पौराणिक मान्यता है कि सिर्फ शिव का नाम बड़े- बड़े दुखों को, डर को, कष्ट को बीमारी को हर लेता है। भगवान शिव को हिन्दू धर्म में देवों के देव महादेव और संहार के देवता के रूप से जाना जाता है, साथ ही भोले को हिन्दू धर्म से जुड़े अनेक चित्रों में एक योगी, एक तपस्वी के रूप में भी प्रदर्शित किया गया है। शिव की लीला अनूठी है, शिव में परस्पर विरोधी भावों का सामंजस्य देखने को मिलता है। शिव के मस्तक पर एक ओर चंद्र है, तो दूसरी ओर महाविषधर सर्प भी उनके गले का हार है।
वे अर्धनारीश्वर होते हुए भी कामजित हैं। गृहस्थ होते हुए भी श्मशानवासी, वीतरागी हैं। सौम्य, आशुतोष होते हुए भी भयंकर रुद्र हैं। जैसा कि हम आपको अपने पिछले लेख में बता चुके हैं हमारी ये पूरी सीरीज भगवान शिव और शिवरात्रि को समर्पित है तो आज इसी क्रम में हम आपको अवगत कराने जा रहे हैं एक और प्रमुख ज्योतिर्लिंग, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से। पढ़ें - महाशिवरात्रि स्पेशल : कामना लिंग भी कहलाता है वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
महाकालेश्वर मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है जो हिंदुओं के सबसे शुभ मंदिरों में से एक माना जाता है। यह मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित, महाकालेश्वर भगवान का प्रमुख मंदिर है। पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है। स्वयंभू, भव्य और दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर महादेव की अत्यन्त पुण्यदायी महत्ता है। ऐसी मान्यता है कि इसके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
महाकवि कालिदास ने मेघदूत में उज्जयिनी की चर्चा करते हुए इस मंदिर की प्रशंसा की है। यह मंदिर एक झील के पास स्थित है। इस मंदिर में विशाल दीवारों से घिरा हुआ एक बड़ा आंगन है। इस मंदिर के अंदर पाँच स्तर हैं और इनमें से एक स्तर भूमिगत है। दक्षिणमूर्ति महाकालेश्वर की मूर्ति को दिया गया नाम है तथा इसमें देवता का मुख दक्षिण की ओर है।
स्थानीय लोगों का ऐसा मानना है कि भगवान को एकबार चढ़ाया हुआ प्रसाद फिर से चढ़ाया जा सकता है तथा यह विशेषता केवल इसी मंदिर में देखी जा सकती है। इस मंदिर के बारे में ये मान्यता है कि अगर व्यक्ति यहां दर्शन के लिए आये तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मंदिर में स्थित मूर्ति ओंकारेश्वर शिव की है और देवता महाकाल तीर्थ के ऊपर गर्भगृह को समर्पित है।
गर्भगृह तक पहुँचने के लिए एक सीढ़ीदार रास्ता है। इसके ठीक उपर एक दूसरा कक्ष है जिसमें ओंकारेश्वर शिवलिंग स्थापित है। मंदिर का क्षेत्रफल 10.77 x 10.77 वर्गमीटर और ऊंचाई 28.71 मीटर है। महाशिवरात्रि एवं श्रावण मास में हर सोमवार को इस मंदिर में अपार भीड़ होती है। मंदिर से लगा एक छोटा-सा जलस्रोत है जिसे कोटितीर्थ कहा जाता है।