भारत भूमि कई तरह के रहस्यों और आश्चर्यों से भरी है, यहां आज भी वे स्थान मौजूद हैं जिनका इतिहास बरसों पुराना बताया जाता है, जिनमें किले-महल, बावड़ियां और यहां तक कि रहस्यमयी तालाब भी शामिल हैं। आपने किस्से-कहानियों में गड़े खजानों के बारे में जरूर सुना होगा। माना जाता है भारत में आज भी कई अज्ञात जगहों पर बेशकीमती हीरे-जवाहरात जमीन के अंदर दफन हैं जिनका पता आज तक नहीं लग सका।
हालांकि कुछ जगहें ऐसी खोजी गई हैं जहां खजाने की बात कही जाती है, लेकिन उन गुप्त मार्गों तक कोई नहीं पहुंच सका जो सीधा खजाने की तरफ ले जाते हैं। रहस्य की पड़ताल में आज हमारे साथ जानिए भारत के एक ऐसे सरोवर के बारे में जिसके अंदर नागमणि और पारस पत्थर होने की बात कही जाती है।
ऐतिहासिर कुसुम सरोवर
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कुसुम सरोवर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले में स्थिति है। यह सरोवर गोवर्धन और राधा कुंड के बीच पवित्र गोवर्धन हिल पर एक ऐतिहासिक बलुआ पत्थर की स्मारक है। स्मारक के पास नारद कुंड हैं, जहां नारद ने भक्ति सूत्र छंद लिखे थे। साथ ही यहां श्री राधा वाना बिहारी मंदिर भी मौजूद है। यह स्थान देखने में बहुत ही खूबसूरत है जो पर्यटकों को काफी हद तक अपनी ओर आकर्षित करता है। कुसुम सरोवर वही स्थान है जहां भगवान कृष्ण राधा से मिला करते थे।
यह स्थान रास क्रीड़ा के लिए भी जाना जाता था। लेकिन इस स्थान से एक ऐसा तथ्य भी जुड़ा है जो इसे रहस्यमयी बनाने का काम करता है। आगे जानिए क्या है इस तालाब के पीछे की रहस्यमयी कहानी।
एक रहस्यमयी तालाब
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एक पवित्र स्थान होने के बावजूद कुसुम सरोवर से एक चौका देने वाला तथ्य इसे रहस्यमी तालाब बनाने का काम करता है। यहां के लोगों का मानना है कि इस तालाब में पारस पत्थर और एक इच्छाधारी नाग की मणि है। जब इन बेशकीमती चीजों के बारे में लोगों को पता चला तो उन्होंने इन्हें पाने की पूरी कोशिश की।
लेकिन कोई भी सरोवर के उस मार्ग तक नहीं पहुंच सका जहां पारस और नागमणि रखे हुए हैं। माना जाता है इस मणि के चक्कर में कई लोगों ने अपनी हालात बिगाड़ ली थी। जो भी मणि की खोज में यहां पहुंचा या तो वो कोढ़ी हो गया या फिर वो अंधा हो गया।
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भूल से भी न करें स्नान
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कुसुम सरोवर देखने में जितना खूबसूरत और आकर्षक है उतना ही रहस्यमयी और घातक। सालों से एक ही अवस्था में पड़ा यहां का पानी मटमैला और गंदा हो चुका है। इसलिए यहां स्नान न करने की चेतावनी भी दी गई है।
माना जाता है कि सरोवर के अंदर शिलाएं मौजूद हैं जो स्नान के दौरान जानलेवा साबित हो सकती हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु अंदर दाखिल नहीं होते वे बाहर से ही सरोवर को देख आगे बढ़ जाते हैं। लेकिन इस सरोवर की खूबसूरते देखते ही बनती है। रात का नजारा बेहद खास होता है।
सरोवर का इतिहास
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चारों तरफ से मिट्टी से बना यह एतिहासिक तालाब 1675 में ओरछा के शासक वीर सिंह द्वारा ठीक से बनवाया गया, जिसके बाद राजा सुरज मल ने अपनी पत्नी किशोरी के लिए इस तालाब को एक खूबसूरत शक्ल दी, आसपास बगीचों का निर्माण करवाया गया। महाराजा सुरज मल के बेटे जवाहर सिंह ने भी कई खूबसूरत चीजों का निर्माण करवाया।
अपने पिता ( सुरज मल) की याद में जवाहर सिंह ने 1764 में एक स्मारक का भी निर्माण करवाया। 18 वीं शताब्दी में अंग्रेजों से साथ लड़ाई के दौरान उनके परिवार के सदस्यों की मृत्यु हो गई थी। बाद में इस स्मारक को जवाहर सिंह ने अपने माता-पिता के स्मृति चिन्ह के रूप में माना।
कैसे करें प्रवेश
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ऐतिहासिक कुसुम सरोवर उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में है, जहां आप मथुरा के अंदर टैक्सी, रिक्शा या अन्य किसी माध्यम से आसानी से पहुंच सकते हैं। मथुरा जंक्शन से यह सरोवर लगभग 26 किमी की दूरी पर है।
सड़क मार्गों और रेल मार्गों के द्वारा यहां पहुंचा जा सकता है। दिल्ली या उत्तर प्रदेश के किसी भी बड़े शहर से आपको मथुरा के लिए बसा सेवा मिल जाएगी। यहां का नजदीकी हवाईअड्डा दिल्ली एयरपोर्ट है।