नवरात्रि पर्व के दौरान 9 दिनों तक देवी की विधि विधान से पूजा की जाती है। ऐसे में माता के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखी जाती है। आज नवरात्रि का चौथा दिन है और इस दिन मां कुष्मांडा देवी की पूजा की जाती है। आज के दिन माता के मंदिर में भक्त लाइन में घंटों लगकर दर्शन करते हैं और अपने परिवार के लिए सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। ऐसे में अगर आप भी माता के मंदिर में शीष नवाने जाना चाहते हैं तो आप भी वाराणसी स्थित माता के मंदिर में जाकर मत्था टेंक सकते हैं।
मां कुष्मांडा देवी मंदिर कहां है?
वाराणसी में स्थित देवी का मंदिर भेलुपुर-दुर्गाकुण्ड मार्ग पर स्थित है। यह रास्ता बनारस के सबसे बिजी रोड में से एक है। यहां पर हमेशा ही आपको हल्की-फुल्की ट्रैफिक देखने को मिलेगी। यहां पर स्थित माता का मंदिर काफी बड़ा है और यहां पर एक कुण्ड भी है, जिसे दुर्गाकुण्ड के नाम से जाना जाता है। कुण्ड को लेकर कहा जाता है कि पहले इस कुण्ड का नाम रक्तकुण्ड था और इसका पानी भी लाल था, फिर आसपास के लोगों ने माता से प्रार्थना की, जिसके पानी का कलर बदला। इस मंदिर में आपको 12 महीने चहल-पहल देखने को मिलेगी लेकिन नवरात्रि की बात की जाए तो इस दौरान मंदिर में पैर रखना भी मुश्किल हो जाता है। भक्तों के द्वारा माता प्रसाद के रूप में लाल चुनरी, सिंदूर, चूड़ी और नारियल का चढ़ावा चढ़ाया जाता है।
दर्शन मात्र से ही मिलती है सुख समृद्धि
इस मंदिर में हर रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। मंदिर को लेकर मान्यता है कि जो भी भक्त मां के सामने अपना शीष झुकाता है और मां से मन्नत के रूप में कुछ मांगता है, मां उसकी इच्छा अवश्य पूरी करती है। मंदिर को लेकर मान्यता है कि मां के दर्शन मात्र से ही शत्रुओं पर जीत मिलती है। मंदिर की बनावट भी काफी आकर्षक है। इस मंदिर की वास्तुकला उत्तर भारतीय शैली में है, जिसे आमतौर पर नागर शैली भी कहा जाता है।
मंदिर में जाने का सही समय - सुबह 6:00 बजे से लेकर रात के 10:00 बजे तक (दोपहर 12:00 बजे से लेकर शाम 03:00 तक मंदिर बंद रहता है लेकिन नवरात्रि के दिनों में मंदिर दिनभर खुला रहता है)
कैसे पहुंचें मां कुष्मांडा देवी मंदिर
नजदीकी एयरपोर्ट - वाराणसी एयरपोर्ट (लगभग 30 किमी.)
नजदीकी रेलवे स्टेशन - कैंट रेलवे स्टेशन (वाराणसी जंक्शन - 8 किमी.)
नजदीकी सड़क मार्ग - नेशनल हाईवे -19, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे या फिर बस सेवा