गया है और हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया ।
सोमनाथ मंदिर
दिर प्रांगण में रात साढे सात से साढे आठ बजे तक एक घंटे का साउंड एंड लाइट शो चलता है, जिसमें सोमनाथ मंदिर के इतिहास का बडा ही सुंदर सचित्र वर्णन किया जाता है।
सोमनाथ मंदिर
लोककथाओं के अनुसार यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। इस कारण इस क्षेत्र का और भी महत्व बढ गया। ऐसी मान्यता है कि श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे। तब ही शिकारी ने उनके पैर के तलुए में पद्मचिन्ह को हिरण की आंख जानकर धोखे में तीर मारा था। तब ही कृष्ण ने देह त्यागकर यहीं से वैकुंठ गमन किया। इस स्थान पर बडा ही सुन्दर कृष्ण मंदिर बना हुआ है।
सोमनाथ मंदिर
इस मंदिर की एक ख़ास बात ये भी है कि इसे चंद्रदेव सोम ने सोने से, सूर्यदेव रवि ने रजत से और भगवान श्री कृष्ण ने लकड़ी से बनवाया था।
सोमनाथ मंदिर
11वीं शताब्दी में सोलंकी राजपूत ने इसे पत्थर से बनवाया। आखिरी बार इसका पुननिर्माण 1951 में किया गया था। मंदिर की संपत्ति और वैभव के कारण इस पर कई बार आक्रमण भी किया गया है।
इस कारण इस क्षेत्र का और भी महत्व बढ गया। ऐसी मान्यता है कि श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे। तब ही शिकारी ने उनके पैर के तलुए में पद्मचिन्ह को हिरण की आंख जानकर धोखे में तीर मारा था। तब ही कृष्ण ने देह त्यागकर यहीं से वैकुंठ गमन किया। इस स्थान पर बडा ही सुन्दर कृष्ण मंदिर बना हुआ है।
मंदिर के सम्बन्ध में किवदंती और इतिहास
प्राचीन हिन्दू ग्रंथों के अनुसार सोम अर्थात् चंद्र ने, दक्ष प्रजापति राजा की 27 पुत्रियों से विवाह किया था। लेकिन उनमें से वो रोहिणी नामक अपनी पत्नी को अधिक प्यार व सम्मान दिया करता था। शेष कन्याओं ने इसकी शिकायत अपने राजा-पिता दक्ष प्रजापति से की। अपनी अन्य कन्याओं पर होते हुए अन्याय को देखकर क्रोध में आकर दक्ष ने चंद्र देव को शाप दे दिया कि अबसे हर दिन तुम्हारा तेज कम होता रहेगा। फलस्वरूप हर दूसरे दिन चंद्र का तेज घटने लगा।
शाप से विचलित और दु:खी सोम ने भगवान शिव की आराधना शुरू कर दी। अंततः शिव प्रसन्न हुए और सोम के श्राप का निवारण किया।और इस तरह यहां मंदिर स्थापित किया गया। इस मंदिर की एक ख़ास बात ये भी है कि इसे चंद्रदेव सोम ने सोने से, सूर्यदेव रवि ने रजत से और भगवान श्री कृष्ण ने लकड़ी से बनवाया था।
साथ ही 11वीं शताब्दी में सोलंकी राजपूत ने इसे पत्थर से बनवाया। आखिरी बार इसका पुननिर्माण 1951 में किया गया था। मंदिर की संपत्ति और वैभव के कारण इस पर कई बार आक्रमण भी किया गया है।
यह मंदिर अपनी उत्कृष्ट नक्काशी, चांदी के दरवाजे, नंदी की प्रतिमा और केंद्रीय शिवलिंग के लिए जाना जाता है। कार्तिक माह में चार दिन तक चलने वाले पुर्णिमा त्योहार के दौरान यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालू आते हैं और शिवलिंग के दर्शन कर अपनी अपनी मन्नत मांगते हैं।