भगवान भगवान श्रीराम के वनवास काल की अनेक घटनाओं का साक्षी चित्रकूट उत्तर प्रदेश में बांदा जिले में स्थित है। बता दें यही वह नगरी है..जहां राम का भरत यानि उनके छोटे भाई से उनका मिलाप हुआ था।इस धरा पर आने वाला सैलानी यहां देखे जाने वाले नयनाभिराम द्श्यों को देखकर आनंदित हो उठता है ।
में मौजूद नायाव नमूने हैं तो कही किलोमीटरों में फैले विशालकाय जंगल" title="विचित्रताओ और विभिन्नताओं वाले चित्रकूट में कही कल-कल करती मंदाकिनी का सुन्दर जल है तो कही विध्य पर्वत श्रंखलाओं का उन्मुक्त यौवन विखेरती पहाडियां हैं तों कही सुन्दर गुफाओं में मौजूद नायाव नमूने हैं तो कही किलोमीटरों में फैले विशालकाय जंगल" loading="lazy" width="100" height="56" />विचित्रताओ और विभिन्नताओं वाले चित्रकूट में कही कल-कल करती मंदाकिनी का सुन्दर जल है तो कही विध्य पर्वत श्रंखलाओं का उन्मुक्त यौवन विखेरती पहाडियां हैं तों कही सुन्दर गुफाओं में मौजूद नायाव नमूने हैं तो कही किलोमीटरों में फैले विशालकाय जंगल
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चित्रकूट में धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के अनेक स्थल हैं, जिनके दर्शन-पूजन करने के लिए श्रद्धालु बारंबार आते हैं। पर्यटक यहां स्थित कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करते हैं।
एक सैर पूर्वोत्तर जाइरो की....
परिक्रमा मार्ग पर अनेक दर्शनीय स्थल हैं जैसे-ऋषि अत्रि और सती अनुसूया का आश्रम, स्फटिक शिला, गुप्त गोदावरी आदि। गुप्त गोदावरी को गोदावरी नदी का उद्गम स्थल कहा जाता है। एक गुफा के अंदर से निकल रही जलधारा को गुप्त गोदावरी कहा जाता है। आइये जानते हैं चित्रकूट के पर्यटन स्थलों के बारे में....
गुप्त गोदावरी
नगर से 18 किलोमीटर की दूरी पर गुप्त गोदावरी स्थित हैं। यहां दो गुफाएं हैं। एक गुफा चौड़ी और ऊंची है। प्रवेश द्वार संकरा होने के कारण इसमें आसानी से नहीं घुसा जा सकता। गुफा के अंत में एक छोटा तालाब है जिसे गोदावरी नदी कहा जाता है। दूसरी गुफा लंबी और संकरी है जिससे हमेशा पानी बहता रहता है। कहा जाता है कि इस गुफा के अंत में राम और लक्ष्मण ने दरबार लगाया था।
रामघाट
मन्दकिनी के पश्चिम तट पर बने हुए घाटों के मध्य में स्थित घाट को रामघाट कहते हैं। बताया जाता है कि, इस घाट में भगवान राम ने स्नान किया था और अपने पिता राजा दशरथ की अस्थियों का विसर्जन किया था। हिंदू धर्म के अनुयायियों की ऐसी मान्यता है कि इस घाट पर स्नान करने से पुण्य प्राप्त होता है। यहां पर बोटिंग की सुविधा भी उपलब्ध है। इसी के साथ लगा हुआ भरतघाट हैं जहां पर भरतजी ने स्नान किया था। पर्यटक घाट में गेरूआ वस्त्र धारण किए साधु-सन्तों को भजन और कीर्तन करते देख सकते है। शाम को होने वाली यहां की आरती मन को काफी सुकून पहुंचाती है। PC: LRBurdak
जानकी कुंड
यह शांतिपूर्ण स्थल रामघाट से दो किमी की दूरी पर स्थित है। इस कुंड में माता जानकी जी स्नान किया करती थी।जानकी कुण्ड के समीप ही राम जानकी रघुवीर मंदिर और संकट मोचन मंदिर है। रामघाट से यहां तक नाव से जाया जा सकता है। इसमें स्नान करने का धार्मिक महत्व है।
अनसुइया अत्रि आश्रम
स्फटिक शिला से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर घने वनों से घिरा देवी सती अनुसूइया का मंदिर है। मुनि अत्रि यहां निवास करते थे। एक बार ब्रह्मा, बिष्णु और महेश ने अनुसुइया माता की परीक्षा लेनी चाही तभी माता ने उन्हें बालक बनाकर अपने आश्रम में रखा था। यहां से ही मंदाकिनी या छोटी गंगा अनुसुइया के तप से निकली थी, जो आज भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
