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24 घंटे में घूमें मैसूर की यात्रा

अगर आप एक दिन में बैंगलूर से मैसूर की यात्रा कर मैसूर के मुख्य पर्यटन स्थलों का दीदार कर सकते हैं..

मै पिछले एक साल से बेंगलुरु में थी, कई बार वीकेंड के दौरान मैसूर जाने का प्रोग्राम बनाया, लेकिन हमेशा ही किसी ना किसी कारणवश हमारा प्लान रद्द होता रहा, लेकिन एक दिन अचानक मेरी दोस्त ने फोन कर कहा जल्दी तैयार हो जाओ हम लोग मैसूर जा रहे हैं, बिना किसी खास तैयारी के हम जल्दी जल्दी मैसूर रवाना हो गये, और इस बात पर भी यकीन हो गया, कि जनाब अगर ट्रिप प्लान करनी है, तो ज्यादा सोचना नहीं, जैसे ही मौका मिले निकल पड़ो।

हमने अपने सफर की शुरुआत शनिवार सुबह 3 बजे की, और हम तीन घंटे के सफर के बाद मैसूर पहुंचे। मैसूर में पर्यटकों के घूमने के लिए बेहद जगह है, लेकिन हमारे पास दिन एक ही था , तो हमने समय की बर्बादी ना करते हुए अपनी मैसूर ट्रिप की शुरुआत चामुंडेश्वरी मंदिर से, जो मैसूर में एक पहाड़ी पर स्थित है।

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के बाद मैसूर कर्नाटक का सबसे बड़ा राज्य है, जिसे राज्य की सांस्कृतिक राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। पर्यटकों के बीच मैसूर अपने वैभव और शाही परिवेश के लिए जाना जाता है।

चामुंडेश्वरी मंदिर

चामुंडेश्वरी मंदिर

चामुंडेश्वरी मंदिर चामुंडी पहाड़ी की चोटी पर देवी पार्वती के एक अवतार चामुंडेश्वरी को समर्पित मंदिर है। वास्तव में यह वुडेयार की देवी हुआ करती थी। इस मंदिर को 11 शताब्दी में बनवाया गया था और 1827 में मैसूर राजाओं ने इसकी मरम्मत करवाई।

मंदिर तक पहुँचने के लिए आपको थोड़ी सी चढ़ाई करनी होगी, पहाड़ी के ऊपर पहुँचने पर आप इस चोटी से मैसूर के खूबसूरत और मनोरम नजारों को देख सकते हैं, इस चोटी से उगते हुए सूरज को देखना भी काफी अच्छा लगता है।Pc: Saravana Kumar

मैसूर चिड़ियाघर

मैसूर चिड़ियाघर

चामुंडेश्वरी मंदिर देखने के बाद हमारी अगली डेस्टिनेशन थी मैसूर चिड़ियाघर, मैसूर जू की गितनी भारत के कुछ बेहतरीन जूलॉजिकल गार्डन में होती है। करीब 250 एकड़ में फैले इस जू में कई स्तनपाई, सरीसृप और पक्षियों की कई दुर्लभ प्रजातियां भी देखी जा सकती है।

इस चिड़ियाघर को आप डेढ़ से दो घंटे में आसानी से घूम सकते हैं, इस जू में आप हाथी के बच्चे, जवान बंदर, जंगली बैल और तेंदुआ व बाघ के शावकों को देख सकते हैं। साथ ही यह जू बारबेरी शीप, जेब्रा, जिराफ, ईमू, चिंपांजी, दरियाई घोड़ा, कंगारू, बाघ और संगाई की ब्रीडिंग के साथ साथ आप यहां कई जानवरों की दुर्लभ प्रजातियों को देख सकते हैं।

