वाराणसी जो काशी राज्य के अधीन हुआ करता था कई युगों से एक धार्मिक प्रमुख केंद्र रहा है और इसे दुनिया का सबसे पुराना शहर भी कहा जाता है। वाराणसी अपने काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए भी मुख्यतः प्रसिद्द है, जो भारत में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस प्राचीन शहर में बहुत सारे ऐसे धार्मिक स्थल स्थित हैं, जहाँ पूरे साल अपने ईश्वर के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
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चलिए आज हम आपको इसी धार्मिक भूमि की सैर करा लिए चलते हैं यहाँ के अद्वितीय नेपाली मंदिर में।
नेपाली मंदिर
Image Courtesy: Bijaya2043
नेपाली मंदिर
वाराणसी में स्थित नेपाली मंदिर की कहानी बहुत ही दिलचस्प है और ये आपको सीधे 19 वीं सदी के काल में ले जाती है। जैसा कि आपको नाम से ही पता चला रहा है, यह नेपाली मंदिर नेपाली वास्तुशैली में बना हुआ है। दिलचस्प बात है कि यह वाराणसी के सबसे पुराने शिव मंदिरों में से एक है। जी हाँ, आपने बिल्कुल सही सुना, इस नेपाली मंदिर के प्रमुख देवता शिव भगवान हैं।
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नेपाली मंदिर की कथा
बहुत पहले नेपाल के राजा राणा बहादुर शाह ने वाराणसी में निर्वासन ले लिया। उन्होंने ही निश्चय किया कि वह नेपाल की राजधानी काठमांडू में स्थापित पशुपतिनाथ मंदिर की ही तरह हूबहू एक शिव मंदिर यहाँ भी बनवाएंगे। हालाँकि उनके निर्वासन के दौरान मंदिर का निर्माण कार्य शुरू तो हो गया पर इसे पूरा होने में पूरे 30 सालों का समय लगा। मंदिर के निर्माण कार्य के दौरान ही राजा राणा बहादुर शाह नेपाल को लौट गए जहाँ उनकी, उनके सौतेले भाई शेर बहादुर शाह द्वारा चाकू मार कर हत्या कर दी गई। उनकी मृत्यु के बाद मंदिर को उनके पुत्र गिरवान युद्धा बिक्रम शाह देव ने समय सीमा के 20 साल बाद बनवा कर पूरा किया।
नेपाली मंदिर
Image Courtesy: Matt Stabile
नेपाली मंदिर की रचना
जैसा कि यह मंदिर लकड़ी का बना हुआ है इसलिए इसे 'कांठवाला मंदिर' भी कहते हैं, कांठ मतलब लकड़ी। यह मंदिर टैराकोटा,लकड़ी और पत्थर के इस्तेमाल से नेपाली वास्तुशैली में बनाया गया है। यह रचना नेपाली कारीगरों की उत्कृष्ट शिल्प कौशल को बखूबी दर्शाती है। इसलिए यह वाराणसी के कुछ खास मंदिरों में से एक है।
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कांठवाला मंदिर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें
क्या आपको पता है कि नेपाली मंदिर यानि की अपने इस कांठवाले मंदिर को 'छोटा खजुराहो' भी कहा जाता है? जी हाँ, इसे ऐसा इसलिए कहा जाता है क्यूंकि इस लकड़ी के मंदिर में जो मूर्तियां खुदी हुई हैं वे खजुराहो स्मारक के समान दिखती हैं, इसलिए इसे छोटा खजुराहो भी कहा जाता है।
ललिता घाट
Image Courtesy: Rudolph.A.furtado
हालाँकि यह रचना लकड़ी की बनी हुई है, पर फिर भी यह दीमक मुक्त है। यह मंदिर स्थानीय कारीगरों और राजगीरों की निपुणता को दर्शाता हुआ आज भी समय की कसौटी पर पूरी तरह खरा उतरा है। इसलिए आप अपनी वाराणसी की यात्रा में इस मंदिर के दर्शन करना बिल्कुल भी न भूलें।
नेपाली मंदिर पहुँचें कैसे?
नेपाली मंदिर वाराणसी के ललिता घाट के पास ही स्थित है। ललिता घाट में शिव मंदिर के साथ-साथ ललिता गौरी मंदिर भी स्थापित है।
वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर से नेपाली मंदिर लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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