हिमाचल की खूबसूरती की जितनी भी तारीफ की जाए वो कम ही है, यहां की सभी घाटियां, रास्ते, पहाड़, बर्फीली चोटियां प्रकृति द्वारा दिया गया एक नायाब तोहफा है, जिसके बारे में शायह हिमाचल को भी एहसास ना हो। यहां की जगहें इतनी मनमोहक है कि दुनिया की सारी जगहें एक तरफ और हिमाचल की वादियां और सुंदरता एक तरफ। मानिए जैसे कुदरत का एक नायाब नमूना हो हिमाचल और स्वर्ग लोक से सीधे जमीन पर उतर आया हो।
यहां का एक हिल स्टेशन है नारकंडा, जहां आपको प्राकृतिक सुंदरता के साथ रोमांच की भी आनंद मिलेगा। नारकंडा, भारत का सबसे पुराना स्कीइंग डेस्टिनेशन है। यहां चारो तरफ देखने पर हरियाली दिखेगी और यहां पर घूमना मानिए दुसरी दुनिया का एहसास करा देता है। कालका का नाम तो सुना ही होगा, कालका से नारकंडा का सफर मात्र 6 से 7 घंटे का है। यकीन मानिए ये रास्ता इतना सुंदर है कि आपको ये 6 घंटे भी काफी कम समय लगेगा।
इस रास्ते में ऊंचे-ऊंचे और सुंदर पहाड़, हरियाली से भरे जंगल और बहती नदियों का दृश्य काफी मनोरम लगता है। कुदरत की हसीन वादियों में बसा ये छोटा सा हिल स्टेशन पहाड़ों से घिरा हुआ है। ऊंचे रई, कैल और ताश के पेड़ों से आती हुई ठंडी हवा यहां के शांत वातावरण को और भी हसीन बन देती है। भारत का ये एक ऐसा हिल स्टेशन है, जहां जब भी बर्फबारी में आनंद उठाने का मन करें तो बस चले आइए। यहां गर्मी हो या ठंडी, हर मौसम में आपको बर्फबारी देखने को मिल जाएगी। अक्टूबर से फरवरी तक ये हिल स्टेशन बर्फ से भरा रहता है।
हाटू पीक
हाटू पीक, नारकंडा की सबसे फेमस जगहों में से एक है, जिसे इस हिल स्टेशन का नगीना कहा जाता है। इस चोटी पर हाटू माता का मंदिर है, मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि इसे लंकानरेश रावण की पत्नी मंदोदरी ने बनवाया था। यहां से लंका बहुत दूर थी लेकिन मंदोदरी हाटू माता की बहुत बड़ी भक्त थी और वे यहां हर रोज पूजा करने आया करती थीं। हाटू पीक, नारकंडा से 6 कि.मी. की दूरी पर है। हाटू पीक का इलाका चारों तरफ देवदार के वृक्षों से घिरा हुआ है, जो देखने में बेहद शानदार लगता है। यहां आपको सेब के पेड़ भी देखने को मिल जाएंगे, जो पर्यटकों को काफी आकर्षित करते है।
भीम का चूल्हा
हाटू मंदिर से थोड़ा आगे बढ़ने पर आपको तीन बड़े चट्टान दिखाई देंगे, जिनके बारे में कहा जाता है ये भीम का चूल्हा है। पांडवों को जब अज्ञातवास मिला था तो वे चलते-चलते इस जगह पर रूके थे और यहां खाना बनाया था। ये चट्टानें उनका चूल्हा था और इस पर भीम खाना बनाते थे। ये सोचने वाली बात है कि इन पत्थरों पर कितने बड़े बर्तन रखे जाते होंगे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है पांडव काफी बलशाली थे।
स्कीइंग का रोमांच
नारकंडा शुरू से ही पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा है। सर्दी के मौसम में यहां स्कीइंग करना बेहद रोमांचकारी होता है। जब अक्टूबर से मार्च तक पूरा नारकंडा बर्फ से ढका होता है तब यहां स्कीइंग का रोमांच और भी बढ़ जाता है। स्कीइंग करते हुए घने वन और सेब के बागानों की खूश्बू पर्यटकों में एक नई ताजगी भर देती है।
कैसे पहुंचे नारकंडा
नारकंडा पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा भुंतर में है, जो यहां से करीब 85 किमी. की दूरी पर स्थित है। वहीं, इसका नजदीकी रेलवे स्टेशन शिमला है, जो यहां 60 किमी. की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा यहां सड़क मार्ग से भी पहुंचा जा सकता है।