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जानें, आखिर क्या कहानी है रहस्यमयी बीरबल के छत्ते की?

बीरबल के रस्यमयी छत्ते में क्या है खास और पहुंचने के तरीके?

By Cheenu Verma
birbal ka chatta

PC: Priyanka1tamta

अकबर और बीरबल की कहांनियां तो खूब सुनी होंगी आपने बचपन में, लेकिन क्या आपने बीरबल के छत्ते की कहांनी सुनी है? नहीं सुनी तो अब हम आपको सुनाते हैं। बीरबल का छत्ता हरियाणा और राजस्थान के बीच एक जगह, नारनौल में है जो जिला महेंद्रगढ़ के अंदर आता है। क्योंकि बीरबल का छत्ता राय बालमुकुंद ने बनवाया था इसलिए इसका नाम पहले बालमुकुन्द था लेकिन बाद में इसका नाम बदल कर बीरबल का छ्त्ता रख दिया गया। इससे पहले कि हम आपको इसका नाम बदलने का कारण बताएं, पहले इसके बदले हुए नाम का मतलब जान लेते हैं। छत्ता मतलब घर, तो इस हिसाब से बीरबल का छ्त्ते का अर्थ है बीरबल का घर।

दरअसल ऐसा कहा जाता है कि अकबर के नवरत्नों में से एक बीरबल, राजकाज के सिलसिले में यहां आते थे और इस छत्ते में रहते थे। इसलिए इसका नाम बीरबल का छत्ता पड़ गया। वैसे तो ये जगह बहुत खूबसूरत है, लेकिन जब बात बीरबल के छत्ते की आती है तो युवाओं में रोमांच और बुज़र्गों में भय दौड़ने लगता है।

बीरबल के छत्ते का रहस्य

दरअसल बीरबल के छत्ते को रहस्यमयी माना जाता है। बुज़ुर्गो क मानना है कि ये एक भूतीया जगह है। कहते हैं कि यहां एक सुरंग है, जिसके रास्ते दो तरफ खुलते हैं, एक दिल्ली की ओर और दूसरा जयपुर की ओर। अमूमन तौर पर इस सुरंग में किसी काभी जाना निषेद है क्योंकि कहा जाता है कि इस सुरंग में जाना वाला कभी लौट कर वापस नहीं आ पाया। इतना ही नहीं यहां रह रहे बुज़ुर्गों की मानें तो सालों पहले इस सुरंग से एक बारात दिल्ली की ओर जाने को रवाना हुई लेकिन पहुंची नहीं। और हैरानी की बात तो ये कि बारात का उस सुरंग या आस-पास की किसी जगह पर कोई नामो निशान भी नहीं मिला। ऐसी कई घटनाएं घटने के बाद प्रशासन ने सुरंग को बंद कर दिया।

birbal ka chatta

PC: Priyanka1tamta

बीरबल के छत्ते का इतिहास

पानीपत कि दूसरी लड़ाई के बाद नारनौल की बागडोर अकबर के हाथों में आ गई और अकबर ने सम्राट हेमू को पकड़ने के लिए बतौर ईनाम नारनौल को शाह कुली खान को सौंप दिया। इस तरह शाह कुली खान यहाँ की जागीर का मालिक बन गया। अकबर के शासनकाल में यहाँ राय बालमुकुन्द के छत्ते का निर्माण हुआ जिसे बीरबल का छत्ता के नाम से जाना जाता है।

कैसी है बनावट?

ये दो मंजिला भवन बनावट में किले और महल जैसा दिखता है लेकिन सही ढंग से देख-रेख नहीं होने की वजह से ये धीरे धीरे नष्ट हो रहा है। अगर जल्द ही कुछ नहीं किया गया तो इसके खंडहर बनने में ज़्यादा समय नहीं।

कैसे पहुंचा जाए

हवाई जहाज़ से

अगर आप हवाई जहाज़ से बीरबल का छ्त्ता जाना चाहते हैं तो आपको दिल्ली का इंदिरा गांधी अंरराष्ट्रीय हवाई अड्डे तक आना होगा। यहां से बीरबल का छत्ता 130 किमी दूर है। इतनी दूरी आप बस से तय कर सकते हैं।

ट्रेन से

ट्रेन से सफर करने के लिए आपको किसी अंतरराज्यीय रेलवे स्टेशन से नारनौल तक की ट्रेन लिनी होगी। नारनौर रेलवे स्टेशन से बीबरल का छता से महज़ 1.7 किलोमीटर की दूरी पर है।

रोड से

रोड से बीरबल का छत्ता घूमने के लिए आप अपने नज़दीक अंतरराज्यीय बस अड्डे जाकर वहां से नारनौल जाने वाली बस ले सकते हैं। नारनौल बस अड्डे से बीरबल का छत्ता सिर्फ 1.3 किलोमीटर दूर है।

स्टे करें

अगर आप नारनौल में और भी कई अन्य जगाहों पर घूमने का मन बनाकर आए हैं तो आप किसी होटल में स्टे भी कर सकते हैं। छत्ता राय बालमुकन्द दास या बीरबल का छत्ता के नजदीकी काफी होटल हैं जो सिर्फ 1 से 2 किलोमीटर दूर है।

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