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कुछ तूफ़ानी करना है, तो माउंटेन बाइकिंग करने गढ़वाल आइये

By Belal Jafri

अगर आपने उत्तराखंड में होते हुए माउंटेन बाइकिंग का लुत्फ नहीं उठाया तो समझिए कि आपकी यात्रा अधूरी है। पहाड़ी इलाकों में घने जंगलों के बीच बाइकिंग करके आप प्रकृति को बेहद करीब से महसूस कर सकते हैं।

बर्फ से ढंकी चोटियों से होकर बाइकिंग करना सांसों को थाम देने वाला होता है और इसके लिए बहुत ज्यादा साहस और बहादुरी की जरूरत होती है। उत्तराखंड स्थित गढ़वाल न सिर्फ बाइकर्स के लिए स्वर्ग के समान है, बल्कि यह देश के हर हिस्से से बड़ी संख्या में फोटोग्राफरों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है।

बाइकिंग करके अपने गंतव्य तक पहुंचने के क्रम में बाइकर्स का सामना हिमालय के विहंगम दृश्यों और मंत्रमुग्ध कर देने वालों नजारों से होता है। हालांकि इस दौरान और भी कई बेहतरीन चीजें मिल जाएंगी।

गढ़वाल के लोगों की सामान्य जीवनशैली और घुमावदार व कभी न खत्म होने वाली सड़कों की याद आपके जेहन में हमेशा-हमेशा के लिए बस जाएगी।

गढ़वाल में माउंटेन बाइकिंग के लिए कम से कम 12-16 दिन चाहिए होते हैं। साथ ही बाइकर्स को यहां के तापमान से भी सावधान रहना पड़ता है, जो 30 डिसे से 10 डिसे के बीच रहता है।

गढ़वाल में बाइकिंग रूट: बाइकिंग का रास्ता ऋषिकेश से शुरू होता है और तिहरी तक जाता है। यह रास्ता भागीरथी नदी के साथ-साथ है। जंगलों, मंदिरों और सीधी ढाल वाली पहाड़ियों से होकर जाने वाला यह रास्ता आपको अलग ही तरह का अनुभव कराएगा।

तिहरी तक का सफर करीब 73 किमी का होता है, जिसमें पूरे एक दिन लग जाते हैं। अगला गंतव्य समुद्रतल से 1036 मीटर की ऊंचाई पर स्थित धरासू है, जो कि तिहरी से करीब 84 किमी दूर है। यह रास्ता भी भागीरथी नदी के साथ-साथ छोटे-छोटे घरों और पेड़ों से होकर गुजरता है।

धरासू में कैंपिंग के साथ ही एक दिन का सफर खत्म हो जाता है। अगले दिन आमतौर पर उत्तरकाशी का रुख किया जाता है। यह सफर 32 किमी का होता है और एनएच 34 से होकर जाता है। अगर आप उत्तरकाशी में रात बिताने की योजना बना रहे हैं तो इसके लिए आपको अग्रिम होटल बुकिंग करा लेनी चाहिए।

अगले दिन उत्तरकाशी से बाइकिंग शुरू करके भतवारी तक जाया जाता है। 35 किमी का यह सफर उत्तरकाशी-गंगोत्री रोड यानी एनएच 108 के जरिए पूरा किया जाता है।

इस रोमांचक यात्रा में भागीरथी नदी आपका अंत तक साथ देगी। रास्ते में कई बाजार भी हैं, जहां से बाइकर्स अपनी जरूरत की चीजें खरीद सकते हैं। भतवारी में रात को रुका जा सकता है।

इसके बाद का सफर भतवारी से हरसिल का होता है। 43 किमी का यह सफर उत्तरकाशी-गंगोत्री रोड यानी एनएच 43 के जरिए पूरा किया जाता है। हरसिल की मंत्रमुगध कर देने वाली खूबसूरती से आप मोहत हुए बिना नहीं रह सकेंगे।