स्फटिक शिला
जानकी कुंड से कुछ किमी की दूरी पर स्थित इस स्थल पर एक विशाल शिला में भगवान राम -सीता के चरणों के निशान हैं। कहा जाता है कि जब वह इस शिला पर खड़ी थीं तो जयंत ने काक रूप धारण कर उन्हें चोंच मारी थी। इस शिला पर राम और सीता बैठकर चित्रकूट की सुन्दरता निहारते थे।
कामदगिरि हिल
कामदगिरि पर्वत पुराने चित्रकूट में स्थित है। लगभग 5 किमी परिक्षेत्र में जंगलों से घिरे इस पहाड़ के चारों तरफ मंदिर स्थित हैं।श्रद्धालु कामदगिरि पर्वत की 5 किलोमीटर की परिक्रमा कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने की कामना करते हैं। जंगलों से घिरे इस पर्वत के तल पर अनेक मंदिर बने हुए हैं। चित्रकूट के लोकप्रिय कामतानाथ और भरत मिलाप मंदिर भी यहीं स्थित है।
हनुमान धारा
लगभग 100 मीटर ऊंचे पर्वत पर पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा स्थित है। कहा जाता है कि यह धारा श्रीराम ने लंका दहन से आए हनुमान के आराम के लिए बनवाई थी। तब भी उनके शरीर की ज्वाला शांत नहीं हुई तब भगवान श्री राम ने उन्हें इस पर्वत पर आराम करने का आदेश दिया था और एक जल की धारा प्रवाहित की थी, जो आज भी पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा के ऊपर से गिर रही है। यह धारा पूरे सालभर एक ही गति से प्रवाहित होती रहती है।पहाड़ी के शिखर पर ही 'सीता रसोई' है। यहां से चित्रकूट का सुन्दर दृष्य देखा जा सकता है।PC: Arghyashonima
भरत कूप
ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक के लिए उनके भाई भरत पूरे भारत के तीर्थ स्थलों का जल लेकर आये थे, जिसे अत्रि मुनि के आदेश पर इस कूप में डाल दिया गया था। जिसका पानी कभी भी कम नहीं होता। साथ ही उसकी गहराई का पता लगा पाना भी असंभव माना जाता है।
विराध कुंड
भगवान श्रीराम जिस मार्ग से चित्रकूट से आगे गये थे, वह मार्ग अब भी है। यह मार्ग घने वन में एक पगडंडी है और यहां दूर तक चौरस शिलाएं हैं। इसी मार्ग पर स्थित है विराध कुंड। कहा जाता है कि यह गड्ढा लक्ष्मणजी ने खोदा था और इसमें विराध राक्षस को गाड़ दिया था। इस गड्ढे की गहराई आजतक नापी नहीं जा सकी है। अंग्रेज़ी शासनकाल में इसकी गहराई नापने की चेष्टा की गयी थी, किंतु सफलता नहीं मिली।
कैसे जाएं
हवाईयात्रा
इसके सबसे नज़दीकी हवाई अड्डे इलाहाबाद (125 किमी.) और खजुराहो (185 किमी.) हैं। यहां से पर्यटक आसानी से बस या टैक्सी द्वारा चित्रकूट पहुंच सकते हैं।
रेलवे स्टेशन
साथ ही नज़दीकी रेलवे स्टेशन कर्वी (चित्रकूट) 8 किमी. है। चित्रकूट धाम के लिए इलाहाबाद, सतना, महोबा, कानपुर, मैहर और झांसी से बस और ट्रेनों की सुविधा उपलब्ध है। यहां से पर्यटक आसानी से बस या टैक्सी द्वारा चित्रकूट पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग
चित्रकूट के लिए इलाहाबाद,बांदा, झांसी, महोबा, कानपुर, छतरपुर,सतना, फैजाबाद, लखनऊ, मैहर आदि शहरों से नियमित बस सेवाएं हैं। दिल्ली से भी चित्रकूट के लिए बस सेवा उपलब्ध है। शिवरामपुर से भी बसें और टू व्हीलर उपलब्ध हैं यहां से चित्रकूट की दूरी4किलोमीटर है।
ठहरने की उत्तम व्यवस्था
उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग ने यात्रियों के ठहरने के लिए उत्तम टूरिस्ट बंगलें बनवा रखे हैं। इसके अलावा कई धर्मशालाओं, यात्री मठों और मंदिरों में भी ठहरने की व्यवस्था है। साथ ही लॉज एवं होटलों भी भारी मात्रा में उपलब्ध हैं।PC: Aashishsainik
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