सच कहूँ तो मध्य प्रदेश किसी यात्री के लिए ख़ज़ाने की तिजोरी से कम नहीं है। भले ही आप चाहे विरासतों और इतिहास के उतने दीवाने ना हों पर मध्य प्रदेश के इन बारीकी से किये गए जटिल कारीगरी को एक खूबसूरत शक्ल दिए गए नमूनों को देख मंत्रमुग्ध होते हुए अपने आपको बचा नहीं पाएंगे, ऐसी है मध्य प्रदेश की विरासतों और धरोहरों की खूबसूरती। कहते हैं कई वीर योद्धाओं ने यहाँ राज कर अपनी निशानी के तौर पर ऐसी-ऐसी रचनाएँ बना कर गए जिन्हें आज के समय में ऐसा रूप देना शायद ही मुमकिन होता है।
[खजुराहो में कामुक मूर्तियों के दर्शन!]
ऐसी अनमोल रचनाएँ भारत के उस शाही दौर की यात्रा पर हमें ले जाती हैं जब हमारा देश सोने की चिड़िया कहलाता था। ऐसी समृद्ध रचनाओं को देखना हमेशा से ही हमारे लिए गर्व की और उत्साह की बात रही है। सदियों पहले ऐसी तकनीक इस्तेमाल करके राजाओं के वासस्थल को बनाया गया जो शायद ही आज के इंजीनियर सोच भी पाएं। और सबसे बड़ी बात प्रकृति को बिना हानि पहुंचाएं रचनाओं को ऐसा रूप दिया जो आज तक समय की कसौटी पर खरे उतर बड़ी से बड़ी आधुनिक इमारतों को मात देते हैं।
[मदिरापान करते काल भैरव बाबा!]
चलिए आज हम आपको मध्यप्रदेश के इसी ख़ज़ाने की सैर पर लिए चलते हैं जिनको देख आप सोच में पड़ जायेंगे कि आज तक इनकी मजबूती से खड़े रहना का कारण क्या है। और शायद यहाँ की यात्रा कर आपको अपने ऐसे ही कई सवालों का जवाब भी मिल जाये। इसलिए निकल पढ़िए इन समृद्ध, शाही,ठाट-बाट वाली दुनिया की सैर करने!
[महल की छत पर बना उस समय का स्विमिंग पुल!]
जय विलास महल
जय विलास महल मध्य प्रदेश में स्थित यूरोपीय स्थापत्य शैली के बने महलों में से एक है। इस शानदार महल का निर्माण मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक समृद्ध राज्य ग्वालियर में करवाया गया।
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जय विलास महल
यह ऐतिहासिक महल मराठा सिन्धिया वंश से ताल्लुक रखता है। आज महल का कुछ भाग जीवाजी राव सिंधिया संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है।
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जय विलास महल
लेफ्टिनेंट कर्नल सर माइकल फ़िलोस इसके वास्तुकार थे। महल का निर्माण कार्य सन् 1874 ईसवीं में तब पूरा हुआ जब महारानी विक्टोरिया भारत की साम्राज्ञी के रूप में अपनी सत्ता शक्ति के चरम पर थी।
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जय विलास महल
महल में लगभग 400 कमरे हैं जिनमें से 40 कमरे संग्रहालय के रूप में हैं।
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जय विलास महल
40 कमरों के इस संग्रहालय में पुराने अस्त्र शस्त्र, डोली बग्घियां और बहुत सारे शाही परिवार से सम्बन्ध रखने वाली चीजों को आज तक संरक्षित रखा गया है।
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मान मंदिर महल
ग्वालियर के किले के बारे में कौन नहीं जनता और मान मंदिर महल उसी अद्भुत रचना का एक हिस्सा है।
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मान मंदिर महल
महल का निर्माण महाराजा मान सिंह द्वारा अपनी पत्नी रानी मृगनयनी के लिए तोहफे के रूप में करवाया गया था। इस महल की सबसे रोचक चीज़ है इसमें चित्रित परिष्करण।
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मान मंदिर महल
दिलचस्प बात तो यह है कि इसका निर्माण कई विभिन्न प्रकार के टाइल्स को मिलाकर किया गया है। यह आलीशान महल ग्वालियर के किले के प्रमुख आकर्षणों में से एक है।
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मान मंदिर महल
यह हिंदू वास्तुकला के साथ मिश्रित मध्ययुगीन वास्तुकला का अच्छा उदाहरण है। इसे पेंटेड हाउस भी कहा जाता है जिसमें फूलों, पत्तियों, जानवरों, मनुष्यों के रंगबिरंगे चित्र बने हुए हैं। महल के अंदर एक गोलाकार कारागृह है।
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मान मंदिर महल
यहीं पर औरंगज़ेब ने अपने भाई मुराद की हत्या की थी। यहीं पर एक तालाब भी है जिसे जौहर तालाब कहते हैं और यहीं पर राजपूत पत्नियों को सती बनाने की प्रथा निभाई जाती थी।
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होलकर महल
होलकर महल का प्रवेश द्वार ही किसी यात्री को अपनी ओर खींचने के लिए काफी है।
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होलकर महल
होलकर महल, जिसे राजवाड़ा के नाम से जाना जाता है, मध्य प्रदेश में इंदौर(खान पान की राजधानी) के प्रमुख पर्यटन केंद्रों में से एक है।
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होलकर महल
इस राजवाड़े का निर्माण कुछ कुछ मराठा वास्तुशैली में किया गया। और सबसे दिलचस्प बात यह है कि महल का निर्माण महिला शासक अहिल्याबाई ने करवाया है।