Pc:Dattatreya N R

मैसूर महल

मैसूर महल

मैसूर चिड़ियाघर देखने के बाद हम पहुंचे मैसूर महल देखने, जिसके बारे में, मै पहले ही काफी सुन चुकी थी। मैसूर महल को अंबा विलास महल के नाम से भी जाना जाता है। इस महल में इंडो-सारासेनिक, द्रविडियन, रोमन और ओरिएंटल शैली का वास्तुशिल्प देखने को मिलता है। इस तीन तल्ले महल के निर्माण में निर्माण के लिए भूरे ग्रेनाइट, जिसमें तीन गुलाबी संगमरमर के गुंबद होते हैं, का सहारा लिया गया है। महल के साथ-साथ यहां 44.2 मीटर ऊंचा एक पांच तल्ला टावर भी है, जिसके गुंबद को सोने से बनाया गया है। यह महल विश्व के सर्वाधिक घूमे जाने वाले स्थलों में से एक है।

महल में आप उन कमरों को भी देख सकते हैं जिनमें शाही वस्त्र, छायाचित्र और गहने रखे गए हैं। साथ ही महल के दीवार को सिद्धलिंग स्वामी, राजा रविवर्मा और के. वेंकटप्पा के पेंटिंग्स से सजाया गया है। 14वीं से 20वीं शताब्दी के बीच बनाए गए मैसूर महल में 12 मंदिरें भी हैं, जिनमें अलग-अलग वास्तुशिल्पीय बनावट देखने को मिलती है।Pc:Anamoy Sarma

मैसूर सैंड म्यूजियम

मैसूर सैंड म्यूजियम

महल देखने के बाद अब बारी थी रेत संग्रहालय देखने की, स म्यूजियम में कलाकार एम एन गौरी के द्वारा बनाये गये कई रेत मूर्तियां स्थापित हैं।Pc:స్వరలాసిక

मैसूर यात्रा पर खास घूमे, मैसूर रेत संग्रहालयमैसूर यात्रा पर खास घूमे, मैसूर रेत संग्रहालय


वृन्दावन गार्डन

वृन्दावन गार्डन

इतना सब घूमने के बाद हम पहुंचे वृन्दावन गार्डन, यकीन मानिए इस गार्डन की खूबसूरती देख ही हमारी थकान एकदम दूर हो गयी, कश्मीर के शालीमार बाग की तर्ज पर बना वृंदावन गार्डन करीब 60 एकड़ में फैला हुआ है। यहां आप खूबसूरत फूलों की क्यारियां, घास के मैदान, पेड़, तालाब और झरने देख सकते हैं। साथ ही आप गार्डन के बीच में बने तालाब में बोटिंग का भी आनंद ले सकते हैं। साथ ही आप होने वाले म्यूजिकल और डांसिंग फाउंटेन भी देख सकते हैं।Pc:Sugnyan

सेंट फिलोमेना चर्च

सेंट फिलोमेना चर्च

न्यूयार्क के सेंट पैट्रिक चर्च की तरह दिखने वाला सेंट फिलोमेना चर्च मैसूर का एक प्रमुख पर्यटन आकर्षण कहा जाता है, इस चर्च का निर्माण किसी अंग्रेज नहीं नहीं बल्कि यहां के महाराजा कृष्णराजा वुडेयार ने वर्ष 1933 में शुरू किया था और यह 1941 में बनकर तैयार हुआ था। इसे गौथिक वास्तुशिल्पीय शैली में बनाया गया था और चर्च के वेदी के नीचे तीसरी शताब्दी के अवशेष को भी सुरक्षित रखा गया है। चर्च में लगे ग्लास पेंटिंग्स में ईसा मसीह के जन्म से लेकर पुनजर्न्म तक की घटनाओं को देख सकते हैं। चर्च की एक और खासियत यह है कि यहां दो 54 मीटर ऊंचे दो टावर बने हुए हैं। यह देखने में एक दम न्यूयार्क के सेंट पैट्रिक चर्च जैसा दिखता है।Pc:Paweł 'pbm' Szubert (talk)

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