पिछले कई महीनों से पद्मावत को लेकर कंट्रोवर्सी चल रही थी, जो अब थम चुकी है, और दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह स्टारर फिल्म पद्मावत भी रिलीज होने को तैयार है। फिल्म के रिलीज होने से पहले ही यह फिल्म काफी विवादों में रही, जिसका फायदा मिला राजस्थान पर्यटन को।
जी हां, अगर बीते दो महीनो के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो, दिसम्बर और जनवरी के महीने में डेढ़ लाख पर्यटकों ने चित्तोड़गढ़ किले और उदयपुर का दीदार किया। बताया जाता है कि, चित्तोड़ गढ़ के किले में ही रानी पद्मनी रहा करती थी, और जब इस किले पर खिलजी ने कब्जा लर लिया था, तब रानी पद्मनी ने महल की अन्य महिलायों के साथ यहीं जौहर कर लिया (आग में कूद) था।
संजय लीला भंसाली निर्देशित फिल्म पद्मावत के विवाद के चलते चित्तोड़गढ़ का किला विश्व्यापी हो गया। जिसके बाद लोग रानी पद्मनी और खिलजी के इतिहास को भी जानने में दिलचस्पी लेने लगे। यहां के गाइडो की माने तो,यहां घूमने आने वाले पर्यटक गाइड से रानी पद्मनी और उनके पति राजा रत्न रावल सिंह और खिलजी की कहानियां सुनने में दिलचस्पी दिखाते हैं।
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इतना ही नहीं, पर्यटक इस किले की दो खास चीजों की सैर करना कतई नहीं भूलते हैं- पहली जगह, वह दर्पण, जहां खिलजी ने पद्मनी की खूबसूरती का दीदार किया था, और दूसरी जगह जहां रानी पद्मनी ने 16000 महिलायों के साथ आग के कुंड में कूदकर जौहर किया था। तो आइये जानते हैं चित्तोड़गढ़ किले के बारे में कुछ खास
चित्तौड़गढ़ का किला
भारत का सबसे विशाल किला है। चित्तौरगढ़ में स्थित यह राजसी किला लगभग 691.9 एकड़ की ज़मीन पर फैला हुआ है। इस किले में कई महल, मंदिर व द्वार हैं जो इस किले को भव्य व आकर्षक बनाते हैं।Pc:Ssjoshi111
कब हुआ था निर्माण
एक लोककथा के अनुसार इस किले का निर्माण मौर्य ने 7 वीं शताब्दी के दौरान किया था। यह शानदार संरचना 180 मीटर ऊँची पहाड़ी पर स्थित है और लगभग 700 एकड के क्षेत्र में फ़ैली हुई है। यह वास्तुकला प्रवीणता का एक प्रतीक है जो कई विध्वंसों के बाद भी बचा हुआ है।Pc: Saavan8
किले तक पहुंचना है बेहद मुश्किल
किले तक पहुँचने का रास्ता आसान नहीं है; आपको किले तक पहुँचने के लिए एक खड़े और घुमावदार मार्ग से एक मील चलना होगा। इस किले में सात नुकीले लोहे के दरवाज़े हैं जिनके नाम हिंदू देवताओं के नाम पर पड़े। इस किले में कई सुंदर मंदिरों के साथ साथ रानी पद्मिनी और महाराणा कुम्भ के शानदार महल हैं।किले में कई जल निकाय हैं जिन्हें वर्षा या प्राकृतिक जलग्रहों से पानी मिलता रहता है।
Pc: Santosh namby
किले के अंदर के महल
किले के अंदर ही कई महल व अन्य रचनाएँ स्थापित हैं। इन अद्भुत रचनाओं में शामिल हैं, रानी पद्मिनी महल,राणा कुंभ महल और फ़तेह प्रकाश महल।Pc: Krutikaa
चित्तौरगढ़ के प्रवेश द्वार
इस किले में लगभग 7 प्रवेश द्वार हैं। ये हैं राम पोल, लक्ष्मण पोल, पडल पोल, गणेश पोल, जोरला पोल, भैरों पोल और हनुमान पोल। इस किले तक पहुँचने के लिए सबसे पहले आपको इन 7 प्रवेश द्वारों को पार करना होगा और उनके बाद किले के मुख्य द्वार सूर्य पोल को भी।Pc:Krutikaa
पद्मिनी का महल
पद्मिनी महल सुंदर और बहादुर रानी पद्मिनी का घर था। यह महल चित्तौड़गढ़ किले में स्थित है और रानी पद्मिनी के साहस और शान की कहानी बताता है। महल के पास सुंदर कमल का एक तालाब है। ऐसा विश्वास है कि यही वह स्थान है जहाँ सुलतान अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी के प्रतिबिम्ब की एक झलक देखी थी। रानी के शाश्वत सौंदर्य से सुलतान अभिभूत हो गया और उसकी रानी को पाने की इच्छा के कारण अंततः युद्ध हुआ। इस महल की वास्तुकला अदभुत है और यहाँ का सचित्र वातावरण यहाँ का आकर्षण बढाता है। पास ही भगवान शिव को समर्पित नीलकंठ महादेव मंदिर है।Pc: Ssjoshi111
जौहर कुंड
पर्यटक यहां वह कुंड भी देख सकते हैं,जिसमे राणा रतन सिंह के युद्ध में शहीद हो जाने के बाद उनकी पत्नी रानी पद्मिनी ने अन्य स्त्रियों के साथ आत्म-सम्मान और गौरव को मृत्यु से ऊपर रखते हुए जौहर कर लिया था। मेवाड़ी सेनाओं के मुगलों से परास्त होने के बाद अपनी आन बान और इज्जत बचाने के लिए क्षत्राणी महिलाएं बड़े पैमाने पर जलती आग में कूद गई थी। उनके जौहर को यहां इस जादुई परिसर में रूह से महसूस किया जा सकता है।Pc:P12CO012
मीराबाई मंदिर
मीराबाई मंदिर चित्तौड़गढ़ की सबसे धार्मिक जगहों में से एक है। राजपूत राजा महाराणा कुंभा के शासन में इस मंदिर का निर्माण हुआ था। भक्ति पंथ आंदोलन की प्रमुख प्रतिभागी मीराबाई को यह मंदिर समर्पित है।Pc:Ashu0061
कीर्ति स्तंभ, चित्तौड़गढ़
कीर्ति स्तम्भ का निर्माण महाराणा कुम्भा ने 1448 ई. में करवाया था। यह स्तम्भ राजस्थान के चित्तौड़गढ़ क़िले में स्थित है। इस शानदार स्तम्भ को 'विजय स्तम्भ' के रूप में भी जाना जाता है। महाराणा कुम्भा ने मालवा के सुल्तान महमूदशाह ख़िलजी को युद्ध में प्रथम बार परास्त कर उसकी यादगार में इष्टदेव विष्णु के निमित्त यह कीर्ति स्तम्भ बनवाया था। इस स्तम्भ के ऊपर जाने के लिए 54 सीढियाँ हैं, लेकिन वर्तमान में पर्यटक इसे केवल बाहर से देख सकते हैं।Pc:Blue cab
किले की मीनारें
किले में स्थित दो मीनारें, किले के और राजपूत वंश के गौरवशाली अतीत को दर्शाती हैं। इन मीनारों के नाम हैं, विजय स्तम्भ और कृति स्तम्भ।Pc:Daniel Villafruela.
किले के अन्य नाम
इस किले को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे कि चित्तौरगढ़, चित्तौर, चित्तोर और चितोड़गढ़।Pc:nevil zaveri