मनाली, हिमाचल प्रदेश का एक बेहद खूबसूरत पहाड़ी पर्यटन स्थल है। यहां बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखला व पहाड़ी वनस्पति, इस स्थल को खास बनाती हैं। मनाली हिल स्टेशन समुद्र तल से 2,050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जहां से व्यास नदी बहती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार मनुष्य जीवन को दोबारा बसाने के लिए 'साधु मनु' का यहां आगमन हुआ था।
यहां आज भी कई ऐसे प्राचीन मंदिर, गुफाएं, कुंड व झील मौजूद हैं, जिनका संबंध महाभारत काल से बताया जाता है, इसलिए इस स्थान का अपना अलग धार्मिक महत्व है। आइए इस विशेष खंड के माध्यम से जानते हैं, मनाली स्थित कुछ प्राचीन स्थलों के बारे में, जिनका संबंध महाभारत काल से है। आज इस अवस्था में मौजूद हैं, महाभारत काल के ये शहर
हिडिम्बा मंदिर
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अज्ञातवास के दौरान जब पांडवों का लाक्षागृह जला दिया गया था, तब पांडवों को कुछ समय वन में बिताना पड़ा। इसी वन में हिडिंब नाम का राक्षस भी रहता था, जिसकी बहन थी 'हिडिम्बा' । अज्ञातवास के दौरान भीम ने उस राक्षस को मार दिया था, जिसका बदला लेने के लिए बहन हिडिम्बा पांडवों को पास पहुंची। बताते हैं, कि जब हिडिम्बा ने भीम को देखा, तो वो उनपर मोहित हो गई थी। जिसके बाद भीम और हिडिम्बा की शादी हुई। कहा जाता है, उसी राक्षसी हिडिम्बा का एक प्राचीन मंदिर हिमाचल प्रदेश के मनाली में मौजूद है। यहां का कुल्लू राजवंश राक्षसी हिडिम्बा को अपनी कुलदेवी की तरह पूजता है।
मनाली से हिडिंबा देवी मंदिर
यह मंदिर मनाली से लगभग 3 किमी की दूरी पर डूंगरी नामक स्थान पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण यहां के राजा बहादूर सिंह ने करवाया था। मंदिर को 'पगोडा शैली' में बनवाया गया है। इस मंदिर की चार छते हैं, जिनकी तीन छतों का निर्माण देवदार की लकड़ी द्वारा किया गया है, जबकि ऊपरी छत पीतल और तांबे से बनी हुईं हैं। प्रवेश द्वार पर खूबसूरत नक्काशी की गई है। मंदिर के अंदर एक शिला स्थापित है, जिसे देवी हिडिंबा का विग्रह रूप माना जाता है।
अर्जुन गुफा
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हिडिम्बा मंदिर के अलावा मनाली में और भी कई ऐसे स्थल मौजूद हैं, जिनका संबंध महाभारत काल से है। मनाली से कुछ किमी की दूरी पर पिरनी नाम का गांव है, कहते हैं, वहां आज भी वो गुफा मौजूद है, जहां कभी वीर धनुर्धारी अर्जुन ने कठोर तपस्या की थी, जिसके बाद उन्हें दिव्य 'पशुपति अस्त्र' की प्राप्ति हुई । अर्जुन गुफा मनाली के खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है, जहां सैलानी जाना ज्यादा पसंद करते हैं।
मनाली से पिरनी गांव
हिमालय की बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखला और अल्पाइन के जंगलों की बीच अर्जुन गुफा, घूमने के लिहाज से एक परफेक्ट प्लेस है। अर्जुन गुफा देखने का सबसे अच्छा वक्त सुबह का है। अच्छा होगा आप यहां गर्म कपड़ों के साथ आएं, इस दौरान यहां बर्फ की शीतलहर चलती है। अर्जुन गुफा मनाली से लगभग 4 किमी की दूरी पर स्थित है। आप चाहें तो मनाली से टैक्सी के जरिए यहां पहुंच सकते हैं, या फिर घूमते हुए पैदल सफर भी तय कर सकते हैं।
सोलांग घाटी
