उत्तराखंड का मुख्य आकर्षण यहां की पहाड़ी हरियाली और वन्य जीवन हैं, जिस वजह से देश-दुनिया के ट्रैवलर्स यहां ज्यादा आना पसंद करते हैं। जैव-विविधता को लेकर यह राज्य काफी समृद्ध है। इसलिए उत्तराखंड जीव और वनस्पति विज्ञान का बड़ा केंद्र माना जाता है। यहां 6 राष्ट्रीय उद्यान और 4 वन्यजीव अभ्यारण्य हैं, जो अंसख्य वन्य प्राणियों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करते हैं। यहां आपको उन जीव-वस्पतियों को देखने का मौका भी मिलेगा जो अब विलुप्त अवस्था में आ गए हैं।
नेटिव प्लानेट की सफारी में आज हम उत्तराखंड के उस प्राय लुप्त 'राज्य वन्य पशु' की बात करेंगे जिसकी नाभि से सुंगधित धारा बहती है। साथ में जानेंगे इस खास जीव के लिए आरक्षित किए गए वन्य क्षेत्रों के बारे में।
उत्तराखंड का राज्य वन्य पशु
PC- Николай Усик
दुर्लभ वन्य जीव प्रजाति 'कस्तुरी मृग' उत्तराखंड का राज्य वन्य पशु है। जिसकी गिनती जंगल के खूबसूरत जीवों में होती है। कस्तुरी मृग को 'हिमायलन मस्क डियर' के नाम से भी जाना जाता है। वैसे इसका वैज्ञानिक नाम 'मास्कस क्राइसोगौ' है।
बताया जाता है कि यह मृग सामान्य मृगों की तुलना में कहीं ज्यादा आदिम है। कस्तुरी मृग मोशिडे परिवार का है, जिसकी मुख्यत : चार प्रजातियां हैं। आगे जानिए इस दुर्लभ पशु से जुड़ी खास बातें।OMG : तो क्या राजस्थान का उदयपुर शिफ्ट हो गया है नॉर्थ ईस्ट में ?
नाभि से निकलती है सुंगधित धारा
PC- Ra'ike
अपनी आकर्षक खूबसूरती के साथ यह जीव नाभि से निकलने वाली अप्रतिम खुशबू के लिए मुख्य रूप से जाना जाता है। जो इस मृग को सबसे बड़ी खासियत है। इस मृग की नाभि में गाढ़ा तरल (कस्तूरी) होता है जिसमें से मनमोहक खुशबू की धारा बहती है। बता दें कि कस्तूरी केवल नर मृगों में ही पाया जाता है। यह जीव उत्तराखंड के अलावा अन्य हिमालयी क्षेत्रों (हिमाचल प्रदेश, कश्मीर, सिक्किम) में भी पाया जाता है। आगे जानिए इस जीव से जुड़ी और भी खास बातें।
नहीं छोड़ता अपना निवासस्थान
PC- Daderot
इस जीव की एक खास बात यह भी है कि यह अपना निवास स्थान सर्द मौसम में भी नहीं छोड़ता। भले ही यह जीव भोजन की तलाश में दूर निकल जाए पर लौट कर अपने आश्रय में ही आराम करता है। इस जीव की याददाश्त शक्ति काफी मजबूत बताई जाती है, जिस वजह से यह अपना रास्ता कभी नहीं भूलता ।
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अस्कोट वन्य जीव अभयारण्य (मस्क डियर)
PC- Ekabhishek
अस्कोट वन्य जीव अभयारण्य उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से करीब 54 किमी की दूरी पर स्थित है। यह वन्य अभयारण्य मुख्यत: कस्तूरी मृग के लिए आरक्षित किया गया है, जिससे कि इस दुर्लभ प्रजाति को बचाया जा सके। इसके अलावा यह अभयारण्य बंगाल टाइगर, भारतीय चीता,सीविट, सेरो, हिमालयन जंगली बिल्ली, बार्किंग डियर, हिमालयी भालू जैसे जीवों का घर है। यह पूरा अभयारण्य क्षेत्र लगभग 600 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है।
केदारनाथ वन्य जीव अभयारण्य
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लगभग 967 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला केदारनाथ वन्य जीव अभयारण्य उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। हिमालयी वन्य जीव सुरक्षा के लिए इस अभयारण्य की स्थापना 1 9 72 में की गई थी। यह अभयारण्य राज्य के सबसे पवित्र क्षेत्र में बसाया गया है।
यह पूरा क्षेत्र हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं, नदियों, ग्लेशियर, घाटियों और जंगलों से घिरा है। प्राकृतिक खूबसूरती के साथ रोमांच के अनुभव के लिए यह जगह एक आदर्श विकल्प है।
यह अभयारण्य भी कस्तूरी मृग के संरक्षण के लिए जाना जाता है। इसके अलावा आप यहां तेंदुए, गौरैया, हिमालयी मुर्गा, तहर और पक्षियों की कई प्रजातियों को देख सकते हैं।
कंचुला कोरक कस्तूरी मृग अभयारण्य
कांचुला काकोर मस्क हिरण अभयारण्य उत्तराखंड के चोपता-गोपेश्वर मार्ग पर स्थित है। 5 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला यह अभयारण्य हिमालयी वन्य जीवों के लिए आरक्षित है, जहां आप खूबसूरत कस्तूरी मृग को भी देख सकते हैं। यह वन्य क्षेत्र कस्तूरी मृग के प्रजनन विकास के लिए भी जाना जाता है। जिससे ये अपनी आबादी बढ़ा सकें।