समुद्र तल से लगभग 2,250 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चैल हिमाचल प्रदेश का एक खूबसूरत हिल स्टेशन है, जो मुख्यत: पोलो और क्रिकेट प्रेमियों का पसंदीदा स्थल माना जाता है। यहां विश्व का सबसे ऊंचाई पर बना क्रिकेट ग्राउंड मौजूद है, जिसका इस्तेमाल पोलो खेलने के लिए भी किया जाता है। चूंकि चैल ऊंचाई पर बसा है, इसलिए यह स्थल हाइकर्स के लिए जन्नत माना जाता है। यहां एडवेंचर के शौकीनों का आना जाना लगा रहता है।
इतिहास से जुड़े पन्ने बताते हैं कि चैल कभी पटियाला के राजा की राजधानी हुआ करता था। इसलिए यहां एक महल भी बना हुआ है, जो सैलानियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। इस लेख के माध्यम से जानिए पर्यटन के लिहाज से हिमाचल प्रदेश का यह स्थल आपके लिए कितना खास है।
क्रिकेट ग्राउंड
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समुद्र तल से 2444 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चैल क्रिकेट ग्राऊंट विश्व का सबसे ऊंचा क्रिकेट खेलने का मैदान है, जहां पोलो भी खेला जाता है। इतिहास के पन्ने बताते हैं कि इस मैदान का निर्माण महाराज भूपेंद्र सिंह से 1893 में करवाया था। क्रिकेट महाराज भूपेंद्र सिंह का सबसे पसंदीदा खेल था।
वर्तमान में यह ग्राउंड भारतीय आर्मी के देखरेख में है, जो यहां के छावनी के अंदर स्थित है। पर यहां आम नागरिकों को आने की अनुमति नहीं है। लेकिन पर्यटक इसे बाहर से देख सकते हैं।
चैल का पैलेस होटल
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चैल के मुख्य आकर्षणों में यहां का पैलस भी आता है, इस महल का निर्माण महाराजा ने कराया था जब उन्हें शिमला से निर्वासित कर दिया गया था, उन्होंने अपनी नई राजधानी चैल को बनाया और वहीं इस महल का निर्माण करवाया। यह स्थल शिमला से अधिक ऊंचाई पर स्थित है। यह एक खूबसूरत महल है जिसकी वास्तुकला कमाल की है। महल के मुख्य भागों में किया गया आर्टवर्क सैलानियों का ध्यान अपनी ओर खींचता है।
वर्तमान में इस महल को हेरिटेज होटल में तब्दिल कर दिया गया है। अगर आप शाही अनुभव लेना चाहते हैं तो इस महल की सैर का आनंद जरूर उठाएं।
चैल वन्यजीव अभयारण्य
चैल अपने ऐतहासिक स्थलों के अलावा अपने प्राकृतिक स्थलों के लिए भी काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। चैल वन्यजीव अभयारण्य यहां के मुख्य पर्यटन गंतव्यों में गिना जाता है, जहां आप एक रोमांचक सैरा का आनंद ले सकते है।
यह अभयारण्य कई दुर्लभ जानवरों और पक्षियों का घर है। आप यहां जीवों में हिमालय का काला भालू, यूरोपीय रेड डियर, लंगूर, सांभर, आदि को देख सकते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए स्थान किसी जन्नत से कम नहीं। पक्षी विहार के लिए यह एक शानदार जगह है।
सिद्ध बाबा का मंदिर
चैल ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थलों के अलावा धार्मिक महत्व भी रखता है, आप यहां कई प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं। सिद्ध बाबा का मंदिर चैल के चुनिंदा खास पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। इस स्थल से एक किवदंती भी जुड़ी है, माना जाता है कि जहां यह मंदिर स्थित है वहां कभी महाराजा भूपेंद्र सिंह महल बनाना चाहते थे, महल बनाने का काम भी शुरू हो गया था।
एक रात एक संत महाराजा के सपने में आएं और उन्होंने उस स्थान पर महल न बनाने के लिए कहा। संत ने यह भी कहा कि जिस स्थान पर तुम महल बनाना चाहते हो वहां मैंने कई सालों तक तपस्या की है, अगर कुछ बनाना चाहते हो तो यहां एक मंदिर बनाओ। माना जाता है कि इस घटना के बाद महाराजा ने वहां महल नहीं बनाया बल्कि एक मंदिर उन संत के नाम बनाया। यह सिद्ध बाबा का मंदिर के रूप में जाना जाता है।
मां काली का मंदिर
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उपरोक्त स्थलों के अलावा आप यहां प्रसिद्ध मां काली के मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं। मां काली का यह मंदिर चैल के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में गिना जाता है। स्थानीय लोग यहां दैनीक पूजा के लिए आते हैं। इस मंदिर की संरचना उतनी आकर्षक नहीं है पर आसपास का प्राकृतिक दृश्य देखने योग्य है। चूंकि यह स्थल ऊंचाई पर स्थित है इसलिए यहां ट्रेकिंग जैसी रोमांचक गतिविधियों का भी आनंद उठाया जा सकता है।