भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है, जहां विज्ञान से ज्यादा आज भी भगवान को पूजा जाता है। यहां कई ऐसे धार्मिक स्थल है, जो आपको भगवान और उनके शक्तियों के होने का सबूत देते हैं। कश्मीर में स्थित माता खीर भवानी का मंदिर भी कुछ ऐसा ही है। यहां माता रानी की कृपा उनके भक्तों पर हमेशा बनी रहती है। कश्मीर की खूबसूरत वादियों के बीच स्थित माता खीर भवानी का विशेष महत्व है। यह मंदिर कश्मीरी पंडितों की आराध्य माता महारज्ञा देवी को समर्पित है। इसलिए इस मंदिर को महारज्ञा देवी मंदिर (क्षीर भवानी या तुल मुल मंदिर) के नाम से भी जाना जाता है।
आने वाली मुसीबतों का संकेत देती हैं माता
इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि आने वाली मुसीबतों के बारे में माता खीर भवानी पहले ही अपने भक्तों को संकेत दे देती है। दरअसल, यहां मंदिर परिसर में एक कुंड है, जब कोई मुसीबत आने वाली होती है तो कुंड के पानी का रंग बदल जाता है, जिससे भक्तों को आभास हो जाता है कि कोई बड़ी मुसीबत आने वाली है।
देवी का परम भक्त था लंकेशपति रावण
तुल्ला-मुल्ला गांव में बसे इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि देवी खीर भवानी पहले लंका में विराजित थी और रावण इनकी पूजा किया करता था। देवी भी उससे काफी प्रसन्न रहा करती थीं। लेकिन जब रावण ने सीता हरण किया तब रावण से नाराज होकर देवी ने हनुमान जी से कहा कि मेरी प्रतिमा को लंका की बजाए किसी और स्थान पर स्थापित करने के लिए कहा। तब हनुमान जी ने देवी की प्रतिमा को लंका से उठाकर कश्मीर के तुलमुल में स्थापित कर दिया था और हमेशा के लिए देवी यहीं आकर बस गई और फिर कभी वापस लौटकर लंका नहीं गई।
पहले भी बदल चुका है कुंड के पानी का रंग
साल 2014 में जब कश्मीर में भयानक बाढ़ आई थी तो कुंड का पानी काला पड़ा गया था। वहीं, जब करगिल युद्ध होने वाला था तब कुंड का पानी लाल हो गया था। इतना ही नहीं, जब कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया गया था तो इसके पानी का रंग हरा हो गया था। कुंड को लेकर मान्यता है कि जब कुंंड का पानी हरा हो जाता है तो इसका मतलब है कि अब कश्मीर में तरक्की और खुशहाली आने वाली है।
माता का पसंदीदा भोग है खीर
माता खीर भवानी को खीर का भोग लगाया जाता है। माना जाता है कि देवी को खीर अतिप्रिय है। खीर के भोग से माता अपने भक्तों से काफी प्रसन्न रहती हैं और यहां आने वाले सभी भक्तों को प्रसाद के रूप में खीर का वितरण भी किया जाता है।
ज्येष्ठ अष्टमी को मेले का आयोजन
जम्मू कश्मीर में सबसे लोकप्रिय तीर्थों में अमरनाथ यात्रा के बाद खीर भवानी मंदिर का नाम आता है। मंदिर प्रांगण में हर साल ज्येष्ठ अष्टमी को मेले का आयोजन होता है। इस दौरान यहां पर भक्तों की काफी भीड़ देखी जाती है। माता को खीर का प्रसाद चढ़ने की वजह से माता को खीर भवानी भी कहा जाता है।
मंदिर का निर्माण
इस मंदिर के निर्माण और जीर्णोद्धार का काम साल 1912 में महाराजा प्रताप सिंह द्वारा करवाया गया, जिसे बाद में महाराजा हरि सिंह ने पूरा किया था। माता के दरबार में कई बड़ी हस्तियों ने भी मत्था टेका है।
मंदिर को लेकर किवदंती
इस मंदिर प्रांगण में एक शर्ट कुड़िए झरना है जिसे यहां के मूल निवासी देवी का प्रतीक मानते हैं। मंदिर को लेकर ऐसा कहा जाता है कि सतयुग में भगवान श्रीराम ने अपने निर्वासन के दौरान यहां पर पूजा-अर्चना की थी। मई के महीने में पूर्णिमा के आठवें दिन इस मंदिर में काफी संख्या में भक्त आते हैं। उनका ऐसा विश्वास है कि इस शुभ दिन पर देवी के कुंड के पानी का रंग बदल जाता है।
कैसे पहुंचें माता खीर भवानी
माता खीर भवानी के दरबार में पहुंचने के लिए यहां का नजदीकी हवाई अड्डा श्रीनगर एयरपोर्ट है, जो यहां से करीब 30 किमी. दूर है। वहीं, यहां पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन उधमपुर (210 किमी.) या जम्मू तवी (290 किमी.) है। इसके अलावा मंदिर तक सड़क मार्ग द्वारा भी पहुंचा जा सकता है।