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दशहरा उत्सव:भारत के 9 क्षेत्रों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाने वाला नवरात्री का त्यौहार!

"प्रेम से बोलो जय माता दी!" जैसा कि आप सबको पता है, दशहरे का पावन त्यौहार शुरूहो चूका है, लोगों के घरों में माता की चौकी सज चुकी है, लोग नए नए और पारंपरिक कपड़े पहन माता के दरबार में शामिल होने को तैयार हो चुके हैं। आप सभी को यह तो पता ही होगा कि दशहरे का पर्व,'बुराई पे अच्छी की जीत' का सूचक है, उसी तरह दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा भी प्रदान करता है।

[कोलकाता में दशहरे की धूम!][कोलकाता में दशहरे की धूम!]

दशहरा, भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में,दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा का पर्व है। हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व है। भारतीय संस्कृति शुरू से ही वीरता की पूजक है और शौर्य की उपासक है। दशहरे के अंतिम दिन यानि कि विजयदशमी के दिन रावण के पुतले को दहन कर लोग बुराई के ख़त्म होने का जश्न धूमधाम से मनाते हैं।

[जमशेदपुर में दशहरे की धूम!][जमशेदपुर में दशहरे की धूम!]

कई लोगों को अब तक भ्रम है कि यह त्यौहार सिर्फ गुजरात और उत्तरी भारत के कुछ हिस्सों का ही त्यौहार है। जबकि समस्त भारतवर्ष में यह पर्व विभिन्न प्रदेशों में विभिन्न प्रकार से मनाया जाता है। आज हम आपको इस लेख और दशहरे के त्यौहार की कुछ खूबसूरत झलकियों द्वारा आपके इस भ्रम को दूर कर ये बताएँगे कि किस तरह भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरह से दशहरे का पवित्र त्यौहार मनाया जाता है।

तो चलिए चलते हैं, दशहरे के त्यौहार में शामिल होने।

कश्मीर

कश्मीर

कश्मीर के अल्पसंख्यक हिन्दू नवरात्रि के पर्व को श्रद्धा से मनाते हैं। परिवार के सारे वयस्क सदस्य नौ दिनों तक सिर्फ पानी पीकर उपवास करते हैं। अत्यंत पुरानी परंपरा के अनुसार नौ दिनों तक लोग माता खीर भवानी के दर्शन करने के लिए जाते हैं। यह मंदिर एक कुंड के बीचोबीच बना हुआ है।

Image Courtesy:Akshey25

कश्मीर

कश्मीर

पारंपरिक रूप से वसंत ऋतू में इन्हें खीर चढ़ाई जाती थी इसलिए इनका नाम 'खीर भवानी' पड़ा। इन्हें महारज्ञा देवी भी कहा जाता है। यहाँ ऐसी मान्यता है कि किसी प्राकृतिक आपदा की भविष्यवाणी के सदृष, आपदा के आने से पहले ही मंदिर के कुण्ड का पानी काला पड़ जाता है।

Image Courtesy:Akshey25

पंजाब

पंजाब

पंजाब में दशहरा,नवरात्रि के नौ दिन का उपवास रख,पूरे नौ दिन माँ के अलग-अलग अवतार की पूजा कर मनाते हैं। इस दौरान यहां मेहमानों का स्वागत पारंपरिक मिठाई और उपहारों से किया जाता है। रात भर जागरण का आयोजन होता है, जिसमें माता के भजन भक्तों द्वारा गाये जाते हैं और जयकारे लगाए जाते हैं।

Image Courtesy:Pramal

पंजाब

पंजाब

अष्टमी या नवमी वाले दिन नौ छोटी-छोटी लड़कियों,को घर में आमंत्रित कर माता का प्रसाद खिलाने के बाद व्रत तोड़ा जाता है। इन बच्चियों को इस दिन कंजक कहा जाता है,जिन्हें दुर्गा माँ के नौ अवतारों के रूप में मान कर व्रत तोड़ने से पहले पूजा कर प्रसाद खिलाया जाता है।

हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश में कुल्लू का दशहरा बहुत प्रसिद्ध है। यहाँ के स्थानीय निवासी पारंपरिक परिधानों में तैयार हो अपने वाद्य यंत्र, तुरही, बिगुल, ढोल, नगाड़े आदि लेकर बाहर निकलते हैं और अपने ग्रामीण देवता का धूम-धाम से जुलुस निकाल कर पूजन करते हैं। देवताओं की मूर्तियों को बहुत ही आकर्षक पालकी में सुंदर ढंग से सजाया जाता है। साथ ही वे अपने मुख्य देवता रघुनाथ जी की भी पूजा करते हैं।

Image Courtesy:Kondephy

हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश

जुलुस में लोक नृत्य की भी प्रस्तुति प्रशिक्षित लोगों द्वारा की जाती है। इस प्रकार जुलूस बनाकर नगर के मुख्य भागों से होते हुए नगर परिक्रमा करते हैं और कुल्लू नगर में देवता रघुनाथजी की वंदना से दशहरे के उत्सव का आरंभ करते हैं। दशमी के दिन यहाँ दशहरे की शोभा ही निराली होती है।

Image Courtesy:Kondephy

गुजरात

गुजरात

गुजरात में मिट्टी सुशोभित रंगीन घड़ा देवी का प्रतीक माना जाता है और इसको कुंवारी लड़कियां सिर पर रखकर एक लोकप्रिय नृत्य करती हैं जिसे गरबा कहा जाता है। गरबा नृत्य इस पर्व की शान है। पुरुष एवं स्त्रियां दो छोटे रंगीन डंडों को संगीत की लय पर आपस में बजाते हुए घूम घूम कर नृत्य करते हैं।

Image Courtesy:vaidyarupal

गुजरात

गुजरात

इस अवसर पर भक्ति, फिल्म तथा पारंपरिक लोक-संगीत सभी का समायोजन होता है। पूजा और आरती के बाद डांडिया रास का आयोजन पूरी रात होता रहता है। यहाँ नवरात्रि में सोने और गहनों की खरीद को शुभ माना जाता है।

Image Courtesy:Hardik jadeja

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा को समर्पित रहते हैं, जबकि दसवें दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की वंदना की जाती है। इस दिन विद्यालय जाने वाले बच्चे अपनी पढ़ाई में आशीर्वाद पाने के लिए मां सरस्वती के तांत्रिक चिह्नों की पूजा करते हैं।

Image Courtesy:Ting Chen

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र

किसी भी चीज को प्रारंभ करने के लिए खासकर विद्या आरंभ करने के लिए यह दिन काफी शुभ माना जाता है। महाराष्ट्र के लोग इस दिन विवाह, गृह-प्रवेश एवं नये घर खरीदने का शुभ मुहूर्त समझते हैं।

Image Courtesy:Ting Chen

उत्तरप्रदेश और दिल्ली

उत्तरप्रदेश और दिल्ली

नवरात्री के शुभ अवसर पर व्यस्क स्त्री पुरुष नौ दिनों का व्रत रख पूरे नौ दिन माँ की अराधना में लीन रहते हैं। यहाँ के नवरात्री की सबसे खासबात यह होती है कि यहाँ जगह-जगह पर रामलीला प्रस्तुत की जाती हैं और भव्य मेलों का आयोजन होता है।

Image Courtesy:Ankit Gupta

उत्तरप्रदेश और दिल्ली

उत्तरप्रदेश और दिल्ली

दशमी वाले दिन रावण के बड़े-बड़े पुतलों का दहन कर लोग एक दूसरे को गले मिल दशहरे की शुभकामनायें देते हैं।

Image Courtesy:Pete Birkinshaw

पश्चिम बंगाल, उड़ीसा,बिहार,झारखण्ड और असम

पश्चिम बंगाल, उड़ीसा,बिहार,झारखण्ड और असम

बंगाल, उड़िसा,बिहार, झारखण्ड और असम में यह पर्व दुर्गा पूजा के रूप में ही मनाया जाता है। यह यहाँ का सबसे महत्पूर्ण त्यौहार है। यहां देवी दुर्गा को भव्य सुशोभित पंडालों में विराजमान करते हैं।

