भारतीय संस्कृति में सांपों का बड़ा जिक्र मिलता है। इनका जिक्र पौराणिक कथाओं में भी सुनने को मिलता है। हिंदू धर्म में इनकी मान्यता इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि ये भगवान शिव के गले के हार के रूप में है और इन्हें शिव के अंश के रूप में पूजा जाता है। हिंदू धर्म में सांपों में मारना पाप माना जाता है। इसी परम्परा और संस्कृति के चलते भारत में कई जगह सांप मंदिर बनवाए गए हैं।
शेषनाग झील, कश्मीर
कश्मीर की खूबसूरत वादियों में बसा यह शेषनाग झील देश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। झील को लेकर ऐसी मान्यता है कि ये झील शेषनाग ने खुद ही बनाई थी और आज शेषनाग इस झील में निवास करते हैं। देश व विदेश से लोग इस झील को एक मंदिर के रूप में पूजते हैं और इसका दर्शन करने आते हैं। यह कश्मीर के सबसे खूबसूरत आकर्षणों में से एक भी है।
भुजंग नाग मंदिर, गुजरात
भुज स्थित भुजंग नाग मंदिर एक समय में भुजंग का किला हुआ करता था। भुजंग, नागों का आखिरी वंश था, जो युद्ध में खत्म हो गया। फिर यहां के लोगों ने इस वंश की याद में यहां भुजंग नाग मंदिर का निर्माण करवाया। यहां हर साल नाग पंचमी के दिन एक बड़े मेले का आयोजन होता है।
घाटी सुब्रमण्य मंदिर, कर्नाटक
बैंगलोर से करीब 60 किमी. दूर स्थित घाटी सुब्रमण्य मंदिर को सांपों का मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर के मुख्य देवता भगवान सुब्रमण्य और लक्ष्मी नारायण है। मंदिर की वास्तुकला और यहां मनाए जाने वाले त्योहार भक्तों को इसकी ओर खींच लाते हैं।
अगसनाहल्ली नागप्पा मंदिर, कर्नाटक
अगसनाहल्ली में स्थित अगसनाहल्ली नागप्पा मंदिर, सांप मंदिर के रूप में जाना जाता है। मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यहां पर ऋषि अगस्त्य ने तपस्या की थी। वहीं, काफी लोगों का कहना है कि उन्हें यहां एक सोने की तरह सांप दिखाई दे चुका है। इस मंदिर में भगवान नरसिम्हा भगवान सुब्रमण्य के रूप में पूजे जाते हैं।
कुक्के सुब्रमण्या मंदिर, कर्नाटक
कुक्के सुब्रमण्या मंदिर, मैंगलोर के सुल्लिया तालुका के पास कुमारधारा नदी से घिरे हुए एक छोटे से गांव में स्थित है। यहां अक्सर लोग सर्प दोष निवारण के लिए आते हैं। इस मंदिर में भगवान सुब्रमण्य, भगवान वासुकी (सांपों के राजा) और शेषनाग की पूजा की जाती है।
मन्नारसला मंदिर, केरल
आलाप्पुड़ा में स्थित मन्नारसला मंदिर करीब 3000 साल पुराना है। यह मंदिर सांपों के देवता नागराज को समर्पित किया गया है। मंदिर परिसर व रास्ते में मिलाकर कुल 30000 से ज्यादा सांपों की मूर्तियां लगी हुई हैं। इस मंदिर में देशभर से अधिकतर ऐसे जोड़े आते हैं, जो या तो नवविवाहित होते हैं या जो संतान चाहते हैं।
कायारोहनस्वामी मंदिर, तमिलनाडु
नागपट्टीनम में स्थित कायारोहनस्वामी मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर को लेकर पौराणिक मान्यता भी है। कहा जाता है कि यहां पर त्रेता युग में आदिशेष ने भगवान विष्णु की तपस्या की थी और तपस्या से प्रसन्न होकर विष्णु जी ने आदिशेष को अपनी शैया बनने का वर दिया था।
नागनाथ स्वामी मंदिर, तमिलनाडु
तिरुनागेश्वर गांव में स्थित नागनाथ स्वामी मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है, जहां भगवान शिव नागेश्वर रूप में पूजे जाते हैं। इस मंदिर परिसर में राहु का भी एक छोटा सा मंदिर है। मान्यता है कि यहां पर आदिशेष, दक्षण और कारकोटाकन ने शिव की पूजा की थी।
नागराज मंदिर, तमिलनाडु
नागरकोइल में स्थित नागराज मंदिर में भगवान वासुकी और भगवान कृष्ण को समर्पित है, जिसे सांपों के मंदिर के रूप में जाना जाता है। स्थानीय लोगों में मंदिर को लेकर काफी मान्यता है।