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होलकर महल
इसकी खूबसूरत सजावट, झरोखे,कला के नमूने और इसकी पूरी की पूरी अद्भुत वास्तुकला किसी चमकते हुए आकर्षण से कम नहीं है।
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होलकर महल
लकड़ी और लोहे से निर्मित राजसी संरचना से बना महल का प्रवेश द्वार यहां आने वाले हर पर्यटक का स्वागत करता है। यह पूरा महल लकड़ी और पत्थर से निर्मित है।
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होलकर महल
महल का निर्माण लगभग 200 साल पहले हुआ था और आज तक यह महल पर्यटकों के लिए एक विशेष आकर्षण रखता है।
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दतिया महल
मंत्रमुग्ध करता दतिया महल राजा बीर सिंह देव द्वारा 1614 ईसवीं में बनवाया गया था।
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दतिया महल
इस 7 मंज़िला रचना का निर्माण किसी भी लकड़ी और लोहे के बिना, पत्थर और ईंटों द्वारा किया गया है। इसका मतलब यह पूरी सात मंज़िला इमारत बिना किसी धातु या लकड़ी के सहारे आज तक खड़ी है।
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दतिया महल
दोस्ती की मिसाल, यह ऐतिहासिक इमारत बुन्देला शासकों द्वारा बनाई गई सबसे बेहतरीन इमारतों में से एक है।
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दतिया महल
सबसे ज़्यादा आश्चर्य करने वाली बात तो यह है कि किसी भी शाही परिवार ने आज तक इसमें वास नहीं किया है, यहाँ तक कि खुद राजा बीर सिंह देव ने भी नहीं।
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दतिया महल
महल में आज भी कई सुन्दर और बेशकीमती मूर्तियां स्थापित हैं और महल के छत से नगर का खूबसूरत दृश्य देखने को मिलता है।
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दतिया महल
यह ऐतिहासिक महल पहाड़ी पर ग्वालियर से लगभग 67 किलोमीटर दूर स्थित है। बीर सिंह देव महल की दीवारें खूबसूरत और अद्भुत चित्रों से सजी हुई हैं।
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दतिया महल
चित्रों को जैविक रंगों से बनाया गया था,फलों और सब्जियों से तैयार किये गए रंगों से। महल की रचना से लेकर महल की कहानी भी आपको उत्साह से भर देगी।
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ओरछा का राजा महल
राजा महल ओरछा के किले में ही बना एक आलीशान महल है जो खास तौर पर राजा के लिए अलग से बनवाया गया था।
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ओरछा का राजा महल
यहाँ की खूबसूरती नक्काशी और शाही सजावट उस समय की बेहतरीन कारीगरी को बखूबी दर्शाते हैं।
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ओरछा का राजा महल
पर अब यह शानदार महल राम राजा मंदिर के रूप में तब्दील हो गया है जहाँ भगवान राम जी को कुल देवता के रूप में पूजा जाता है।
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ओरछा का राजा महल
दिलचस्प बात यह है कि यहाँ पर स्थापित राम जी के मंदिर को चतुर्भुज मंदिर में ले जाकर स्थापित करना था पर कोई भी इस मूर्ति को इस महल से हिला भी नहीं पाया। और इस तरीके से महल का एक हिस्सा मंदिर के रूप में तब्दील हो गया जहाँ राम जी को राजा की तरह पूजा जाने लगा।
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ओरछा का राजा महल
महल के बाहरी स्तर पर पूरा परिसर लाटों से सजा है जबकि आन्तरिक सज्जा में सर्वश्रेष्ठ भित्तिचित्रों की भव्यता है।
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जहाज़ महल, मांडू
जहाज़ महल का साधारण पर अद्भुत नज़ारा हर यात्री का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहता है।
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जहाज़ महल, मांडू
यह मांडू के सबसे प्राचीन रचनाओं में से एक है इस खूबसूरत नमूने को दो तालाबों के बीच इस तरह से बनवाया गया था जिससे कि यह जहाज़ की भांति लोगों को नज़र आये।
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जहाज़ महल, मांडू
वास्तुकला की इस अद्भुत रचना का निर्माण सन् 1469-1500 ईसवीं के बीच खिलजी राजवंश के सुल्तान घियास-उद-दिन खिलजी द्वारा करवाया गया।
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जहाज़ महल, मांडू
महल की लंबाई लगभग 120 मीटर के करीब है। महल के निर्माण के लिए प्रमुख तौर पर अफगानिस्तान के आर्किटेक्चर को नियुक्त किया गया।
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जहाज़ महल, मांडू
जहाज़ महल मध्यप्रदेश के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कहा जाता है कि यह व्याभिचारी राजाओं की विभिन बीवियों का वास स्थल हुआ करता था।
Image Courtesy:Varun Shiv Kapur