Image Courtesy: Komal Ved Prakash Verma

पश्चिम बंगाल, उड़ीसा,बिहार,झारखण्ड और असम

पश्चिम बंगाल, उड़ीसा,बिहार,झारखण्ड और असम

देश के नामी कलाकारों को बुलवा कर देवी की मूर्तियां तैयार करवाई जाती हैं। इसके साथ अन्य देवी देवताओं की भी कई मूर्तियां बनाई जाती हैं। पंडालों के बाहर भव्य मेलों का आयोजन होता है। यहां षष्ठी के दिन दुर्गा देवी का बोधन, आमंत्रण एवं प्राण प्रतिष्ठा आदि का आयोजन किया जाता है।

Image Courtesy:Jagadhatri

पश्चिम बंगाल, उड़ीसा,बिहार,झारखण्ड और असम

पश्चिम बंगाल, उड़ीसा,बिहार,झारखण्ड और असम

उसके उपरांत सप्तमी, अष्टमी एवं नवमी के दिन प्रातः और सायंकाल दुर्गा की पूजा में व्यतीत होते हैं। अष्टमी के दिन महापूजा और बलि भी दी जाति है। दशमी के दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।

Image Courtesy:Ami.bangali

पश्चिम बंगाल, उड़ीसा,बिहार,झारखण्ड और असम

पश्चिम बंगाल, उड़ीसा,बिहार,झारखण्ड और असम

प्रसाद चढ़ाया जाता है और प्रसाद वितरण किया जाता है। पुरुष आपस में आलिंगन करते हैं, जिसे कोलाकुली कहते हैं।स्त्रियां देवी के माथे पर सिंदूर चढ़ाती हैं, व देवी को अश्रुपूरित विदाई देती हैं। इसके साथ ही वे आपस में भी सिंदूर लगाकर सिन्दूर के रंग से खेलती हैं।देवी की प्रतिमाओं को बड़े-बड़े ट्रकों में भर कर विसर्जन के लिए ले जाया जाता है। विसर्जन की यात्रा भी बड़ी शोभनीय और दर्शनीय होती है।

Image Courtesy:Diganta Talukdar

तमिल नाडु

तमिल नाडु

अन्य राज्यों की तरह तमिलनाडु और केरल में भी नवरात्री का त्यौहार कुछ अलग तरह से मनाया जाता है। नवरात्री के दौरान यहाँ लोग देवी दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी की पूजा करते हैं।तीन दिन तीन देवियों को समर्पित होता है। शाम के समय लोग एक दूसरे के घर जा त्यौहार की बधाइयाँ दे एक दूसरे को उपहार देते और लेते हैं।

Image Courtesy:Vinoth Chandar

तमिल नाडु

तमिल नाडु

विवाहित औरतों को चूड़ियां, बिंदी और अन्य साज श्रृंगार के सामान दिए जाते हैं। यहाँ सबसे आकर्षक परंपरा होती है, गोलू की परंपरा। इस परंपरा में गुड़ियों को जिन्हें गोलू कहते हैं,उन्हें सीढ़ियों में सजाया जाता है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी पूर्वजों से एक दूसरे को मिलती हैं।

Image Courtesy:Bootervijay

कर्नाटक

कर्नाटक

कर्नाटक में मैसूर का दशहरा भी पूरे भारत में प्रसिद्ध है। मैसूर में दशहरे के समय पूरे शहर की गलियों को रोशनी से सज्जित किया जाता है और हाथियों का शृंगार कर पूरे शहर में एक भव्य जुलूस निकाला जाता है। इस समय प्रसिद्ध मैसूर महल को दीपमालिकाओं से दुलहन की तरह सजाया जाता है।

Image Courtesy:Alin Dev

कर्नाटक

कर्नाटक

इसके साथ शहर में लोग टार्च लाइट के संग नृत्य और संगीत की शोभायात्रा का आनंद लेते हैं। हाथियों का श्रंगार कर पूरे शहर में भव्य जुलूस निकाला जाता है। इन द्रविड़ प्रदेशों में रावण-दहन का आयोजन नहीं किया जाता है।

Image Courtesy:Kalyan Kumar

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