समुद्र तल से करीब 2623 मीटर की ऊंचाई, भागीरथी नदी, ऊंचे-नीचे पर्वत, पाइन के वृक्ष और एप्पल आर्किड का नजारा अद्भुत होता है। टेंट में रात गुजारने के बाद अलगे दिन गंगोत्री के लिए प्रस्थान किया जाता है।

एक बार फिर बाइकर्स को एनएच 108 या उत्तरकाशी-गंगोत्री रोड पर 25 किमी का सफर करना पड़ता है। अगर कोई गंगोत्री में रुकने की योजना बना रहा है तो यहां घूमने के लिए बहुत कुछ है।

गंगा नदी की उत्पत्ति यहीं से होती है और पवित्र गंगोत्री मंदिर होने के कारण हिंदू तीर्थयात्रों के बीच यह जगह काफी चर्चित है। आप किसी होटल में आराम से रात बिता सकते हैं, पर अगली सुबह जल्दी उठना बिल्कुल भी न भूलें।

इसके बाद बाइकर्स गंगानी के लिए निकलते हैं। यह रास्ता काफी खतरनाक है और इसमें ज्यादा समय व ऊर्जा लगती है। करीब 2133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह जगह पर पहुंचने के लिए 53 किमी का सफर करना पड़ता है।

गढ़वाल में करिये माउंट बाइकिंग

गंगानी का वातावरण काफी शांत है और मेडिटेशन के लिए यह एक आदर्श जगह है। बाइकर्स चाहें तो यहां से रवाना होने से पहले गर्म पानी का झरना भी देख सकते हैं।

अगला गंतव्य बारकोट होता है। यहां पहुंचने में करीब 2 दिन का समय लगता है। यह रास्ता एक महत्वपूर्ण जगह बरह्मखाल से होकर जाता है, जहां बाइकर्स चाहें तो रुक सकते हैं।

कुल सफर करीब 117 किमी का होता है और एनएच 108 के बाद एनएच 94 पर सफर करना पड़ता है। बारकोट गांव यमुना नदी के किनारे बना एक खूबसूरत गांव है। अगले दिन बाइकर्स नैनबाग के लिए रवाना होते हैं जो बारकोट से 54 किमी दूर है।

इसके लिए बाइकर्स विकासनगर-बारकोट रोड का सहारा लेते हैं। अपने प्राकृतिक परिवेश के कारण यह जगह लोगों बड़ी संख्या में अपनी ओर खींचता है। बाइकर्स यहां रुकते हैं और फिर अगले दिन मसूरी के लिए सफर शुरू करते हैं।

गढ़वाल बाइकिंग टूर का आखिरी गंतव्य मसूरी पहुंचने के लिए विकासनगर-बारकोट रोड का सहारा लिया जाता है। यह सफर करीब 42 किमी का होता है और इस स्थान से हिमालय पर्वत जादुई नजर आता है।

बाइकर्स अगर चाहें तो सुविधा के हिसाब से मसूरी से दिल्ली या देहरादूर के लिए प्रस्थान कर सकते हैं। इसके अलावा वे उत्तराखंड में राफ्टिंग और रॉक क्लाइंबिंग जैसी दूसरी साहसिक गतिविधियां भी कर सकते हैं।

बाइकर्स के लिए जरूरी चीजें

साइकिल, स्लीपिंग बैग, हेलमेट और पीठ थैला के अलावा बाइकर्स को टॉर्च, टेंट, मेडिकल के सामान, पानी की बोतल और दूसरी एमरजेंसी चीजें भी साथ रखनी पड़ती है।

साथ ही बाइकर्स को जलवायु और तापमान के साथ सामंजस्य भी बिठाना पड़ता है। जैसे-जैसे आप समुद्रतल से ऊपर जाएंगे, तापमान बढ़ता जाएगा, इसलिए ठंडे वस्त्र भी जरूरी हैं।इसके अलावा बाइकर्स को इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए कि किस स्थान पर जाने की अनुमति है और कौन सा क्षेत्र प्रतिबंधित है।

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