Search
  • Follow NativePlanet
Share
» »नागों के बीच विराजमान भगवान शिव का अद्भुत मंदिर, जानिए इसकी खासियत

नागों के बीच विराजमान भगवान शिव का अद्भुत मंदिर, जानिए इसकी खासियत

दक्षिण भारत स्थित भगवान शिव का नागेश्वर स्वामी मंदिर । Nageshwar Swami Temple of Lord Shiva in south India.

दक्षिण भारत न सिर्फ अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता, समुद्री आबोहवा के लिए जाना जाता है बल्कि भारत का यह भू-भाग सांस्कृतिक, आस्था व धार्मिक गतिविधियों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। उत्तर भारत के साथ-साथ हिन्दू साम्राज्य दक्षिण भारत में भी काफी फला फूला, जिस कारण यहां असंख्य भव्य मंदिर देखने को मिलते हैं।

इतिहास की गहराई में जाएं तो पता चलता है कि दक्षिण भारत के कई बड़े हिन्दू राजाओं ने अपने शासनकाल के दौरान कई आकर्षक मंदिरों को निर्माण करवाया था। पाण्ड्य, चोल , चेरा, सातवाहन, पल्लव, चालुक्य आदि राजवंशों ने अपने समय में दक्षिण भारत के धार्मिक इतिहास को गौरवशाली बनाने में काफी योगदान किया।

मंदिरों का निर्माण शासकों की शक्ति का भी प्रमाण माने जाते थे। इसलिए दक्षिण भारत के मंदिरों की रूपरेखा आपको उत्तर भारतीय मंदिरों के अपेक्षा बहुत अलग दिखेगी। वास्तुकला और सौंदर्यता का इनमें खास ध्यान रखा जाता था। इसी क्रम में आज हमारे साथ जानिए दक्षिण भारत के तमिलनाडु के कुंभकोणम स्थित नागेश्वर स्वामी मंदिर के बारे में।

कुंभकोणम का नागेश्वर स्वामी मंदिर

कुंभकोणम का नागेश्वर स्वामी मंदिर

PC - Pajampulinkam (பா.ஜம்புலிங்கம்)

तमिलनाडु के कुंभकोणम स्थित नागेश्वरस्वामी मंदिर दक्षिण भारत का एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध यह मंदिर देवो के देव महादेव को समर्पित है। इस मंदिर का वर्णन थेवरम (शिव वंदना) के भजनों में भी किया गया है। इसके अलावा इस मंदिर को पादल पेत्रा स्थालम (महाद्वीप के सर्वश्रेष्ठ शिव मंदिर) की श्रेणी में भी रखा गया है।

यहां भगवान शिव नागराज को रूप में कुंभकोणम के मध्य स्थित हैं। धार्मिक पर्यटन के लिहाज से यह एक काफी महत्वपूर्ण मंदिर माना जाता है जहां आप भगवान शिव का अद्भुत रूप देख सकते हैं।

एक गौरवशाली इतिहास

एक गौरवशाली इतिहास

PC- Ssriram mt

इस भव्य मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी के दौरान चोल राजा आदित्य ने करवाया था। इस मंदिर की आकर्षक संरचना को देख आप चोल वास्तुकला,अद्भुत तकनीकी और खगोल शास्त्र का अंदाजा लगा सकते हैं। इस मंदिर की रूपरेखा कुछ इस प्रकार बनाई गई है कि सिर्फ तमिल महीने चित्तीराई (अप्रैल / मई) के शुरूआती तीन दिनों के दौरान सूर्य की रोशनी सीधे मंदिर में प्रवेश करती है। इसे सूर्य कोट्टम या किझा कोट्टम के नाम से भी जाना जाता है। नागेश्वर मंदिर का करुवराई सरंगपनी मंदिर के समान है, क्योंकि यह रथ के रूप में बनाया गया है।

मंदिर के पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी दिशाओं में तीन गोपुरम भी बनाए गए हैं। स्थानीय मान्यता के अनुसार नागेश्वर देव की पूजा दिन के तीन पहर(सुबह,दोपहर और शाम) अलग-अलग तीनों मंदिरों (नागेश्वर मंदिर, तिरुनेश्वरम और तिरुपपुरम) में होगी।

महाराष्ट्र की डरावनी सड़कों से लेकर भुतहा किलों की सच्ची कहानीमहाराष्ट्र की डरावनी सड़कों से लेकर भुतहा किलों की सच्ची कहानी

पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता

PC -Ssriram mt

इस मंदिर से एक बड़ी रोचक पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है, माना जाता है कि जब नागराज/शेषनाग को अपने ऊपर धरती का भार ज्यादा महसूस होने लगा तो उन्होंने कठोर तपस्या की। उनके तप से प्रसन्न होकर देवी पार्वती ने शेषनाग को दर्शन दिए और शक्ति प्रदान की। यहां मंदिर में एक जलाशय भी मौजूद है जिसे नाग तीर्थम का कहा जाता है।

मंदिर में एक राहू का भी स्थान मौजूद है जिन्हें 9 ग्रहों में से एक माना जाता है। एक पौराणिक मान्यता यह भी है कि दक्षण एंड कारकोटकन नागों यहां शिव की अराधना की थी। इस स्थान से एक किंवदंती यह भी जुड़ी है कि राजा नाला ने यहां तिरुनेलर में शिव की पूजा की थी।

वास्तुकला

वास्तुकला

PC-Rosemania

इस मंदिर के ऐतिहासिक वास्तुकला देखने लायक है। यहां आप प्रारंभिक चोल कला के अद्भुत उदाहरण इंसानी मूर्तियों के रूप में आसानी से देख सकते हैं। मंदिर के अंदर कई खूबसूरत संरचनाओं का निर्माण किया गया है। यहां का पवित्र स्थान पदबंधा-पद्मका खूबसूरत कमल की आकृति का रूप लिए हुए है, जिसकी कमल की पत्तियों को आकर्षक नक्काशी से सजाया गया है।

मंदिरों की दीवारों को देव मूर्तियों से अलंकृति किया गया है। इसके अलावा यहां देवी का एक अलग मंदिर, मंदिर के परिसर में स्थापित है। इसके अलावा कुंभकोणम के दारासुरम में नटराज का भी एक मंदिर स्थित है।

कैसे करें प्रवेश

कैसे करें प्रवेश

PC- பா.ஜம்புலிங்கம்

नागेश्वर स्वामी मंदिर तमिलनाडु के कुंभकोणम में स्थित है। जहां आप तीनों मार्गों से पहुंच सकते हैं। कुंभकोणम का नजदीकी हवाई अड्डा तिरुचिरापल्ली एयरपोर्ट है। रेल मार्ग के लिए आप कुंभकोणण रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं। इसके अलावा आप यहां सड़क मार्गों से भी पहुंच सकते हैं। कुंभकोणम बेहतर सड़क मार्गों द्वारा दक्षिण भारत के महत्वपूर्ण शहरों से जुड़ा हुआ है।

दक्षिण के चोल राजाओं द्वारा निर्मित भव्य मंदिरों में से एक एरावतेश्वरदक्षिण के चोल राजाओं द्वारा निर्मित भव्य मंदिरों में से एक एरावतेश्वर

तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X