पूर्वोत्तर के बाकी राज्यों की तरह त्रिपुरा भी अपने प्राकृतिक खजानों और मानव निर्मित कलाकृतियों के लिए जाना जाता है। आज का स्वतंत्र राज्य कभी त्रिपुरा के शाही परिवार के अंतर्गत हुआ करता था जो बाद में स्वतंत्र भारत का हिस्सा बना। इस राज्य को सांस्कृतिक रूप से खास बनाने में यहां की बंगाली और अन्य जनजातीयों की बहुत बड़ी भमिका है। यहां की लोक संस्कृति को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते हैं।
त्रिपुरा की लोक संस्कृति और अज्ञात स्थलों की खोज के लिए आप यहां के कमलपुर नगर की सैर का प्लान बना सकते हैं। धलाई जिले के अंतर्गत यह नगर राज्य के पूर्वी छोर पर स्थित है। जानिए पर्यटन के लिहाज से यह नगर आपको किस प्रकार आनंदित कर सकता है।
कमलेश्वरी मंदिर
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कमलपुर भ्रमण की शुरूआत आप यहां के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों से कर सकते हैं। कमलेश्वरी मंदिर यहां के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों में गिना जाता है जहां आप अपार आध्यात्मिक शांति का अनुभव कर सकते हैं। नगर के मध्य स्थित यह मंदिर मां काली को समर्पित है। कमलेश्वरी मां काली का दूसरा नाम है। यह एक महत्वपूर्ण स्थल है क्योंकि इस मंदिर के नाम पर इस नगर का नाम रखा गया है।
यह एक प्रसिद्ध मंदिर है इसलिए यहां सालभर श्रद्धालुओं और पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। गर्मी का समय यहां आने का आदर्श समय माना जाता है।
हेरिटेज पार्क
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धार्मिक स्थलों के अलावा आप यहां के प्रसिद्ध उद्यानों की सैर का प्लान बना सकते हैं। कमलपुर से लगभग 2 घंटों की दूरी पर स्थित हेरिटेज पार्क यहां के चुनिंदा खास पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। यह पूर्वोत्तर भारत में अपने प्रकार का एकमात्र पार्क है। इस पार्क का उद्घाटन 2012 में किया गया था। यह पार्क त्रिपुरा के इतिहास, संस्कृति, जनजातीय जीवन शैली को भली भांति प्रदर्शित करता है।
इसके अलावा यहां विभिन्न वनस्पति प्रजातियों को भी देखा जा सकता है। यहां के बड़ा ऐम्फथीअटर, फोसिल फाउंटेन, बैंबू हट, रॉक गार्डन, झरना और एक कुत्रिम झील भी मौजूद है।
उनाकोटि
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अगर आप प्राकृतिक स्थानों को देखने के साथ-साथ रोमांच का भी शौक रखते हैं तो कमलपुर के नजदीक उनाकोटि की सैर कर सकते हैं। उनाकोटि एक बंगाली शब्द है जिसका अर्थ 'एक कम करोड़' होता है। यह एक धार्मिक स्थल है, जहां भगवान शिव, पार्वती, गणेश, विष्णु नंदी समेत कई देवी-देवताओं की मूर्तियों को यहां की पहाड़ी पर उकेरा गया है।
यहां और भी कई अद्भुत मूर्तियां मौजूद हैं। माना जाता है कि ये आकृतियां 7वीं शताब्दी से संबंध रखती हैं। जंगलों के बीच बसा यह स्थल काफी रहस्य का अनुभव कराता है।
राइमा घाटी
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इन सब स्थलों के अलावा आप यहां की राइमा घाटी की सैर का प्लान बना सकते हैं,जिसे त्रिपुरी जनजाति की मां का दर्जा प्राप्त है। इस घाटी स बहती राइमा नदी इस पूरे क्षेत्र को संवारने का काम करती है। यह एक हरा-भरा इलाका है, जो अपार शांति का एहसास कराता है। राइमा घाटी घनी वनस्पतियों से घिरी है।
अगर आप किसी एकांत स्थल की खोज कर रहे हैं तो यहां आस सकते हैं। इन सब के अलावा राइमा घाटी एक शानदार पिकनिक स्पॉर्ट भी है।
रोवा वन्यजीव अभयारण्य
उपरोक्त स्थलों के अलावा आप यहां के रोवा वन्यजीव अभयारण्य की रोमांचक सैर का आनंद ले सकते हैं। यह अभयारण्य यहां के मुख्य पर्यटन स्थलों में गिना जाता है,जहां सैलानी ज्यादा आना पसंद करते हैं। लगभग 86 हेक्टेयर में फैला यह जंगल क्षेत्र वनस्पति की विभिन्न प्रजातियों और असंख्य जीव जंतुओं का घर है।
आप यहां मसालों, औषधीय, फलों, बॉटनिकल स्क्रब आदि पौधों को देख सकते हैं। यहां जंगली जीवों की 120 से ज्यादा प्रजातियां निवास करती हैं। इसके अलावा आप यहां विभिन्न पक्षी प्रजातियों को भी यहां देख सकते हैं।