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यकीनन आप उत्तर प्रदेश के इन खास पर्यटन स्थलों को नहीं जानते होंगे!

उत्तर प्रदेश का शुमार भारत की राजनीती में सबसे अव्वल नम्बर पर आता है, साथ ही पर्यटन के मामले में भी यह जगह पर्यटकों को अपनी ओर लुभाती रही है।

By Goldi

हर राज्य के बड़े शहर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं, और इसी बीच हम छोटे छोटे शहरों को छोड़ देते हैं, हालांकि पर्यटन के मामले में यह शहर बड़े शहरों के मुकाबले ज्यादा जाने जाते हैं।

उत्तर प्रदेश का शुमार भारत की राजनीती में सबसे अव्वल नम्बर पर आता है, साथ ही पर्यटन के मामले में भी यह जगह पर्यटकों को अपनी ओर लुभाती रही है। इसी क्रम में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, उत्तर प्रदेश के खास चुनिन्दा डेस्टिनेशन के बारे में, जिन्हें आपको जरुर देखना चाहिए...

मेढ़क मंदिर

मेढ़क मंदिर

यह अनोखा मेंढक मंदिर 200 साल पुरानी ऐतिहासिक कहानी को अपने में समेटे हुए उत्तरप्रदेश के छोटे से नगर ओयल में स्थापित है। प्राचीन समय में यह क्षेत्र ओयल साम्राज्य का एक भाग हुआ करता था और इस मेंढक मंदिर को भी ओयल शासकों ने स्थापित किया। और यहाँ की सबसे दिलचस्प बात यह है कि यहाँ के पीठासीन पूज्यनीय देवता शिव जी हैं, न कि मेंढक। हालाँकि इस मंदिर की अद्भुत रचना है. जो लोगों के बीच उत्सुकता को बढ़ाती है। जैसा कि इस मंदिर के प्रमुख देवता शिव जी हैं, इसलिए इसे उत्तर प्रदेश का नर्मदेश्वर मंदिर भी कहा जाता है।Pc:Abhi9211

चुनारगढ़ का किला

चुनारगढ़ का किला

मिर्जापुर के चुनार में स्थित चुनार किला कैमूर पर्वत की उत्तरी दिशा में स्थित है। यह गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर बसा है। यह दुर्ग गंगा नदी के ठीक किनारे पर स्थित है।इस किले का निर्माण सोलहवीं शताब्दी में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई राजा भरथरी के लिए करवाया था। मिथक यह बताते हैं कि राजा भरथरी ने इस किले में महासमाधि ली थी।यह किला एक ठोस संरचना है जो गंगा नदी के किनारे एक पहाड़ पर स्थित है। गहरी ढलान के कारण इस किले तक पहुँचना कठिन है। शायद यही कारण है कि यह किला वर्षों तक हमलों से बचा रहा।Pc:Utkarshsingh.1992

कुचेसर किला

कुचेसर किला

राव राज विलास के नाम से भी जाना जाने वाला यह किला 18वीं शताब्दी का किला है। यह पौराणिक धरोहर, अजीत सिंघ के परिवार की पैतृक संपत्ति है जिनकी कुचेसर में रियासत थी। सन् 1734 में बना यह किला चारों ओर से 100 एकड़ में फैले आम के बागों से घिरा हुआ है। यह किला कई सालों तक मुगल साम्राज्य और ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन भी रहा। अंत में इसे मुगल शासकों द्वारा जाट परिवार, अजीत सिंघ के परिवार को दान कर दिया गया और तब से यह उनकी पैतृक संपत्ति है। इस किले के कई हिस्सों में आपको मुगल आर्किटेक्चर की भी झलक दिख जाएँगी। किले का चारों ओर घने, हरे-भरे फार्म हैं।

बिट्ठुर

बिट्ठुर

बिट्ठुर, कानपुर से 22 किमी. की दूरी पर स्थित है जो गंगा नदी के किनारे पर बसा सुंदर और खूबसूरत शहर है। कानपुर की घबरा देने वाली भीड़ से काफी दूर स्थित शहर बेहद शांत और सुंदर है, यहां प्राकृतिक सुंदरता की भरमार है। धार्मिक मंदिरों से लेकर नदी में नाव की सैर तक का आनंद यहां आकर उठाया जा सकता है।Pc: Thakur Arjun Singh

सारनाथ

सारनाथ

वाराणसी के पास सारनाथ एक छोटा सा गांव है। इसकी प्रसिद्धि की सबसे बड़ी वजह यहां स्थित डीयर पार्क है, जहां गौतम बुद्ध ने प्रथम उपदेश दिया था। पहले बौद्ध संघ की स्थापना भी यहीं की गई थी। सारनाथ का बौद्ध धर्म से गहरा नाता है और यह भारत के चार प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थलों में एक है। ज्ञात हो कि सारनाथ में ही महान भारतीय सम्राट अशोक ने कई स्तूप बनवाए थे। उन्होंने यहां प्रसिद्ध अशोक स्तंभ का भी निर्माण करवाया, जिनमें से अब कुछ ही शेष बचे हैं।Pc:Yusuke Kawasaki

कुशीनगर

कुशीनगर

कुशीनगर, उत्‍तरप्रदेश में एक महत्‍वपूर्ण बौद्ध तीर्थ शहर है। बौद्ध धर्म के ग्रंथों के अनुसार, गौतम बुद्ध ने अपनी मृत्‍यु के बाद यहीं पारिनिर्वाण को हीरान्‍यावती नदी के पास प्राप्‍त किया था। ज्ञात हो कि महाकाव्‍य रामायण में भगवान राम के पुत्र कुश के नाम के रूप में इसका उल्‍लेख भी मिलता है। इस शहर में 3 और 5 वीं शताब्‍दी के कई प्राचीन स्‍तुप और विहार स्थित है। इनमें से अधिकाश: स्‍मारकों को मौर्य सम्राट अशोक के द्वारा तैयार करवाया गया है।

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