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मनाली से 13 किमी की दूरी पर स्थित सोलांग घाटी एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है। यह घाटी सोलांग गांव और ब्यास कुंड के मध्य स्थित है। यहां का बर्फीला नजारा बेहद रोमांचक अनुभव देता है, यहां से आप बर्फ से ढकी पहाड़ी व ग्लेशियर आसानी से देख सकते हैं। यहा घाटी रोमांच प्रेमियों के बीच काफी प्रसिद्ध है, इसलिए यहां ज्यादातर एडवेंचर के शौकिन आना पसंद करते हैं। यह घाटी स्कीइंग स्पोर्ट्स के लिए बिलकुल परफेक्ट है।
मनाली से अंजनी महादेव
मनाली से लगभग 14.5 किमी की दूरी पर अंजनी महादेव मंदिर स्थित है, जिसे देखने के लिए देश भर से लोग आते हैं, कहा जाता है यहां केशरी पत्नी अंजनी ने भोलेनाथ की तपस्या की थी। महादेव ने प्रसन्न होकर, अंजनी को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया, जिसके बाद भगवान हनुमान ने माता अंजनी के गर्भ से जन्म लिया। बता दें कि इस स्थान को गुप्त गंगा भी कहा जाता है, यहां से बहती गंगा ऐसी प्रतीत होती है, मानों शिव की जटा से निकल रही है।
रोहतांग दर्रा
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समुद्र तल से 4111 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रोहतांग हिमालय के प्रमुख दर्रों में से एक है। यह दर्रा मौसम में अचानक आए बदलाव के लिए भी चर्चा में रहता है। बता दें कि अधिक ऊंचाई पर होने के कारण यह दर्रा सालभर बर्फ से ढका रहता है। यहां के अद्भुत दृश्यों के देखने के लिए सैलानी ज्यादा आना पसंद करते हैं। यहां से आप हिमालय की बर्फीली पहाड़ियों के रोमांचक दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।
मनाली से रोहतांग
बता दें कि 'रोहतांग' इस दर्रे का नया नाम है, इसका प्राचीन नाम 'भृगु-तुंग' है। भारत की दैविक नदियों में से एक ब्यास नदी का उद्गम कुंड यहीं दक्षिण दिशा में है। कहा जाता है, इस कुंड के पानी का स्वाद अमृत समान लगता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार महाभारत के रचनाकार महर्षि वेदव्यास ने यहीं तपस्या की थी । इसी स्थान पर वेदव्यास जी को समर्पित एक मंदिर भी है। मनाली से रोहतांग दर्रे की दूरी लगभग 52 किमी है।
और क्या देखें - नेहरू कुंड
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मनाली से लगभग 5 किमी की दूरी प स्थित नेहरू कुंड एक प्राकृतिक झरना है, जिसका नाम भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम पर पड़ा। कहा जाता है, अपने मलानी भ्रमण के दौरान नेहरू, इसी कुंड का पानी पिया करते थे। ऐसा माना जाता है, इस कुंड में पानी भृगु झील से आता है। अगर आप इस दौरान मनाली आएं, तो इस कुंड का पानी जरूर पिएं।
कैसे पहुंचे मनाली
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मनाली पहुंचने के लिए आपको ज्यादा मशक्कत करने की जरूरत नहीं, यहां आप तीनों मार्गों से पहुंच सकते हैं। यहां का नजदीकी हवाई अड्डा भुनटार है, जो मनाली से लगभग 52 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां से आप मनाली टैक्सी के जरिए पहुंच सकते हैं। मलानी सड़क मार्गों से कई महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों से जुड़ा हुआ है। जेसै शिमला, लेह कुल्लू, धर्मशाला व नई दिल्ली । आप चाहें तो सड़क मार्ग का सहारा लेकर मनाली पहुंच सकते हैं। रेल मार्ग के लिए यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन जोगिंदर नगर है।